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कुल्लू ! आज मोहल मे हिमालयन नीति अभियान एवं इक्वेशन संगठनो के माध्यम से आशा वर्करों को कोरोना महामारी मे सुरक्षित रूप से कार्य करने के लिए सुरक्षा किट प्रदान की गयी। सुरक्षा किट मे ऑक्सि/ प्लस मीटर, प्री किट , सर्जिकल केप , नाइट्रेट ग्लव्स, सैनिटाइजर , एन- 95 मास्क , डिजिटल थर्मामीटर एवं इम्युनिटी क्वाथ प्रदान किया गया। इस मौके पर बी.एम.ओ जरी डाक्टर सपना शर्मा जी भी उपस्थित रही। संस्था के राज्य सचिव संदीप मिन्हास ने बताया कि इस महामारी के चलते लोगो के स्वास्थ्य की निगरानी करने मे आशा वर्कर का योगदान सराहनीय है। आशा वर्कर इस महामारी मे स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी की तरह उभरी हैं यह मुकाम उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से हासिल किया है। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर को भी कोरोना योद्धा का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिये। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि आशा वर्कर को उसे 6 माह की फर्स्ट एड ट्रेनिंग प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रो मे इनकी भूमिका स्वास्थ्य के क्षेत्र मे और सुदृढ़ की जाये। उन्होंने बताया कि हिमालय नीति अभियान ने वर्ष 2020-21 के कोविड संकट के दौरान हजारो परिवारों की मदद की थी तथा इस वर्ष भी संस्था यथासंभव मदद कर रही है। कार्यक्रम में आईआरसीए की काउंसलर दिव्या वर्मा ने लोगों को बताया कि नशे की लत से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है अगर इसका इलाज सही समय पर सही मार्गदर्शन में किया जा सके उन्होंने बताया कि माहौल स्थित नशा निवारण केंद्र जोकि भारत सरकार के सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा गुंजन ऑर्गनाइजेशन संचालित करती है उसमें नशे से ग्रसित लोगों के पीड़ित लोगों काइलाज किया जाता है। इलाज दो माध्यम से किया जाता है जिसमें ओपीडी के माध्यम से लोग यहां पर अपना इलाज करवा सकते हैं और काउंसलिंग परामर्श करवा सकते हैं उनको इसमें ऐडमिशन एडमिट होने की आवश्यकता नहीं है दूसरा ऐसे लोग जो नशे से ज्यादा ग्रसित हैं और घर में रहकर अपना इलाज नहीं कर सकते हैं उनके लिए केंद्र आईपीडी की सेवाएं जिसमें उनका एडमिशन किया जाता है और एडमिशन करने के बाद उनका इलाज तीन चरणों में किया जाता है पहले चरण में जो ग्रसित लोग हैं। उनका डिटॉक्सिफिकेशन किया जाता है डिटॉक्सिफिकेशन के बाद उनको काउंसलिंग के माध्यम से नशे से कैसे बचें क्या उनके कारण है और जो कारक हैं नशे के लिए उन कारकों से कैसे निपटा जाए उसके लिए काम किया जाता है ।इसके साथ ही साथ जो परिवार में नशे से ग्रसित लोग और उनके परिवार की काउंसलिंग की जाती है ताकि ऐसी स्थिति में जिसमें उनके परिवार का सदस्य नशे से ग्रसित है उसका कैसे इलाज करवा सकें और इलाज करवाने के बाद वह कैसे उसके साथ रहे क्या व्यवहार करें कैसे उसको डील करें। इसके बाद नशे से ग्रसित आदमी को रिहैबिलिटेशन जिसमें अपनी पुरानी जिंदगी में कैसे जाया जा सकता है जहां पर अगर वह पढ़ाई कर रहा है तो पढ़ाई के साथ उसका समन्वय कैसे होगा ,रोजगार के साथ उसका संबंध कैसे होगा इस तरह के कार्यक्रम करवाए जाते हैं उन्होंने कहा की आशा वर्कर ,हेल्थ वर्कर ,नर्स हैं इससे निपटने के लिए एक कारगर कड़ी का रूप अदा कर सकती हैं क्योंकि आशा वर्कर घर-घर जाकर लोगों से मिलती हैं और इस दौर में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो नशे से पीड़ित हैं जिनका इलाज जरूरी है लेकिन बहुत से परिवारों को यह समझ नहीं है कि वह अपने पीड़ित बच्चे पति या घर के अन्य सदस्यों को कहां पर इलाज करवा सकें तो उनके लिए या तो वह कुल्लू हॉस्पिटल में या फिर आईआरसीए कुल्लू में अपना इलाज करवा सकते हैं। कार्यक्रम में विशेष रुप से भाटिया जी रिटायर्ड बैंक मैनेजर रमा ठाकुर सहारा ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर राजेंद्र चौहान आईआरसीए के स्टाफ नर्स मैडम ललिता, काउंसलर गुरबचन सिंह आदि सम्मिलित रहे। आशा वर्करों के इस सराहनीय कार्यों के लिए हिमालय नीति अभियान की ओर से एक एक परशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
