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चम्बा ! राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद चम्बा ने मांगों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा। इस मौके पर उन्होंने बताया कि प्रदेश में शास्त्री एवं अध्यापकों की नियुक्ति भर्ती नियमों के अनुसार होती है। जिसके अनुसार शास्त्री का भाषा अध्यापकों को टीजीटी पद नाम दिया जाता है। देश के अन्य राज्यों में भी व्यवस्था लागू है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में अभी तक इस व्यवस्था को लागू नहीं किया गया है। जिस कारण अध्यापक जिस पद पर नियुक्त होते हैं ,उसी पद पर सेवानिवृत्त हो जाते हैं। पूरे जीवन काल में उन्हें पदोन्नति का अवसर पैदा नहीं होता ,जबकि भारत की प्रथम राजभाषा हिंदी और द्वितीय राजभाषा संस्कृत है। उन्होंने बताया कि इस बारे में मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से भी बजट की मांग की गई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि बजट में शास्त्री अध्यापकों को जेबीटी शास्त्री तथा भाषा अध्यापकों को टीजीटी हिंदी पदनाम दिलाने के लिए कार्य किया।
चम्बा ! राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद चम्बा ने मांगों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा। इस मौके पर उन्होंने बताया कि प्रदेश में शास्त्री एवं अध्यापकों की नियुक्ति भर्ती नियमों के अनुसार होती है। जिसके अनुसार शास्त्री का भाषा अध्यापकों को टीजीटी पद नाम दिया जाता है। देश के अन्य राज्यों में भी व्यवस्था लागू है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में अभी तक इस व्यवस्था को लागू नहीं किया गया है। जिस कारण अध्यापक जिस पद पर नियुक्त होते हैं ,उसी पद पर सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
पूरे जीवन काल में उन्हें पदोन्नति का अवसर पैदा नहीं होता ,जबकि भारत की प्रथम राजभाषा हिंदी और द्वितीय राजभाषा संस्कृत है। उन्होंने बताया कि इस बारे में मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से भी बजट की मांग की गई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि बजट में शास्त्री अध्यापकों को जेबीटी शास्त्री तथा भाषा अध्यापकों को टीजीटी हिंदी पदनाम दिलाने के लिए कार्य किया।
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