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चम्बा ! पहाड़ ट्रस्ट जिला चम्बा की ओर से 21 दिवसीय बोवेन थेरेपी पर कार्यशाला आयोजित की गई। इसका आयोजन पहाड़ ट्रस्ट की ओर से आस्ट्रेलियन हेल्थ कालेज आफ वाइब्रेंट थैरेपीज तथा नाट आन मैप संस्था के साथ मिलकर एचटूओ आनंदम कम्यूनिटी सेंटर में किया गया। कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहाड़ ट्रस्ट के मुख्य तकनीक सलाहकार डॉ. एससी शर्मा रहे। कार्यशाला की मुख्य फैसिलिटेटर बिमला राव रहीं, जो कि आस्ट्रेलियन हेल्थ कालेज आफ वाइब्रेंट थैरेपीज की संस्थापक हैं। कार्यशाला में पहाड़ ट्रस्ट द्वारा महिलाओं 15 महिलाओं का चयन विभिन्न गांव से किया गया था। प्रतिभागियों ने 21 दिन की कार्यशाला में बोवेन थेरेपी के अलग-अलग तरीकों व तकनीक को सीखा और एक दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा किए। कार्यशाला में 12 प्रतिभागियों को विमला राव की ओर से थेरेपी प्रैक्टिशनर के सर्टिफिकेट भी दिए गए। इसके अलावा पहाड़ ट्रस्ट और एचटूओ केंद्र द्वारा सभी प्रतिभागियों को सहभागिता पत्र भी दिए गए। इस कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर शर्मा द्वारा परंपरागत कृषि व सतत खाद्य प्रणाली पर प्रतिभागियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई। उन्हें बताया कि स्थानीय संसाधनों व खाद्य सामग्री से अपने पोषण स्तर को मजबूत बना सकते हैं। साथ ही स्थानीय स्तर पर पौष्टिक अनाज से संबंधित खाद्य प्रणाली पर प्रतिभागियों ने भी अपने-अपने विचार साझा किए। कार्यशाला के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र चंबा के समन्वयक डॉ धर्मेंद्र सिंह और उनकी टीम ने भी भाग लिया। डॉ धर्मेंद्र ने पहाड़ ट्रस्ट द्वारा एमथ्रीएम फाउंडेशन और डाक के सहयोग से किसानों के साथ जहर मुक्त परंपरागत खेती और पौष्टिक अनाज को लेकर चलाई गांव में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने पहाड़ ट्रस्ट के साथ मिलकर सतत कृषि और खाद्य प्रणाली पर मिलकर काम करने का आश्वासन भी दिया। कार्यशाला के समापन समारोह में एचटूओ आनंदम से रेनू शर्मा ने भी भाग लिया और उनके केंद्र द्वारा स्थानीय खाद्य प्रणाली और सतत टूरिज्म से संबंधित अपने कामों के बारे में बताया गया। उन्होंने परंपरागत खेती, खान-पान, देसी पौष्टिक अनाज और आजीविका के मुद्दे पर मिलकर काम करने का बात की। कार्यशाला की समापन समारोह में कृषि वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र ने भी भाग लिया और परंपरागत खान-पान के तरीके और उनके स्वास्थ्य से संबंधित सकारात्मक प्रभावों का पर विस्तार के साथ प्रतिभागियों को जागरूक किया। इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि जैविक व प्राकृतिक खेती आज समय की मांग है, क्योंकि बदलते हुए वातावरण व जलवायु की चुनौतियों से कृषि व आजीविका को जिंदा रखने का एकमात्र उपाय किसानों को रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभावों से के बारे में जागरूक करना और अधिक से अधिक किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की ओर लाना है। इस दिशा में पहाड़ ट्रस्ट जिला चंबा में स्थानीय कार्य कर रहा है। उन्होंने पहाड़ ट्रस्ट के साथ मिलकर काम करने का आश्वासन भी दिया। पहाड़ ट्रस्ट के निर्देशक अनूप