निम्न स्तर पर पहुंचे जल स्रोत; रोजाना 30 से 35 टैंकर से की जा रही जल आपूर्ति
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शिमला , 20 जून : बढ़ती गर्मी और सूखे के कारण शिमला में इन दिनों लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है कई इलाकों में चार से पांच तो कुछ इलाकों में हफ्ते बाद पानी पहुंच रहा है. ऐसे में लोगों को अब बावड़ी और हैंडपंप पर पहुंचकर पानी की जरूरत पूरी करनी पड़ रही है. 40 से 45 एमएलडी आवश्यकता वाले शिमला शहर में इन दोनों 31 से 33 एमएलडी पानी पहुंच रहा है. जल स्रोतों में पानी अपने निम्न स्तर तक पहुंच गया है ऐसे में अब केवल बारिश से उम्मीद है कि जल्द बरसात हो ताकि शहर में पानी की आवश्यकता है पूरी हो सके. शिमला शहर के कई वार्ड पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं कुछ ऐसा ही हाल शिमला शहर के टुटू वार्ड का है. यहां लोगों को अब हैंडपंप पहुंच कर पानी की जरूरत पूरी करनी पड़ रही है. टुटू वार्ड के स्थानियों का कहना है कि यहां 6 से 7 दिनों बाद पानी आ रहा है. पानी की जरूरत पूरी करने के लिए हैंडपंप पहुंचना पड़ रहा है लेकिन यहां पर भी दो-दो घंटे कतार में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पीने के पानी का इंतजाम हैंड पंप्स हो जाता है लेकिन रोजमर्रा के कामों जैसे कपड़े और बच्चों की वर्दी धोने के लिए बड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है. वहीं शिमला में पैदा हुए जल संकट को लेकर नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान का कहना है कि शिमला पानी की जरूरत के लिए पूरी तरह से जल स्रोतों पर निर्भर है पानी के पुनः इस्तेमाल का कोई सिस्टम डेवलप नहीं है. फिलहाल 30 से 31 एमएलडी पानी शिमला पहुंच रहा है ऐसे में तीसरे और चौथे दिन पानी की सप्लाई दी जा रही है. उन्होंने कहा कि जल स्रोतों में पानी बहुत काम बच गया है ऐसे में पानी की समस्या पैदा हो गई है. रोजाना 30 से 35 टैंकर पानी अलग-अलग इलाकों में , भेजे जा रहे हैं और शहर को चार भागों में बांटकर पानी की सप्लाई दी जा रही है. वहीं सतलुज परियोजना को विकसित करने का काम भी लगातार जारी है 23 किलोमीटर में से 18 किलोमीटर पाइप लाइन बिछा दी गई है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बरसात से पहले भंडारण की व्यवस्था को भी दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि शहर में पानी की जरूरत पूरी की जा सके. मेयर सुरेंद्र चौहान कहना है कि शिमला में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित करने के साथ-साथ पीने और इस्तेमाल के पानी को अलग अलग करने की जरूरत है ताकि भविष्य में शिमला में पानी की आवश्यकता की व्यवस्था की जा सके।
शिमला , 20 जून : बढ़ती गर्मी और सूखे के कारण शिमला में इन दिनों लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है कई इलाकों में चार से पांच तो कुछ इलाकों में हफ्ते बाद पानी पहुंच रहा है. ऐसे में लोगों को अब बावड़ी और हैंडपंप पर पहुंचकर पानी की जरूरत पूरी करनी पड़ रही है.
40 से 45 एमएलडी आवश्यकता वाले शिमला शहर में इन दोनों 31 से 33 एमएलडी पानी पहुंच रहा है. जल स्रोतों में पानी अपने निम्न स्तर तक पहुंच गया है ऐसे में अब केवल बारिश से उम्मीद है कि जल्द बरसात हो ताकि शहर में पानी की आवश्यकता है पूरी हो सके.
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शिमला शहर के कई वार्ड पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं कुछ ऐसा ही हाल शिमला शहर के टुटू वार्ड का है. यहां लोगों को अब हैंडपंप पहुंच कर पानी की जरूरत पूरी करनी पड़ रही है. टुटू वार्ड के स्थानियों का कहना है कि यहां 6 से 7 दिनों बाद पानी आ रहा है.
पानी की जरूरत पूरी करने के लिए हैंडपंप पहुंचना पड़ रहा है लेकिन यहां पर भी दो-दो घंटे कतार में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पीने के पानी का इंतजाम हैंड पंप्स हो जाता है लेकिन रोजमर्रा के कामों जैसे कपड़े और बच्चों की वर्दी धोने के लिए बड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
वहीं शिमला में पैदा हुए जल संकट को लेकर नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान का कहना है कि शिमला पानी की जरूरत के लिए पूरी तरह से जल स्रोतों पर निर्भर है पानी के पुनः इस्तेमाल का कोई सिस्टम डेवलप नहीं है.
फिलहाल 30 से 31 एमएलडी पानी शिमला पहुंच रहा है ऐसे में तीसरे और चौथे दिन पानी की सप्लाई दी जा रही है. उन्होंने कहा कि जल स्रोतों में पानी बहुत काम बच गया है ऐसे में पानी की समस्या पैदा हो गई है. रोजाना 30 से 35 टैंकर पानी अलग-अलग इलाकों में , भेजे जा रहे हैं और शहर को चार भागों में बांटकर पानी की सप्लाई दी जा रही है. वहीं सतलुज परियोजना को विकसित करने का काम भी लगातार जारी है 23 किलोमीटर में से 18 किलोमीटर पाइप लाइन बिछा दी गई है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि बरसात से पहले भंडारण की व्यवस्था को भी दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि शहर में पानी की जरूरत पूरी की जा सके. मेयर सुरेंद्र चौहान कहना है कि शिमला में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित करने के साथ-साथ पीने और इस्तेमाल के पानी को अलग अलग करने की जरूरत है ताकि भविष्य में शिमला में पानी की आवश्यकता की व्यवस्था की जा सके।
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