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शिमला , 22 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के 1500 मेगावाट, 412 मेगावाट और 210 मेगावाट हाइड्रो प्रोजेक्टों में कार्यरत ठेका मज़दूरों की मांगों को लेकर सीटू से संबधित यूनियनों और एस जे वी एन की हाइड्रो परियोजनाओं मे कार्यरत सैंकड़ों मज़दूरों ने एस जे वी एन मुख्यालय शनान शिमला में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन ग्रेच्युटी, बीमा व काम के आधार पर पद जैसी मुख्य मांगों को लेकर किया गया। प्रदर्शन में सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, ज़िला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, कोषाध्यक्ष बालक राम, सचिव अमित, हिमी देवी, विवेक कश्यप, नीलदत्त, रंजीव कुठियाला, 1500 मेगावाट यूनियन अध्यक्ष गुरदास, महासचिव कामराज, उपाध्यक्ष कौल राम, 412 मेगावाट यूनियन अध्यक्ष प्रमोद, महासचिव तिलक, कोषाध्यक्ष संजीव 210 मेगावाट यूनियन अध्यक्ष मंजीत, सचिव सतीश, कोषाध्यक्ष विक्रम, लुहरी हाइड्रो निर्माण मज़दूर यूनियन अध्यक्ष राजपाल, महासचिव दिनेश, कोषाध्यक्ष चंद्र पाल, लुहरी हाइड्रो निर्माण मज़दूर यूनियन अध्यक्ष राजपाल, महासचिव दिनेश, कोषाध्यक्ष चंद्र पाल, सुन्नी डेम हाइड्रो अध्यक्ष ओम प्रकश, महासचिव प्रेम प्रकाश, सचिव दुष्यंत, होटल यूनियन अध्यक्ष प्रताप चौहान, महासचिव कपिल नेगी, आई जी एम सी यूनियन अध्यक्ष वीरेंदर, महासचिव नोख राम, कालीबाड़ी वर्कर्स यूनियन से दीप राम, विशाल मेगामार्ट वर्कर्स, एस टी पी वर्कर्स यूनियन, सैहब सोसाइटी यूनियन, मेन्टल हॉस्पिटल वर्कर्स यूनियन, तेहबाज़ारी यूनियन, चमियाना यूनियन के नेतृत्वकारी साथियों सहित सैंकड़ों मज़दूरों ने भाग लिया। प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए मज़दूर नेताओं ने कहा कि एसजेवीएन को भारत सरकार के सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा प्रतिष्ठित नवरत्न का दर्जा प्रदान किया गया है। इस प्रतिष्ठित उपलब्धि के साथ कंपनी भारत की 25वीं नवरत्न कंपनी बन गई है, जो एसजेवीएन की 1988 में स्थपना के बाद 36 साल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मज़दूरों के बिना एसजेवीएन के इस सफर की कल्पना करना भी असंभव है। कंपनी ने वित वर्ष 2023-24 में हाइड्रो सौर और पवन में 8489 एमयू बिजली उत्पादन कर 908.40 करोड़ रूपये का शुद्ध मुनाफा कमाया। बिजली उत्पादन का अधिकतम हिस्सा हाइड्रो प्रोजेक्टों से आता है। इन्ही हाइड्रो प्रोजेक्टों में कार्यरत मज़दूरों को न्यूनतम वेतन नही दिया जा रहा है। न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के प्रावधानों कार्य की प्रकृति के अनुसार मजदूरों को अलग अलग श्रेणी में रखा जाता है, ताकि उनके श्रेणी के अनुसार निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए। सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा मज़दूरों को कुशल श्रेणी का काम करवाया जाता है और वेतन अर्धकुशल का दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मजदूरों के लिए बीमा का कोई प्रावधान नही है, जबकि एन एच पी सी मज़दूरों को बीमा की सुविधा देती है। मज़दूरों को ग्रेच्युटी की सुविधा से वंचित रखा जा रहा है। हमारा संविधान देश का सर्वोच्च कानून है जिसे हमारे देश के सभी कानूनों का आधार माना जाता है। हमारे देश में श्रम कानून संविधान के मौलिक अधिकार भाग और राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। ग्रेच्युटी विषय पर विचार करते समय हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी मजदूर को ग्रेच्युटी का भुगतान i) सेवानिवृत्ति या अधिवर्षिता, ii) मजदूर की मृत्यु, iii) मज़दूर की विकलांगता, iv) मज़दूर का त्यागपत्र आदि परिस्थियों में किया जाता है। ये सारी परिस्थितियां व्यक्ति की आजीविका से जुड़ी है, ऐसे में प्रबंधन द्वारा ग्रेच्युटी ना देना मज़दूरों को जीवन जीने के अधिकार से वंचित रखना है। मज़दूर विरोधी प्रबंधन द्वारा जो मजदूर अपनी हकों की आवाज उठा रहा है उन्हें चिन्हित करके प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है। मज़दूर नेताओं ने कहा कि यदि आने वाले समय में मज़दूरों की मांगों को नही माना गया तो मज़बूरन अनिश्चितकालीन समय के लिए हाइड्रो परियोजनाओं का काम बंद करना पड़ेगा।
