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चम्बा , 28 जनवरी [ शिवानी ] ! मसरूंड वन परिक्षेत्र में चल रहे कशमल के अवैध खनन को लेकर झुलाड़ा, कुठेड़, मसरूंड व कोहाल पंचायत के लोगों ने रेटा में एकत्रित होकर निजी भूमि की आड़ में बहुत भारी मात्रा में वन भूमि पर कशमल का अवैध खनन को लेकर एक चिंतन शिवर का आयोजन किया। इस चिंतन शिवर में चंबा के सुप्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी रतन चंद जी, जडेरा पंचायत के पूर्व प्रधान मान सिंह जी विशेष तौर से उपस्थित रहे। इस दौरान उन्होंने लोगों को पर्यावरण के संबंध में जागरूक किया व कशमल की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कशमल एकमात्र कोई झाड़ नहीं है। अपितु धरती पर वरदान से कम नहीं है। जो न केवल भूमि को कटाव से रोकने और धरती की नमी को बनाए रखने हेतु सहायक है अपितु वन्य जीव-जंतुओं के भोजन का भी एक स्त्रोत है। कशमल के फल का बंदर और पक्षी भी उपभोग करते हैं। परिणामस्वरूप किसानों की फसलों की उजाड़ भी रुकती है। यह नदी नालों के जलस्तर को बनाए रखने में भी सहायक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज हिमालय क्षेत्र खतरे में है। वनों के नाश से आने वाले समय में बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होंगी। जिससे मानव जीवन सहित पृथ्वी का संतुलन प्रभावित होगा। उन्होंने मांग की है कि जो भी कशमल वन भूमि से निकली गई है, पहले इसकी जांच होनी चाहिए। सरकार द्वारा कशमल के ट्रांसपोर्टेशन की अवधि को जो 15 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है, यह सही निर्णय नहीं है। इस दौरान और भारी मात्रा में कशमल के दोहन की आशंका है। इसलिए ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि उक्त खनन को रोकना पर्यावरण और मानव हित में होगा। क्योंकि कुछ लोगों के निजी स्वार्थ के चलते पर्यावरण की बलि नहीं दी जा सकती। लोगों ने चिंता व्यक्त की कि निजी भूमि पर एक तो कशमल न के बराबर है और यदि है भी तो आदेश के अनुसार किसान निजी भूमि पर केवल 40% कशमल का दोहन कर सकता है। उसमें भी ठेकेदारों द्वारा कोई मूल्य निर्धारित नहीं किया गया और उन्हें औने पौने दाम देकर ठगा गया। परन्तु दूसरी ओर निजी भूमि पर कशमल को उखाड़ने के आदेश की इस आड़ में वन-भूमि पर उगी धरती को संबल देने वाले कशमल के पेड़ों की भी बलि दी जा रही है। लोगों को जागरूक किया कि वे किसी भी बहकावे में न आएं और अपनी वन संपदा की रक्षा करें। इस लूट में वन विभाग के मौन रवैये पर भी भारी चिंता व्यक्त की गई। क्योंकि वन विभाग को इस संबंध में प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए थी। ग्रामीणों ने निर्णय लिए कि जल्द ही स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधीश महोदय चम्बा से मिलेगा और उनके माध्यम से राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्री महोदय को इस खनन को बंद करने हेतु आग्रह किया जाएगा। साथ ही इसकी भी मांग की जाएगी कि जो भी कशमल उखाड़ी गई है, उसकी जांच हो और कार्यवाही की जाए। इस दौरान कुलदीप, राहुल, दुनी चंद, दीपक कुमार, कपिल, संदीप कुमार, सोनू आर्यन, तिलक, हेम राज, लेख राज, पवन, पंकू, दिनेश, सुरेश, दीपक, सोनू, प्रभ दयाल, हेम राज, शक्ति, महिलाओं सहित लगभग 40 ग्रामीण उपस्थित रहे।
