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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 31 जुलाई 2021 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा हिन्दी के कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान को रेखांकित करते हुए समकालीन कवि केदारनाथ सिंह की जयंती मनाई। इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों द्वारा कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का गूगल-मीट आयोजन किया गया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविधालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। इस आयोजन में शिमला, हैदराबाद, तथा दिल्ली से रचनाकारों ने जुड़ कर आयोजन को और गरिमापूर्ण बनाया। कार्यक्रम की शुरुआत में चम्बा के दिवंगत कवि-आर्टिस्ट देव बड़ौतरा तथा शिमला के दिवंगत कवि-आलोचक श्रीनिवास श्रीकांत की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। तदुपरांत कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। मंच के वरिष्ठ सलाहकार भूपेन्द्र सिंह जसरोटिया ने पहली अनुभूति कविता तथा चंबियाली रैप 'सुख दुःख देयाँ मेरे मालका' गाकर सभी को प्रफुल्लित किया। चम्बा महाविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठशाला के महासचिव डॉ. संतोष कुमार ने 'पाठशाला यह सृजन की' कविता का पाठ करके सभी को मंत्रमुग्ध किया। डॉ संतोष कुमार ने केदारनाथ सिंह पर अपना लेख भी पढ़ कर केदारनाथ सिंह के काव्य को वर्तमान संदर्भो के साथ जोड़ा। अभिषेक ठाकुर ने 'देश बदल रहा है' कविता द्वारा वर्तमान व्यवस्था पर व्यंग किया। कवि हेम राज ने 'अब गाँव में बसता हूँ मैं' कविता द्वारा सभी का मन मोह लिया। उषा शोना ने 'मेरे मुल्क के जवान' कविता द्वारा देश प्रेम से ओत प्रोत रचना पढ़ी। संजय हिमाचली ने 'ऐ हवा तू बता मुझे' कविता से जीवन और मरण के शास्वत सत्य को उजागर किया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने कवि केदारनाथ सिंह की कविता 'महानगर में कवि' तथा स्वयं रचित कविता 'अब समां आयेगा' द्वारा जीवन की सच्चाई को उजागर करते हुए सभी को मंत्र मुग्ध किया। इस अवसर पर डॉ. ऋतु वार्ष्णेय गुप्ता ने 'स्त्री' विमर्श पर चार छोटी- छोटी कविताएं पढ़ीं। इनमें स्त्री जीवन का पूरा चित्रण करके सब के समक्ष रख दिया। हैदराबाद से स्वाति महाजन मुख्य रूप से उपस्थित रहीं तथा पठित रचनाओं पर अपनी राय देती रहीं। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष कुमार ने पढ़ी गई रचना पर अपनी त्वरित आलोचनात्मक टिप्पणियों के साथ बड़ी खूबसूरती के साथ किया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने समापन वक्तव्य में कहा कि चम्बा के युवा पीढ़ी के सृजनरत्त रचनाकारों में कला तथा सृजन के प्रति जोश भरने की अभी बहुत सम्भावनाएं विद्यमान हैं।
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