शिमला , 22 अप्रैल [ विशाल सूद ] ! सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के 1500 मेगावाट, 412 मेगावाट और 210 मेगावाट हाइड्रो प्रोजेक्टों में कार्यरत ठेका मज़दूरों की मांगों को लेकर सीटू से संबधित यूनियनों और एस जे वी एन की हाइड्रो परियोजनाओं मे कार्यरत सैंकड़ों मज़दूरों ने एस जे वी एन मुख्यालय शनान शिमला में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन ग्रेच्युटी, बीमा व काम के आधार पर पद जैसी मुख्य मांगों को लेकर किया गया।
प्रदर्शन में सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, ज़िला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, कोषाध्यक्ष बालक राम, सचिव अमित, हिमी देवी, विवेक कश्यप, नीलदत्त, रंजीव कुठियाला, 1500 मेगावाट यूनियन अध्यक्ष गुरदास, महासचिव कामराज, उपाध्यक्ष कौल राम, 412 मेगावाट यूनियन अध्यक्ष प्रमोद, महासचिव तिलक, कोषाध्यक्ष संजीव 210 मेगावाट यूनियन अध्यक्ष मंजीत, सचिव सतीश, कोषाध्यक्ष विक्रम, लुहरी हाइड्रो निर्माण मज़दूर यूनियन अध्यक्ष राजपाल, महासचिव दिनेश, कोषाध्यक्ष चंद्र पाल, लुहरी हाइड्रो निर्माण मज़दूर यूनियन अध्यक्ष राजपाल, महासचिव दिनेश, कोषाध्यक्ष चंद्र पाल, सुन्नी डेम हाइड्रो अध्यक्ष ओम प्रकश, महासचिव प्रेम प्रकाश, सचिव दुष्यंत, होटल यूनियन अध्यक्ष प्रताप चौहान, महासचिव कपिल नेगी, आई जी एम सी यूनियन अध्यक्ष वीरेंदर, महासचिव नोख राम, कालीबाड़ी वर्कर्स यूनियन से दीप राम, विशाल मेगामार्ट वर्कर्स, एस टी पी वर्कर्स यूनियन, सैहब सोसाइटी यूनियन, मेन्टल हॉस्पिटल वर्कर्स यूनियन, तेहबाज़ारी यूनियन, चमियाना यूनियन के नेतृत्वकारी साथियों सहित सैंकड़ों मज़दूरों ने भाग लिया।
प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए मज़दूर नेताओं ने कहा कि एसजेवीएन को भारत सरकार के सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा प्रतिष्ठित नवरत्न का दर्जा प्रदान किया गया है। इस प्रतिष्ठित उपलब्धि के साथ कंपनी भारत की 25वीं नवरत्न कंपनी बन गई है, जो एसजेवीएन की 1988 में स्थपना के बाद 36 साल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मज़दूरों के बिना एसजेवीएन के इस सफर की कल्पना करना भी असंभव है।
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कंपनी ने वित वर्ष 2023-24 में हाइड्रो सौर और पवन में 8489 एमयू बिजली उत्पादन कर 908.40 करोड़ रूपये का शुद्ध मुनाफा कमाया। बिजली उत्पादन का अधिकतम हिस्सा हाइड्रो प्रोजेक्टों से आता है।
इन्ही हाइड्रो प्रोजेक्टों में कार्यरत मज़दूरों को न्यूनतम वेतन नही दिया जा रहा है। न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के प्रावधानों कार्य की प्रकृति के अनुसार मजदूरों को अलग अलग श्रेणी में रखा जाता है, ताकि उनके श्रेणी के अनुसार निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए। सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा मज़दूरों को कुशल श्रेणी का काम करवाया जाता है और वेतन अर्धकुशल का दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त मजदूरों के लिए बीमा का कोई प्रावधान नही है, जबकि एन एच पी सी मज़दूरों को बीमा की सुविधा देती है। मज़दूरों को ग्रेच्युटी की सुविधा से वंचित रखा जा रहा है। हमारा संविधान देश का सर्वोच्च कानून है जिसे हमारे देश के सभी कानूनों का आधार माना जाता है। हमारे देश में श्रम कानून संविधान के मौलिक अधिकार भाग और राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।
ग्रेच्युटी विषय पर विचार करते समय हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी मजदूर को ग्रेच्युटी का भुगतान i) सेवानिवृत्ति या अधिवर्षिता, ii) मजदूर की मृत्यु, iii) मज़दूर की विकलांगता, iv) मज़दूर का त्यागपत्र आदि परिस्थियों में किया जाता है। ये सारी परिस्थितियां व्यक्ति की आजीविका से जुड़ी है, ऐसे में प्रबंधन द्वारा ग्रेच्युटी ना देना मज़दूरों को जीवन जीने के अधिकार से वंचित रखना है। मज़दूर विरोधी प्रबंधन द्वारा जो मजदूर अपनी हकों की आवाज उठा रहा है उन्हें चिन्हित करके प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है।
मज़दूर नेताओं ने कहा कि यदि आने वाले समय में मज़दूरों की मांगों को नही माना गया तो मज़बूरन अनिश्चितकालीन समय के लिए हाइड्रो परियोजनाओं का काम बंद करना पड़ेगा।
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