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चम्बा ! चम्बा जिला को शिवभूमि के नाम से भी जाना जाता है । यहां के मेले व त्यौहार पूरी दुनिया में एक अलग ही पहचान बनाए हुए हैं। हर साल जिला के अलग-अलग क्षेत्रों में मंदिरों में मेले ओर त्योहारों का आयोजन किया जाता है। ऐसी ही एक परंपरा चम्बा जिला के देवी कोठी में स्थित माता बेराबली और चंबा मुख्यालय में स्थित चामुंडा माता दोनों बहनों की कहानी बहुत ही प्रचलित है। हर साल वैशाखी के महीने में माता बेरवाली अपने देवस्थान देवी कोठी से अपनी बहन चामुंडा से मिलने के लिए चम्बा मुख्यालय पहुंचती है । देवी कोठी से चम्बा की दूरी करीब 100 किलोमीटर है और वहां से यह लोग माता बेरावाली की मूर्ति को लेकर पैदल रास्ते से चम्बा मुख्यालय पहुंचते हैं। यहां पर 10 दिनों तक माता बेराबाली अपनी बहन चामुंडा के घर में रहती है ।जहां से स्थानीय लोग माता के चिन्ह को अपने घरों में लेकर पूजा अर्चना करते हैं । पिछले साल कोविड-19 की वजह से माता बेराबाली अपनी बहन से मिलने के लिए चम्बा नहीं पहुंच पाई । लेकिन इस बार प्रशासन द्वारा अनुमति मिलने के बाद माता बेराबाली अपनी बहन चामुंडा से मिलने चम्बा पहुंच गई। हर बार जब माता चामुंडा अपनी बहन से मिलने चंबा के मुख्य द्वार में पहुंचती है तो इंद्र देवता भी हल्की बूंदाबांदी से अपनी प्रस्तुति दर्ज करवाते हैं। हर बार माता बेराबाली जब चम्बा मुख्यालय पहुंचती है तो हल्की बारिश जरूर होती है इसी चमत्कार को लोग हर बार नमस्कार करते हैं। लोगों की माने तो पिछली बार जब माता बैरवाली अपनी बहन से मिलने नहीं पहुंची तो यहां पर बारिश की बहुत कमी देखने को मिली। लेकिन जैसे ही इस बार माता बेरवाली चम्बा मुख्यालय में पहुंची तो इंद्र देवता खूब जमकर बरसे ।अब लोग अगले 10 दिनों सभी लोग दोनों बहनों के एक साथ के दर्शन करने के लिए चामुंडा मंदिर पहुंच रहे हैं । लेकिन कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने माता के चिन्ह को लोगों के घरों में जाने की अनुमति नहीं दी। इसी के चलते लोगों में थोड़ी निराशा देखने को मिल रही है । लेकिन उसके बावजूद लोग दोनों बहनों के एक साथ दर्शन करने के लिए माता चामुंडा के मंदिर पहुंच रहे हैं। यह परंपरा पिछले कई सदियों से चली आ रही है। यहां चामुंडा मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता बेराबाली वाली अपनी बहन चामुंडा से मिलने के लिए पहुंच चुकी है लेकिन इस बार माता के चिन्ह को लोगों के घरों में जाने की अनुमति नहीं दी गई है। लोगों को यही पर मंदिर में कोविड 19 के नियमो का पालन करते हुए दोनों देवियों के दर्शन करने होंगे वहीं बेरावाली माता के पुजारी ने बताया कि हर साल बैसाख के महीने में मां बेरावाली अपनी बहन चामुंडा से मिलने के लिए आती है 5 दिनों में वह पैदल मार्ग से चम्बा मुख्यालय पहुंचती है। उसके बाद यहां पर 10 दिन के बाद एक मेले का आयोजन होता है जिसमें यहां पर खूब रौनक देखने को मिलती है।
चम्बा ! चम्बा जिला को शिवभूमि के नाम से भी जाना जाता है । यहां के मेले व त्यौहार पूरी दुनिया में एक अलग ही पहचान बनाए हुए हैं। हर साल जिला के अलग-अलग क्षेत्रों में मंदिरों में मेले ओर त्योहारों का आयोजन किया जाता है। ऐसी ही एक परंपरा चम्बा जिला के देवी कोठी में स्थित माता बेराबली और चंबा मुख्यालय में स्थित चामुंडा माता दोनों बहनों की कहानी बहुत ही प्रचलित है। हर साल वैशाखी के महीने में माता बेरवाली अपने देवस्थान देवी कोठी से अपनी बहन चामुंडा से मिलने के लिए चम्बा मुख्यालय पहुंचती है । देवी कोठी से चम्बा की दूरी करीब 100 किलोमीटर है और वहां से यह लोग माता बेरावाली की मूर्ति को लेकर पैदल रास्ते से चम्बा मुख्यालय पहुंचते हैं। यहां पर 10 दिनों तक माता बेराबाली अपनी बहन चामुंडा के घर में रहती है ।जहां से स्थानीय लोग माता के चिन्ह को अपने घरों में लेकर पूजा अर्चना करते हैं । पिछले साल कोविड-19 की वजह से माता बेराबाली अपनी बहन से मिलने के लिए चम्बा नहीं पहुंच पाई । लेकिन इस बार प्रशासन द्वारा अनुमति मिलने के बाद माता बेराबाली अपनी बहन चामुंडा से मिलने चम्बा पहुंच गई।
हर बार जब माता चामुंडा अपनी बहन से मिलने चंबा के मुख्य द्वार में पहुंचती है तो इंद्र देवता भी हल्की बूंदाबांदी से अपनी प्रस्तुति दर्ज करवाते हैं। हर बार माता बेराबाली जब चम्बा मुख्यालय पहुंचती है तो हल्की बारिश जरूर होती है इसी चमत्कार को लोग हर बार नमस्कार करते हैं। लोगों की माने तो पिछली बार जब माता बैरवाली अपनी बहन से मिलने नहीं पहुंची तो यहां पर बारिश की बहुत कमी देखने को मिली। लेकिन जैसे ही इस बार माता बेरवाली चम्बा मुख्यालय में पहुंची तो इंद्र देवता खूब जमकर बरसे ।अब लोग अगले 10 दिनों सभी लोग दोनों बहनों के एक साथ के दर्शन करने के लिए चामुंडा मंदिर पहुंच रहे हैं । लेकिन कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने माता के चिन्ह को लोगों के घरों में जाने की अनुमति नहीं दी। इसी के चलते लोगों में थोड़ी निराशा देखने को मिल रही है । लेकिन उसके बावजूद लोग दोनों बहनों के एक साथ दर्शन करने के लिए माता चामुंडा के मंदिर पहुंच रहे हैं। यह परंपरा पिछले कई सदियों से चली आ रही है। यहां चामुंडा मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता बेराबाली वाली अपनी बहन चामुंडा से मिलने के लिए पहुंच चुकी है लेकिन इस बार माता के चिन्ह को लोगों के घरों में जाने की अनुमति नहीं दी गई है। लोगों को यही पर मंदिर में कोविड 19 के नियमो का पालन करते हुए दोनों देवियों के दर्शन करने होंगे
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वहीं बेरावाली माता के पुजारी ने बताया कि हर साल बैसाख के महीने में मां बेरावाली अपनी बहन चामुंडा से मिलने के लिए आती है 5 दिनों में वह पैदल मार्ग से चम्बा मुख्यालय पहुंचती है। उसके बाद यहां पर 10 दिन के बाद एक मेले का आयोजन होता है जिसमें यहां पर खूब रौनक देखने को मिलती है।
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