कुमार ने जिला चम्बा में एमथ्रीएम फाउंडेशन और डीओसीसी के वित्तीय सहयोग से किए जाने वाले कार्यक्रमों को सांझा किया। उन्होंने बताया कि पहाड़ ट्रस्ट धीरे-धीरे अधिक से अधिक छोटे और मध्यम किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की दिशा में लाने के लिए समय-समय पर अभियान, क्षमता वर्धन कार्यशालाएं और फील्ड स्तर पर लगातार किसानों, पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा पहाड़ ट्रस्ट द्वारा जिला चचम्बा के चार पंचायत के 10 गांव में परंपरागत बीजों को खोजने बचाने के लिए चंबा बीज खोज अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के दौरान बाहर टीम की ओर से 119 किसानों से जो समूह व व्यक्तिगत स्तर पर स्थानीय देशी बीजों की उपलब्धता फायदे पर विस्तार से बातचीत की गई और 55 किसानों से अलग-अलग प्रकार के फसलों के बीच भी एकत्रित किए गए। फल स्वरुप पहाड़ ट्रस्ट ने एचटूओ केंद्र के साथ मिलकर एक परंपरागत बीज बैंक तैयार कर लिया है, जिसका मुख्य मकसद परंपरागत बीज को बचाना किसानों में बांटना और पुनर्जीवित करना है। वहीं विमला राव ने बताया कि हम पौष्टिक अनाज का उपयोग करके अपने आहार को अधिक उपयोगी व लाभदायक बना सकते हैं। कार्यशाला के समापन समारोह में पल्यूर पंचायत के उप प्रधान इमाम हुसैन और वन अधिकार मंच चंबा के सदस्य मनोज कुमार ने भी भाग लिया। इसके अलावा स्थानीय गायक पाली सिंह ने अपने मधुर लोक गायकी से सभी प्रतिभागियों को बहुत प्रभावित किया उनके इन गानों में जिला चंबा के की संस्कृति परंपरागत खान-पान और कृषि और खान-पान से संबंधित झलक शामिल थी।
चम्बा ! पहाड़ ट्रस्ट जिला चम्बा की ओर से 21 दिवसीय बोवेन थेरेपी पर कार्यशाला आयोजित की गई। इसका आयोजन पहाड़ ट्रस्ट की ओर से आस्ट्रेलियन हेल्थ कालेज आफ वाइब्रेंट थैरेपीज तथा नाट आन मैप संस्था के साथ मिलकर एचटूओ आनंदम कम्यूनिटी सेंटर में किया गया। कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहाड़ ट्रस्ट के मुख्य तकनीक सलाहकार डॉ. एससी शर्मा रहे। कार्यशाला की मुख्य फैसिलिटेटर बिमला राव रहीं, जो कि आस्ट्रेलियन हेल्थ कालेज आफ वाइब्रेंट थैरेपीज की संस्थापक हैं। कार्यशाला में पहाड़ ट्रस्ट द्वारा महिलाओं 15 महिलाओं का चयन विभिन्न गांव से किया गया था। प्रतिभागियों ने 21 दिन की कार्यशाला में बोवेन थेरेपी के अलग-अलग तरीकों व तकनीक को सीखा और एक दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा किए। कार्यशाला में 12 प्रतिभागियों को विमला राव की ओर से थेरेपी प्रैक्टिशनर के सर्टिफिकेट भी दिए गए। इसके अलावा पहाड़ ट्रस्ट और एचटूओ केंद्र द्वारा सभी प्रतिभागियों को सहभागिता पत्र भी दिए गए। इस कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर शर्मा द्वारा परंपरागत कृषि व सतत खाद्य प्रणाली पर प्रतिभागियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई। उन्हें बताया कि स्थानीय संसाधनों व खाद्य सामग्री से अपने पोषण स्तर को मजबूत बना सकते हैं। साथ ही स्थानीय स्तर पर पौष्टिक अनाज से संबंधित खाद्य प्रणाली पर प्रतिभागियों ने भी अपने-अपने विचार साझा किए। कार्यशाला के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र चंबा के समन्वयक डॉ धर्मेंद्र सिंह और उनकी टीम ने भी भाग लिया। डॉ धर्मेंद्र ने पहाड़ ट्रस्ट