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हमीरपुर, 21 जुलाई ! मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर में एक महिला अपने परिवार के साथ घर में कैद हो कर रह गई है क्योंकि जमीनी विवाद के चलते पडोसियों ने घर के आंगन में ही कंटीली तार के साथ बडी बडी टीन की चादरों से बाडबंदी कर दी हैं । हालांकि ग्राम पंचायत जंगलरोपा के गांव मसियाना की पीडित महिला कविता ने इसकी शिकायत कई बार जिला प्रशासन के साथ साथ पुलिस थाना में भी की है लेकिन ढिलमुल रवैया के चलते पिछले पन्द्रह दिनों से महिला अपने घर में कैद हो कर रह गई है। महिला के साथ 90 वर्षीय बुजुर्ग सास भी घर के अदर कैद है जो कि हदय रोगी है। यही नहीं पडोसियों ने महिला के घर के चारो ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए है ताकि महिला की कोई भी मदद न कर सके। लेकिन महिला की मदद के लिए सडक पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के द्वारा राशन पानी दिया जा रहा है जिन्हें भी पडोसियों द्वारा धमकियां दी जा रही है। पीडि़त परिवार का कहना कि एक नहीं बल्कि कईं दफा वह पंचायत और पुलिस और प्रशासन के पास शिकायत लेकर जा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पीडि़त परिवार ने आरोप लगाया है कि समस्या का समाधान करने की बजाए पंचायत के प्रतिनिधि उनपर दूसरे पक्ष को जमीन देने का दबाव बनाते है।
हमीरपुर, 21 जुलाई ! मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर में एक महिला अपने परिवार के साथ घर में कैद हो कर रह गई है क्योंकि जमीनी विवाद के चलते पडोसियों ने घर के आंगन में ही कंटीली तार के साथ बडी बडी टीन की चादरों से बाडबंदी कर दी हैं ।
हालांकि ग्राम पंचायत जंगलरोपा के गांव मसियाना की पीडित महिला कविता ने इसकी शिकायत कई बार जिला प्रशासन के साथ साथ पुलिस थाना में भी की है लेकिन ढिलमुल रवैया के चलते पिछले पन्द्रह दिनों से महिला अपने घर में कैद हो कर रह गई है। महिला के साथ 90 वर्षीय बुजुर्ग सास भी घर के अदर कैद है जो कि हदय रोगी है।
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यही नहीं पडोसियों ने महिला के घर के चारो ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए है ताकि महिला की कोई भी मदद न कर सके। लेकिन महिला की मदद के लिए सडक पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के द्वारा राशन पानी दिया जा रहा है जिन्हें भी पडोसियों द्वारा धमकियां दी जा रही है।
पीडि़त परिवार का कहना कि एक नहीं बल्कि कईं दफा वह पंचायत और पुलिस और प्रशासन के पास शिकायत लेकर जा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पीडि़त परिवार ने आरोप लगाया है कि समस्या का समाधान करने की बजाए पंचायत के प्रतिनिधि उनपर दूसरे पक्ष को जमीन देने का दबाव बनाते है।
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