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चम्बा ! बुधवार को एसएफआई इकाई चम्बा ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर भारत सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में काफी लंबे समय से चले हुए किसान आंदोलन के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। इस मौके पर धरने का संचालन करते हुए इकाई सचिव शाहबाज ने बताया कि किसान आंदोलन तो साफ तौर से छात्रों से भी जुड़ा है। क्योंकि अधिकतर छात्र किसान परिवार से सम्बंध रखते है। सरकार द्वारा लाए गए तीनो कृषि कानून किसानों के लिए आत्महत्या के समान है। सरकार लगातार सरकारी क्षेत्र को खत्म करती जा रही है। इसी कड़ी में कृषि को भी निजी हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी है। जिसके कारण देशभर के किसान काफी लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे है। पहले सभी अपने अपने राज्य में प्रदर्शन कर रहे थे जब कोई परिणाम नही निकला तो किसानों ने दिल्ली की सीमा पर डेरा जमा लिया है। गणतंत्र पर किसानों ने किसान ट्रेक्टर मार्च निकाला जिसमे लाखो की संख्या में किसानों ने भाग लिया। कुछ उपद्रवियों ने उतेजित होकर लाल किले में अपना आंदोलन का झंडा फहरा दिया। और अधिकतर किसान ट्रेक्टर मार्च के लिए निश्चित रास्ते से अपनी जगह वापस लौट आए। लेकिन सरकार आंदोलन को बदनाम कर रही है कि लाल किले से किसानों ने तिरंगा हटा दिया और खालीस्तान का झंडा लगा दिया। जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नही है। किसानों ने तिरंगे के साथ कोई छेड़छाड़ नही की है बल्कि उसके नीचे अपने अपने झंडे फहराया है। कोई नया झंडा नही फहराया गया जो झंडे फहराए गए वो आंदोलन के पहले दिन से ही किसानों के पास थे। किसानों की समस्या का समाधान करने की बजाए सरकार और किसान विरोधी लोग किसानों को ही कटघरे में खड़ा कर रहे है।
चम्बा ! बुधवार को एसएफआई इकाई चम्बा ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर भारत सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में काफी लंबे समय से चले हुए किसान आंदोलन के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। इस मौके पर धरने का संचालन करते हुए इकाई सचिव शाहबाज ने बताया कि किसान आंदोलन तो साफ तौर से छात्रों से भी जुड़ा है। क्योंकि अधिकतर छात्र किसान परिवार से सम्बंध रखते है। सरकार द्वारा लाए गए तीनो कृषि कानून किसानों के लिए आत्महत्या के समान है। सरकार लगातार सरकारी क्षेत्र को खत्म करती जा रही है। इसी कड़ी में कृषि को भी निजी हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी है। जिसके कारण देशभर के किसान काफी लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे है।
पहले सभी अपने अपने राज्य में प्रदर्शन कर रहे थे जब कोई परिणाम नही निकला तो किसानों ने दिल्ली की सीमा पर डेरा जमा लिया है। गणतंत्र पर किसानों ने किसान ट्रेक्टर मार्च निकाला जिसमे लाखो की संख्या में किसानों ने भाग लिया। कुछ उपद्रवियों ने उतेजित होकर लाल किले में अपना आंदोलन का झंडा फहरा दिया। और अधिकतर किसान ट्रेक्टर मार्च के लिए निश्चित रास्ते से अपनी जगह वापस लौट आए। लेकिन सरकार आंदोलन को बदनाम कर रही है कि लाल किले से किसानों ने तिरंगा हटा दिया और खालीस्तान का झंडा लगा दिया।
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जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नही है। किसानों ने तिरंगे के साथ कोई छेड़छाड़ नही की है बल्कि उसके नीचे अपने अपने झंडे फहराया है। कोई नया झंडा नही फहराया गया जो झंडे फहराए गए वो आंदोलन के पहले दिन से ही किसानों के पास थे। किसानों की समस्या का समाधान करने की बजाए सरकार और किसान विरोधी लोग किसानों को ही कटघरे में खड़ा कर रहे है।
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