द्वारा एमथ्रीएम फाउंडेशन और डाक के सहयोग से किसानों के साथ जहर मुक्त परंपरागत खेती और पौष्टिक अनाज को लेकर चलाई गांव में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने पहाड़ ट्रस्ट के साथ मिलकर सतत कृषि और खाद्य प्रणाली पर मिलकर काम करने का आश्वासन भी दिया। कार्यशाला के समापन समारोह में एचटूओ आनंदम से रेनू शर्मा ने भी भाग लिया और उनके केंद्र द्वारा स्थानीय खाद्य प्रणाली और सतत टूरिज्म से संबंधित अपने कामों के बारे में बताया गया। उन्होंने परंपरागत खेती, खान-पान, देसी पौष्टिक अनाज और आजीविका के मुद्दे पर मिलकर काम करने का बात की। कार्यशाला की समापन समारोह में कृषि वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र ने भी भाग लिया और परंपरागत खान-पान के तरीके और उनके स्वास्थ्य से संबंधित सकारात्मक प्रभावों का पर विस्तार के साथ प्रतिभागियों को जागरूक किया।
इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि जैविक व प्राकृतिक खेती आज समय की मांग है, क्योंकि बदलते हुए वातावरण व जलवायु की चुनौतियों से कृषि व आजीविका को जिंदा रखने का एकमात्र उपाय किसानों को रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभावों से के बारे में जागरूक करना और अधिक से अधिक किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की ओर लाना है। इस दिशा में पहाड़ ट्रस्ट जिला चंबा में स्थानीय कार्य कर रहा है। उन्होंने पहाड़ ट्रस्ट के साथ मिलकर काम करने का आश्वासन भी दिया।
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पहाड़ ट्रस्ट के निर्देशक अनूप कुमार ने जिला चम्बा में एमथ्रीएम फाउंडेशन और डीओसीसी के वित्तीय सहयोग से किए जाने वाले कार्यक्रमों को सांझा किया। उन्होंने बताया कि पहाड़ ट्रस्ट धीरे-धीरे अधिक से अधिक छोटे और मध्यम किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की दिशा में लाने के लिए समय-समय पर अभियान, क्षमता वर्धन कार्यशालाएं और फील्ड स्तर पर लगातार किसानों, पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
इसके अलावा पहाड़ ट्रस्ट द्वारा जिला चचम्बा के चार पंचायत के 10 गांव में परंपरागत बीजों को खोजने बचाने के लिए चंबा बीज खोज अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के दौरान बाहर टीम की ओर से 119 किसानों से जो समूह व व्यक्तिगत स्तर पर स्थानीय देशी बीजों की उपलब्धता फायदे पर विस्तार से बातचीत की गई और 55 किसानों से अलग-अलग प्रकार के फसलों के बीच भी एकत्रित किए गए। फल स्वरुप पहाड़ ट्रस्ट ने एचटूओ केंद्र के साथ मिलकर एक परंपरागत बीज बैंक तैयार कर लिया है, जिसका मुख्य मकसद परंपरागत बीज को बचाना किसानों में बांटना और पुनर्जीवित करना है।
वहीं विमला राव ने बताया कि हम पौष्टिक अनाज का उपयोग करके अपने आहार को अधिक उपयोगी व लाभदायक बना सकते हैं। कार्यशाला के समापन समारोह में पल्यूर पंचायत के उप प्रधान इमाम हुसैन और वन अधिकार मंच चंबा के सदस्य मनोज कुमार ने भी भाग लिया। इसके अलावा स्थानीय गायक पाली सिंह ने अपने मधुर लोक गायकी से सभी प्रतिभागियों को बहुत प्रभावित किया उनके इन गानों में जिला चंबा के की संस्कृति परंपरागत खान-पान और कृषि और खान-पान से संबंधित झलक शामिल थी।
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