कुल्लू ! आज मोहल मे हिमालयन नीति अभियान एवं इक्वेशन संगठनो के माध्यम से आशा वर्करों को कोरोना महामारी मे सुरक्षित रूप से कार्य करने के लिए सुरक्षा किट प्रदान की गयी। सुरक्षा किट मे ऑक्सि/ प्लस मीटर, प्री किट , सर्जिकल केप , नाइट्रेट ग्लव्स, सैनिटाइजर , एन- 95 मास्क , डिजिटल थर्मामीटर एवं इम्युनिटी क्वाथ प्रदान किया गया। इस मौके पर बी.एम.ओ जरी डाक्टर सपना शर्मा जी भी उपस्थित रही।
संस्था के राज्य सचिव संदीप मिन्हास ने बताया कि इस महामारी के चलते लोगो के स्वास्थ्य की निगरानी करने मे आशा वर्कर का योगदान सराहनीय है। आशा वर्कर इस महामारी मे स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी की तरह उभरी हैं यह मुकाम उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से हासिल किया है। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर को भी कोरोना योद्धा का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिये। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि आशा वर्कर को उसे 6 माह की फर्स्ट एड ट्रेनिंग प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रो मे इनकी भूमिका स्वास्थ्य के क्षेत्र मे और सुदृढ़ की जाये।
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उन्होंने बताया कि हिमालय नीति अभियान ने वर्ष 2020-21 के कोविड संकट के दौरान हजारो परिवारों की मदद की थी तथा इस वर्ष भी संस्था यथासंभव मदद कर रही है। कार्यक्रम में आईआरसीए की काउंसलर दिव्या वर्मा ने लोगों को बताया कि नशे की लत से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है अगर इसका इलाज सही समय पर सही मार्गदर्शन में किया जा सके उन्होंने बताया कि माहौल स्थित नशा निवारण केंद्र जोकि भारत सरकार के सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा गुंजन ऑर्गनाइजेशन संचालित करती है उसमें नशे से ग्रसित लोगों के पीड़ित लोगों काइलाज किया जाता है।
इलाज दो माध्यम से किया जाता है जिसमें ओपीडी के माध्यम से लोग यहां पर अपना इलाज करवा सकते हैं और काउंसलिंग परामर्श करवा सकते हैं उनको इसमें ऐडमिशन एडमिट होने की आवश्यकता नहीं है दूसरा ऐसे लोग जो नशे से ज्यादा ग्रसित हैं और घर में रहकर अपना इलाज नहीं कर सकते हैं उनके लिए केंद्र आईपीडी की सेवाएं जिसमें उनका एडमिशन किया जाता है और एडमिशन करने के बाद उनका इलाज तीन चरणों में किया जाता है पहले चरण में जो ग्रसित लोग हैं।
उनका डिटॉक्सिफिकेशन किया जाता है डिटॉक्सिफिकेशन के बाद उनको काउंसलिंग के माध्यम से नशे से कैसे बचें क्या उनके कारण है और जो कारक हैं नशे के लिए उन कारकों से कैसे निपटा जाए उसके लिए काम किया जाता है ।इसके साथ ही साथ जो परिवार में नशे से ग्रसित लोग और उनके परिवार की काउंसलिंग की जाती है ताकि ऐसी स्थिति में जिसमें उनके परिवार का सदस्य नशे से ग्रसित है उसका कैसे इलाज करवा सकें और इलाज करवाने के बाद वह कैसे उसके साथ रहे क्या व्यवहार करें कैसे उसको डील करें।
इसके बाद नशे से ग्रसित आदमी को रिहैबिलिटेशन जिसमें अपनी पुरानी जिंदगी में कैसे जाया जा सकता है जहां पर अगर वह पढ़ाई कर रहा है तो पढ़ाई के साथ उसका समन्वय कैसे होगा ,रोजगार के साथ उसका संबंध कैसे होगा इस तरह के कार्यक्रम करवाए जाते हैं उन्होंने कहा की आशा वर्कर ,हेल्थ वर्कर ,नर्स हैं इससे निपटने के लिए एक कारगर कड़ी का रूप अदा कर सकती हैं क्योंकि आशा वर्कर घर-घर जाकर लोगों से मिलती हैं और इस दौर में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो नशे से पीड़ित हैं जिनका इलाज जरूरी है लेकिन बहुत से परिवारों को यह समझ नहीं है कि वह अपने पीड़ित बच्चे पति या घर के अन्य सदस्यों को कहां पर इलाज करवा सकें तो उनके लिए या तो वह कुल्लू हॉस्पिटल में या फिर आईआरसीए कुल्लू में अपना इलाज करवा सकते हैं।
कार्यक्रम में विशेष रुप से भाटिया जी रिटायर्ड बैंक मैनेजर रमा ठाकुर सहारा ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर राजेंद्र चौहान आईआरसीए के स्टाफ नर्स मैडम ललिता, काउंसलर गुरबचन सिंह आदि सम्मिलित रहे। आशा वर्करों के इस सराहनीय कार्यों के लिए हिमालय नीति अभियान की ओर से एक एक परशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
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