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शिमला ! : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि ठियोग में हुए पानी आपूर्ति के घोटाले में सरकार ढुलमुल रवैया अपना रही है। एक साल पहले शुरू हुए घोटाले की सरकार को पहले तो भनक तक नहीं लगी और जब मामले से जुड़े लोगों ने ही पानी की सप्लाई पर सवाल उठाया तो भी सरकार द्वारा कुछ नहीं किया गया। शिकायत आने के बाद महीनों तक मामला एसडीएम के पास पड़ा रहा फिर भी सरकार चुप बैठी रही। जब विपक्ष के नेताओं द्वारा इस मामले को मुद्दा बनाया गया तब सरकार द्वारा इस मामले की सुध ली गई, जब भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा मामले में आपराधिक मामला दर्ज करवाने की धमकी दी तो सरकार द्वारा कार्रवाई करने का दिखावा किया गया। आखिर एक साल से सरकार किसे बचा रही थी। जब टैंकर चालक ने नवम्बर में ही इस पूरे प्रकरण में घोटाले की बात करते हुए प्रेस कांफ्रेंस की थी तब सरकार और संबंधित अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी कैसे साधी आखिर इस मामले को दबाने के पीछे लोगों की क्या मंशा थी। जयराम ठाकुर ने कहा कि सिर्फ कंपनी ब्लैक लिस्ट करने से काम नहीं चलेगा। इस मामले में जितने भी लोग जुड़े हैं सभी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इस पूरे प्रकरण में सरकार द्वारा दिखाई गई सुस्ती सरकार के नीयत पर भी सवाल खड़े करती है। जयराम ठाकुर ने कहा कि घोटाले में सब कुछ दिन दहाड़े हुआ। बिना किसी जांच पड़ताल के खुली आंखों से यह साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह से जिन क्षेत्रों में जहां सड़क ही नहीं हैं वहां भी टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है। मोटर साइकिल और कार से पानी की सप्लाई की जा रही है, एक दिन में टैंकर लगभग हज़ार किलोमीटर की फेरी लगा रहा है और जिम्मेदार लोग बिना देखे पेमेंट पर पेमेंट किए जा रहे हैं। इस तरह से नियमों की अनदेखी क्या बिना किसी प्रकार के पक्षपात और राजनैतिक संरक्षण के हो सकती है। मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि ऐसे लोगों को किसका राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं। एक तरफ़ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले ठेकेदारों द्वारा बिल के भुगतान करने को लेकर रोज़ धरना दिया जा रहा है, वह अपनी जमीनें और जेवर गिरवी रखने रखने की स्थिति में आने की दुहाई दे रहे हैं, दूसरी तरफ़ फ़र्ज़ी पानी की सप्लाई के बिल धड़ाधड़ पास हो रहे हैं। इस पूरे प्रकरण को देखकर पूरी ‘दाल ही काली’ लग रही है। इसलिए इस मामले से किसी भी प्रकार से संबद्ध अधिकारी चाहे वह प्रत्यक्ष इससे जुड़े हों या परोक्ष रूप से उन्हें जाँच पूरी होने तक संबंधित स्थान से हटाया जाए। इसके साथ ही प्रदेश भर में हुई पानी की इस तरह की सप्लाई की जाँच की जाए। सरकार की नीयत अगर सच में साफ़ है तो इस मामले में कठोर से कठोर कार्रवाई करे, जिससे घोटालेबाज़ों को सबक मिल सके।
शिमला ! : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि ठियोग में हुए पानी आपूर्ति के घोटाले में सरकार ढुलमुल रवैया अपना रही है। एक साल पहले शुरू हुए घोटाले की सरकार को पहले तो भनक तक नहीं लगी और जब मामले से जुड़े लोगों ने ही पानी की सप्लाई पर सवाल उठाया तो भी सरकार द्वारा कुछ नहीं किया गया। शिकायत आने के बाद महीनों तक मामला एसडीएम के पास पड़ा रहा फिर भी सरकार चुप बैठी रही। जब विपक्ष के नेताओं द्वारा इस मामले को मुद्दा बनाया गया तब सरकार द्वारा इस मामले की सुध ली गई, जब भाजपा के स्थानीय नेताओं द्वारा मामले में आपराधिक मामला दर्ज करवाने की धमकी दी तो सरकार द्वारा कार्रवाई करने का दिखावा किया गया। आखिर एक साल से सरकार किसे बचा रही थी। जब टैंकर चालक ने नवम्बर में ही इस पूरे प्रकरण में घोटाले की बात करते हुए प्रेस कांफ्रेंस की थी तब सरकार और संबंधित अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी कैसे साधी आखिर इस मामले को दबाने के पीछे लोगों की क्या मंशा थी। जयराम ठाकुर ने कहा कि सिर्फ कंपनी ब्लैक लिस्ट करने से काम नहीं चलेगा। इस मामले में जितने भी लोग जुड़े हैं सभी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इस पूरे प्रकरण में सरकार द्वारा दिखाई गई सुस्ती सरकार के नीयत पर भी सवाल खड़े करती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि घोटाले में सब कुछ दिन दहाड़े हुआ। बिना किसी जांच पड़ताल के खुली आंखों से यह साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह से जिन क्षेत्रों में जहां सड़क ही नहीं हैं वहां भी टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है। मोटर साइकिल और कार से पानी की सप्लाई की जा रही है, एक दिन में टैंकर लगभग हज़ार किलोमीटर की फेरी लगा रहा है और जिम्मेदार लोग बिना देखे पेमेंट पर पेमेंट किए जा रहे हैं। इस तरह से नियमों की अनदेखी क्या बिना किसी प्रकार के पक्षपात और राजनैतिक संरक्षण के हो सकती है। मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि ऐसे लोगों को किसका राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं। एक तरफ़ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले ठेकेदारों द्वारा बिल के भुगतान करने को लेकर रोज़ धरना दिया जा रहा है, वह अपनी जमीनें और जेवर गिरवी रखने रखने की स्थिति में आने की दुहाई दे रहे हैं, दूसरी तरफ़ फ़र्ज़ी पानी की सप्लाई के बिल धड़ाधड़ पास हो रहे हैं। इस पूरे प्रकरण को देखकर पूरी ‘दाल ही काली’ लग रही है। इसलिए इस मामले से किसी भी प्रकार से संबद्ध अधिकारी चाहे वह प्रत्यक्ष इससे जुड़े हों या परोक्ष रूप से उन्हें जाँच पूरी होने तक संबंधित स्थान से हटाया जाए। इसके साथ ही प्रदेश भर में हुई पानी की इस तरह की सप्लाई की जाँच की जाए। सरकार की नीयत अगर सच में साफ़ है तो इस मामले में कठोर से कठोर कार्रवाई करे, जिससे घोटालेबाज़ों को सबक मिल सके।
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