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चम्बा , 27 जनवरी [ शिवानी ] ! जिला में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र चम्बा का चौगान ही है। जिसे रियासती काल में चम्बा के राजाओं ने बड़ी ही सहजता से बनाया था। आपको बता दे, कि रियासत काल से ही चम्बा का चौगान विभिन्न खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। आजादी से पहले राजाओं के समय से यहाँ पोलो, घुड़सवारी व क्रिकेट जैसी खेलों का आयोजन होता रहा है। उस समय भी यहाँ मिंजर मेला जैसे सांस्कृतिक आयोजन होता रहा है। वहीं ब्रिटिश काल मे अंग्रेज अधिकारियों ने भी इस चौगान को स्काटलैंड जैसी कला शैली मे संवारने मे कोई कसर नही छोड़ी। इतिहास गवाह है कि चम्बा का चौगान चम्बा के लोगों के दिलों की धड़कन है। इस ऐतिहासिक चौगान की बात करे तो इस चौगान की सुंदरता के साथ हर कोई व्यक्ति सुबह शाम यहाँ सैर सपाटा करने इसी चौगान मे घूमते दिख जाते हैं तो ढलती शाम के आगोश मे हर कोई यहाँ चहलकदमी करता दिख ही जाता है। बताते चले कि इस चौगान की सुंदरता और इसके जीर्णोद्धार के लिए जिला प्रशासन करीब 6,महीनों तक इस चौगान की पूरी तरह से लोगों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया जाता है ताकि इसकी खूबसूरती को फिर से बरकरार रखा जा सके। यह चम्बा का ऐतिहासिक चौगान जोकि लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर दायरे में फैला हुआ है। आपको बता दे कि इसी चौगान में ही हर तरह की सरकारी वा गैर सरकारी गतिविधियां के साथ हर तरह की र्खेल कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी यहीं पर करवाया जाता है। साल भर चलने वाले आयोजनों के चलते चौगान अपनी खूबसूरती खो देता है। इसलिए प्रशासन और नगर परिषद चम्बा के साझा फैसले के बाद चौगान को हर साल नवम्बर से अप्रैल माह तक सार्वजनिक आवाजाही के पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है। इसी व्यवस्था के चलते इन दिनों चम्बा का ऐतिहासिक चौगान रखरखाव व मुरम्मत के लिए पूरी तरह से बंद है। प्रशासन द्वारा चौगान को हरा भरा बनाने के लिए चौगान मे दोबारा से घास उगाई जा रही है। इन दिनों चौगान मे चल रही मुरम्मत को लेकर चम्बा के लोगों का अलग अलग नजरिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चौगान की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए जो प्रयास किए जा रहे है वो हर तरह से नाकाफी हैं। क्योंकि चौगान को आम लोगों के लिए खोलने के लिए बस दो महीने का समय बचा है। लेकिन समय पर बारिश न होने से घास नहीं उग रही है। इसलिए प्रशासन को चौगान की घास को सींचने के लिए हाइड्रैटं लाईन का प्रयाप्त रूप से उपयोग करना चाहिए। गौरतलब है कि हर वर्ष मिंजर मेले के दौरान व्यापारिक गतिविधियों से चौगान से जिला प्रशासन को करोड़ों रूपये की आय होती है। लेकिन जब इसी चौगान की देखरेख की बात आती है तो सारे दावे धरे के धरे रह जाते हैं।
चम्बा , 27 जनवरी [ शिवानी ] ! जिला में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र चम्बा का चौगान ही है। जिसे रियासती काल में चम्बा के राजाओं ने बड़ी ही सहजता से बनाया था। आपको बता दे, कि रियासत काल से ही चम्बा का चौगान विभिन्न खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। आजादी से पहले राजाओं के समय से यहाँ पोलो, घुड़सवारी व क्रिकेट जैसी खेलों का आयोजन होता रहा है। उस समय भी यहाँ मिंजर मेला जैसे सांस्कृतिक आयोजन होता रहा है।
वहीं ब्रिटिश काल मे अंग्रेज अधिकारियों ने भी इस चौगान को स्काटलैंड जैसी कला शैली मे संवारने मे कोई कसर नही छोड़ी। इतिहास गवाह है कि चम्बा का चौगान चम्बा के लोगों के दिलों की धड़कन है। इस ऐतिहासिक चौगान की बात करे तो इस चौगान की सुंदरता के साथ हर कोई व्यक्ति सुबह शाम यहाँ सैर सपाटा करने इसी चौगान मे घूमते दिख जाते हैं तो ढलती शाम के आगोश मे हर कोई यहाँ चहलकदमी करता दिख ही जाता है।
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बताते चले कि इस चौगान की सुंदरता और इसके जीर्णोद्धार के लिए जिला प्रशासन करीब 6,महीनों तक इस चौगान की पूरी तरह से लोगों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया जाता है ताकि इसकी खूबसूरती को फिर से बरकरार रखा जा सके।
यह चम्बा का ऐतिहासिक चौगान जोकि लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर दायरे में फैला हुआ है। आपको बता दे कि इसी चौगान में ही हर तरह की सरकारी वा गैर सरकारी गतिविधियां के साथ हर तरह की र्खेल कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी यहीं पर करवाया जाता है।
साल भर चलने वाले आयोजनों के चलते चौगान अपनी खूबसूरती खो देता है। इसलिए प्रशासन और नगर परिषद चम्बा के साझा फैसले के बाद चौगान को हर साल नवम्बर से अप्रैल माह तक सार्वजनिक आवाजाही के पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है। इसी व्यवस्था के चलते इन दिनों चम्बा का ऐतिहासिक चौगान रखरखाव व मुरम्मत के लिए पूरी तरह से बंद है।
प्रशासन द्वारा चौगान को हरा भरा बनाने के लिए चौगान मे दोबारा से घास उगाई जा रही है। इन दिनों चौगान मे चल रही मुरम्मत को लेकर चम्बा के लोगों का अलग अलग नजरिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चौगान की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए जो प्रयास किए जा रहे है वो हर तरह से नाकाफी हैं। क्योंकि चौगान को आम लोगों के लिए खोलने के लिए बस दो महीने का समय बचा है। लेकिन समय पर बारिश न होने से घास नहीं उग रही है। इसलिए प्रशासन को चौगान की घास को सींचने के लिए हाइड्रैटं लाईन का प्रयाप्त रूप से उपयोग करना चाहिए।
गौरतलब है कि हर वर्ष मिंजर मेले के दौरान व्यापारिक गतिविधियों से चौगान से जिला प्रशासन को करोड़ों रूपये की आय होती है। लेकिन जब इसी चौगान की देखरेख की बात आती है तो सारे दावे धरे के धरे रह जाते हैं।
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