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चम्बा ! 11 दिसंबर 2021 को कमेटी गठन की अधिसूचना करने के बाद उसको टाइम बाउंड करने के बाद भी 1 महीना गुजर गया कमेटी नहीं बना पाई अफसरशाही । प्रदेश में सरकार जयराम ठाकुर जी की है या अफशरशाही की जो मुख्यमंत्री महोदय के आदेशों की अवहेलना पर अवहेलना किए जा रही और मुख्यमंत्री महोदय को इसकी जानकारी है भी या नही। 2009 की केंद्रीय अधिसूचना जिसके अंतर्गत मृत्यु एवम अपंगता पर एनपीएस कर्मचारी के आश्रितों को पुरानी पेंशन का लाभ देय है उसकी घोषणा 27 नवम्बर 2021 को माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ने की थी लेकिन लगभग 2 महीने गुजर जाने के बाद तक भी वो घोषणा सिर्फ घोषणा ही है ।जिससे कर्मचारियों और उनके आश्रितों में सरकार के प्रति असंतोष और अविश्वास पैदा हो रहा है। जरयाल ने सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि माना कि प्रदेश सरकार ने घोषणा कर दी है लेकिन क्या कभी मुख्यमंत्री महोदय ने अपने उच्च अधिकारियों की कभी अपने 4 साल में की गई घोषणाओं की जमीनी हकीकत जानने की रिव्यू बैठक आयोजित की है , क्या उन्होंने उन अधिकारियों को कभी पूछा कि जो मैंने घोषणाएं की हैं उनपर अधिसूचनाएँ निकली हैं या वो अभी भी घोषणाएं ही हैं और अगर उन्होंने घोषणा की है तो उसका लागू न हो पाना अफशरशाही की कोताही है या मुख्यमंत्री महोदय के आदेशों की सरासर अवहेलना। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का ये हाल है तो आम जनता के मुद्दों के साथ क्या खिलवाड़ होता होगा इसके बारे में बताने की आवश्यकता नहीं रह जाती। जरयाल ने बताया कि वर्चुअल मीटिंग के जरिये कर्मचारियों ने बैठक की और आने वाले 31 जनवरी तक अगर सरकार द्वारा ओल्ड पेंशन बहाली हेतु कमेटी की अधिसूचना और कमेटी की बैठक आयोजित नहीं की जाती तो कर्मचारी सड़कों पर आएँगे जिसकी एक झलक धर्मशाला जिलाधीश कार्यालय से दाड़ी मेला मैदान में सरकार देख चुकी है और शिमला में ये संख्या दुगुनी नहीं तिगुनी होगी इसीलिए समय रहते सरकार वार्ता के लिए कदम बढ़ाए। बजट सत्र की तैयारियाँ शुरू हैं और उस से पहले कम से कम 2,3 बैठकें अगर इस कमेटी की होती हैं तो निश्चित रूप से माननीय मुख्यमंत्री महोदय जयराम ठाकुर जी पहले मुख्यमंत्री बन सकते हैं जो ओल्ड पेंशन की बहाली करके कर्मचारियों की एक जायज माँग को इसी बजट सत्र में पूरा कर सकते हैं । जरयाल ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए रोड़ा पैसों की कमी नहीं है बल्कि वो अफ़सरशाही है जिनको अभी तक ये ही जानकारी नहीं है कि कितना पैसा सरकार और कर्मचारियों का कम्पनियों को लुटाया जा रहा है । जरयाल ने बताया कि वार्ता के माध्यम से ही इस समस्या का हल होगा और जल्द इस विषय पर सरकार को वार्ता हेतु कमेटी को बुलाना चाहिए ताकि बजट के लिए सुझाव और इस समस्या के निदान का रास्ता निकल सके। सुनील ने बताया कि कमेटी में 12 के 12 जिला अध्यक्षों को शामिल किया जाना चाहिए ।
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