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चम्बा , 26 फरवरी [ शिवानी ] ! जिला मुख्यालय चम्बा में रविवार को जनजातीय क्षेत्र पांगी के लोगों ने जुकारु उत्सव धूमधाम से मनाया। इस मौके पर पांगी घाटी के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए। कार्यक्रम में पांगी घाटी, चम्बा , कुल्लू तथा लाहोल-स्पिति की संस्कृति की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने एक-दूसरे को उत्सव की बधाई दी। इसके उपरांत दोपहर को प्रीति भोज का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान पांगी कल्याण संघ के प्रधान भगत बड़ोत्रा ने सर्वप्रथम सभी को जुकारु उत्सव की शुभकामानएं दीं। इसके बाद कार्यक्रम का आगाज किया गया। कार्यक्रम में जिला मुख्यालय के आसपास के इलाके में बसे लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में पांगी के लोक गीतों पर नृत्य पेश किया गया। जुकारु उत्सव सर्दियों के माघ माह के अंत में राजा बलि की पूजा-अर्चना से आरंभ होकर करीब एक माह तक चलता है। घाटी के लोगों का कहना है कि ब्रह्मामुहूर्त में वरुण देवता के सम्मान में पनिहार से पानी लाकर घर में इसका छिड़काव किया जाता है। इस दौरान घाटी में मौसम के खुलने के बाद लोग एक-दूसरे घरों में जाकर उनका कुशलक्षेम पूछते हैं। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा , 26 फरवरी [ शिवानी ] ! जिला मुख्यालय चम्बा में रविवार को जनजातीय क्षेत्र पांगी के लोगों ने जुकारु उत्सव धूमधाम से मनाया। इस मौके पर पांगी घाटी के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए। कार्यक्रम में पांगी घाटी, चम्बा , कुल्लू तथा लाहोल-स्पिति की संस्कृति की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम के दौरान लोगों ने एक-दूसरे को उत्सव की बधाई दी। इसके उपरांत दोपहर को प्रीति भोज का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान पांगी कल्याण संघ के प्रधान भगत बड़ोत्रा ने सर्वप्रथम सभी को जुकारु उत्सव की शुभकामानएं दीं। इसके बाद कार्यक्रम का आगाज किया गया।
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कार्यक्रम में जिला मुख्यालय के आसपास के इलाके में बसे लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में पांगी के लोक गीतों पर नृत्य पेश किया गया। जुकारु उत्सव सर्दियों के माघ माह के अंत में राजा बलि की पूजा-अर्चना से आरंभ होकर करीब एक माह तक चलता है।
घाटी के लोगों का कहना है कि ब्रह्मामुहूर्त में वरुण देवता के सम्मान में पनिहार से पानी लाकर घर में इसका छिड़काव किया जाता है। इस दौरान घाटी में मौसम के खुलने के बाद लोग एक-दूसरे घरों में जाकर उनका कुशलक्षेम पूछते हैं।
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