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चम्बा ! सुंदर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 29 सितम्बर 2021 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा बांग्ला के उपन्यासकार शरच्चन्द्र चटोपाध्याय की जयंती के उपलक्षय पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन सत्र-31 गूगल-मीट के माध्यम से किया गया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने बांग्ला लेखक शरच्चन्द्र चट्टोपाध्याय का विश्लेषणात्मक जीवन परिचय पढ़ा तथा उनके लेखन का विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओ से सभी को बढ़ चढ़ कर अपनी पठित रचना की ओर आकर्षित किया। कार्यक्रम के शुरूआत में महाविद्यालय की छात्रा रिया ने जो "बीत गई सो बात गई " कविता का पाठ किया। सपना भरद्वाज ने "काश जिंदगी एक किताब होती " तथा "बचपन " कविता द्वारा जिंदगी के पन्नो को उघाड़ने का प्रयास किया। अमर देई ने "जिंदगी में है रिश्तों के महत्व" कविता द्वारा रिश्तों के महत्व को उजागर किया। मधु शर्मा ने " जीवन " कविता का पाठ किया। दर्शना देवी ने शरच्चन्द्र चट्टोपाध्याय पर खूबसूरत व्याखायान प्रस्तुत करते हुए रचनाकार के अनेकों अनछुए पहलुओं को सबके सामने रखा। कवि हेमराज ने "चींटी" कविता द्वारा इंसान को अनवरत प्रयासरत रहने का सबक दिया। रेखा रश्मि कक्कड़ ने "गुवाड़" तथा "यूं ही" कविता द्वारा ग्रामीण जीवन के परिवेश की बारीकियों की परत दर परत अत्यंत सुंदर झांकी प्रस्तुत की। महासचिव डॉ. संतोष कुमार ने "सवाल" कविता द्वारा श्रोताओं के समक्ष अनेक सवाल खड़े किये। मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने "लौटता आदमी" तथा "सबके पास" कविता द्वारा घर होने के वास्तविक अर्थ को उजागर किया। शरत् शर्मा ने अपनी छोटी और अर्थ पूर्ण कविताओं से सभी को मंत्र मुग्ध किया। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर ने रचनाकारों की रचनाओं में आए अदम्य साहस की भूरि-भूरी प्रशंसा का संदेश भेजा जिसमें यह कहा कि चम्बा में लेखन क्षमता सही दिशा की ओर बढ़ रही है। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित रचनाकारों तथा श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए अपने समापन वक्तव्य में कहा कि चम्बा जैसे दूरदराज पिछड़े क्षेत्र में साहित्य रचनात्मकता पहले की अपेक्षा दिनोंदिन ज्यादा सक्रिय हुई है। राजकीय महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठशाला के महासचिव डॉ. संतोष कुमार ने कार्यक्रम का संचालन रचनाकारों द्वारा पठित रचनाओं पर अपनी बेबाक त्वरित टिप्पणियों के साथ बहुत ही आकर्षक ढंग से किया।
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