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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान से 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा जयशंकर प्रसाद जयंती के उपलक्ष्य पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पुण्य स्मरण करते हुए कविता पाठ तथा लेख पाठ का सत्र-23 आयोजन किया । इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ अन्य राज्यों से जुड़े कवियों तथा लेखकों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने स्वागत वक्तव्य में गांधी जी के कालजयी योगदान को याद करते हुए जयशंकर प्रसाद के जीवन से परिचय करवाया। तदुपरांत सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से उपस्थित जनों को भावविभोर किया। इस अवसर पर भूपेंद्र जसरोटिया ने 'झुकी हुई पलकों पर एक समुद्र ढका हुआ है' तथा' देश का किसान' कविता से सभी को मंत्रमुग्ध किया। शरत् शर्मा ने लावारिस कवित से रिश्तों की परख के साथ सभी को भावविभोर किया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने जयशंकर प्रसाद की कालजयी रचना 'कामायनी' के आधुनिक संदर्भों को उजागर किया। डॉ. रितु वार्ष्णेय गुप्ता ने अपनी कविता 'काशी' और 'किसान' द्वारा परम्परा और पद्धति से परिचय करवाया तथा किसान और मनुष्य के घनिष्ठ रिश्तों को उजागर किया। प्रियंवदा त्यागी ने अपनी दो कविताओं में खुद को पहचानने का संदेश देते हुए कविता पंक्ति में कहा 'क्यों रिश्तों को जूड़े में सजाए फिरती हूँ' । वहीं स्वाति महाजन ने चम्बा और काशी की परम्परा और पद्धति में समानता का उल्लेख करके सबको चकित कर दिया। मोनिका शर्मा ने अहंकार कविता से समाज में फैली विद्रूपताओं की ओर इशारा किया। किरण कुमारी ने 'परिवार' कविता के माध्यम से आधुनिक परिवारों के टूटने और बिखराव पर प्रकाश डाला । पूजा शर्मा ने 'बेटी' कविता में लिंग भेद को उजागर किया। सपना ने जयशंकर प्रसाद की कविता 'आँसू' का पाठ किया। कवि हेमराज ने 'चांद और मैं' कविता से सभी को मंत्र मुग्ध किया। शिल्पा ठाकुर ने 'नारी शक्ति' कविता के द्वारा नारी की अस्मिता को उजागर किया । भारती ने 'बरसात को रोते देखा है' कविता पढ़ी। काजल ने 'जिंदगी की मुश्किलें' कविता का पाठ किया। रोमी शर्मा ने 'किसान' कविता पढ़ी। मंच संचालन का कार्यभार महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार व सलाहकार भूपिंदर जसरोटिया ने बखूबी निभाया। कार्यक्रम का समापन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा के कार्यकारिणी के निर्णयों से अवगत करवाते हुए धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान से 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा जयशंकर प्रसाद जयंती के उपलक्ष्य पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पुण्य स्मरण करते हुए कविता पाठ तथा लेख पाठ का सत्र-23 आयोजन किया । इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ अन्य राज्यों से जुड़े कवियों तथा लेखकों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने स्वागत वक्तव्य में गांधी जी के कालजयी योगदान को याद करते हुए जयशंकर प्रसाद के जीवन से परिचय करवाया। तदुपरांत सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से उपस्थित जनों को भावविभोर किया। इस अवसर पर भूपेंद्र जसरोटिया ने 'झुकी हुई पलकों पर एक समुद्र ढका हुआ है' तथा' देश का किसान' कविता से सभी को मंत्रमुग्ध किया।
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शरत् शर्मा ने लावारिस कवित से रिश्तों की परख के साथ सभी को भावविभोर किया। महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने जयशंकर प्रसाद की कालजयी रचना 'कामायनी' के आधुनिक संदर्भों को उजागर किया। डॉ. रितु वार्ष्णेय गुप्ता ने अपनी कविता 'काशी' और 'किसान' द्वारा परम्परा और पद्धति से परिचय करवाया तथा किसान और मनुष्य के घनिष्ठ रिश्तों को उजागर किया।
प्रियंवदा त्यागी ने अपनी दो कविताओं में खुद को पहचानने का संदेश देते हुए कविता पंक्ति में कहा 'क्यों रिश्तों को जूड़े में सजाए फिरती हूँ' । वहीं स्वाति महाजन ने चम्बा और काशी की परम्परा और पद्धति में समानता का उल्लेख करके सबको चकित कर दिया। मोनिका शर्मा ने अहंकार कविता से समाज में फैली विद्रूपताओं की ओर इशारा किया। किरण कुमारी ने 'परिवार' कविता के माध्यम से आधुनिक परिवारों के टूटने और बिखराव पर प्रकाश डाला ।
पूजा शर्मा ने 'बेटी' कविता में लिंग भेद को उजागर किया। सपना ने जयशंकर प्रसाद की कविता 'आँसू' का पाठ किया। कवि हेमराज ने 'चांद और मैं' कविता से सभी को मंत्र मुग्ध किया। शिल्पा ठाकुर ने 'नारी शक्ति' कविता के द्वारा नारी की अस्मिता को उजागर किया । भारती ने 'बरसात को रोते देखा है' कविता पढ़ी। काजल ने 'जिंदगी की मुश्किलें' कविता का पाठ किया।
रोमी शर्मा ने 'किसान' कविता पढ़ी। मंच संचालन का कार्यभार महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार व सलाहकार भूपिंदर जसरोटिया ने बखूबी निभाया। कार्यक्रम का समापन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा के कार्यकारिणी के निर्णयों से अवगत करवाते हुए धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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