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कुल्लू , 09 अगस्त ! जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के देव सदन विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लाहौल स्पीति के विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस आदिवासी संगठन के अध्यक्ष रवि ठाकुर के रूप में शामिल रहे। वही लायुल सुर संगम संस्था के द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें लाहौल स्पीति के संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई। वही, सांस्कृतिक कार्यक्रम में लाहौल स्पीति की संस्कृति के अलावा खान-पांव रहन-सहन के बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया। वहीं उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए विधायक रवि ठाकुर ने कहा कि आदिवासी दिवस मनाए जाने में अमेरिका के आदिवासियों का बड़ा योगदान है। दरअसल अमेरिका में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है। वहां के आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिसके लिए बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ था। इसलिए कोलंबस दिवस की जगह पर आदिवासी दिवस मनाया जाना चाहिए इसके लिए 1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने की मांग की गई। 1989 से आदिवासी समुदाय के लोगों ने इस दिन को सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया। इसके बाद हर साल 12 अक्टूबर को कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने लगे। इसके बाद यूनाइटेड नेशन ने साल 1994 में आधिकारिक रूप से आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि भारत की बात करें तो यहां मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार आदि तमाम राज्यों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। मध्य प्रदेश में 46 आदिवासी जनजातियां निवास करती हैं। एमपी की कुल जनसंख्या के 21 फीसदी लोग आदिवासी समुदाय के हैं। वहीं झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी आदिवासी समाज के लोग हैं। इसके अलावा भी तमाम राज्यों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं।
कुल्लू , 09 अगस्त ! जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के देव सदन विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लाहौल स्पीति के विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस आदिवासी संगठन के अध्यक्ष रवि ठाकुर के रूप में शामिल रहे। वही लायुल सुर संगम संस्था के द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें लाहौल स्पीति के संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई। वही, सांस्कृतिक कार्यक्रम में लाहौल स्पीति की संस्कृति के अलावा खान-पांव रहन-सहन के बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया। वहीं उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए विधायक रवि ठाकुर ने कहा कि आदिवासी दिवस मनाए जाने में अमेरिका के आदिवासियों का बड़ा योगदान है।
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दरअसल अमेरिका में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है। वहां के आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिसके लिए बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ था। इसलिए कोलंबस दिवस की जगह पर आदिवासी दिवस मनाया जाना चाहिए इसके लिए 1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस सम्मेलन में कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने की मांग की गई। 1989 से आदिवासी समुदाय के लोगों ने इस दिन को सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया। इसके बाद हर साल 12 अक्टूबर को कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने लगे।
इसके बाद यूनाइटेड नेशन ने साल 1994 में आधिकारिक रूप से आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि भारत की बात करें तो यहां मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार आदि तमाम राज्यों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। मध्य प्रदेश में 46 आदिवासी जनजातियां निवास करती हैं।
एमपी की कुल जनसंख्या के 21 फीसदी लोग आदिवासी समुदाय के हैं। वहीं झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी आदिवासी समाज के लोग हैं। इसके अलावा भी तमाम राज्यों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं।
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