चम्बा , 28 जनवरी [ शिवानी ] ! मसरूंड वन परिक्षेत्र में चल रहे कशमल के अवैध खनन को लेकर झुलाड़ा, कुठेड़, मसरूंड व कोहाल पंचायत के लोगों ने रेटा में एकत्रित होकर निजी भूमि की आड़ में बहुत भारी मात्रा में वन भूमि पर कशमल का अवैध खनन को लेकर एक चिंतन शिवर का आयोजन किया। इस चिंतन शिवर में चंबा के सुप्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी रतन चंद जी, जडेरा पंचायत के पूर्व प्रधान मान सिंह जी विशेष तौर से उपस्थित रहे। इस दौरान उन्होंने लोगों को पर्यावरण के संबंध में जागरूक किया व कशमल की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि कशमल एकमात्र कोई झाड़ नहीं है। अपितु धरती पर वरदान से कम नहीं है। जो न केवल भूमि को कटाव से रोकने और धरती की नमी को बनाए रखने हेतु सहायक है अपितु वन्य जीव-जंतुओं के भोजन का भी एक स्त्रोत है। कशमल के फल का बंदर और पक्षी भी उपभोग करते हैं।
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परिणामस्वरूप किसानों की फसलों की उजाड़ भी रुकती है। यह नदी नालों के जलस्तर को बनाए रखने में भी सहायक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज हिमालय क्षेत्र खतरे में है। वनों के नाश से आने वाले समय में बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होंगी। जिससे मानव जीवन सहित पृथ्वी का संतुलन प्रभावित होगा। उन्होंने मांग की है कि जो भी कशमल वन भूमि से निकली गई है, पहले इसकी जांच होनी चाहिए। सरकार द्वारा कशमल के ट्रांसपोर्टेशन की अवधि को जो 15 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है, यह सही निर्णय नहीं है।
इस दौरान और भारी मात्रा में कशमल के दोहन की आशंका है। इसलिए ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि उक्त खनन को रोकना पर्यावरण और मानव हित में होगा। क्योंकि कुछ लोगों के निजी स्वार्थ के चलते पर्यावरण की बलि नहीं दी जा सकती। लोगों ने चिंता व्यक्त की कि निजी भूमि पर एक तो कशमल न के बराबर है और यदि है भी तो आदेश के अनुसार किसान निजी भूमि पर केवल 40% कशमल का दोहन कर सकता है। उसमें भी ठेकेदारों द्वारा कोई मूल्य निर्धारित नहीं किया गया और उन्हें औने पौने दाम देकर ठगा गया। परन्तु दूसरी ओर निजी भूमि पर कशमल को उखाड़ने के आदेश की इस आड़ में वन-भूमि पर उगी धरती को संबल देने वाले कशमल के पेड़ों की भी बलि दी जा रही है।
लोगों को जागरूक किया कि वे किसी भी बहकावे में न आएं और अपनी वन संपदा की रक्षा करें। इस लूट में वन विभाग के मौन रवैये पर भी भारी चिंता व्यक्त की गई। क्योंकि वन विभाग को इस संबंध में प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए थी। ग्रामीणों ने निर्णय लिए कि जल्द ही स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधीश महोदय चम्बा से मिलेगा और उनके माध्यम से राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्री महोदय को इस खनन को बंद करने हेतु आग्रह किया जाएगा। साथ ही इसकी भी मांग की जाएगी कि जो भी कशमल उखाड़ी गई है, उसकी जांच हो और कार्यवाही की जाए। इस दौरान कुलदीप, राहुल, दुनी चंद, दीपक कुमार, कपिल, संदीप कुमार, सोनू आर्यन, तिलक, हेम राज, लेख राज, पवन, पंकू, दिनेश, सुरेश, दीपक, सोनू, प्रभ दयाल, हेम राज, शक्ति, महिलाओं सहित लगभग 40 ग्रामीण उपस्थित रहे।
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