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ऊना ! उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश में जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार और संरक्षण समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ये जल स्रोत न केवल भू-जल स्तर बनाए रखने में सहायक हैं, बल्कि जल संकट के समाधान में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जल दोहन और पुनर्भरण में संतुलन बनाए रखना हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रति जिम्मेदारी है। सरकार इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है और जल संसाधनों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा रही है। अग्निहोत्री ने मंगलवार को हरोली विधानसभा क्षेत्र के संत ढांगू वाले गुज्जर राजकीय महाविद्यालय, बीटन के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए यह उद्गार प्रकट किए।उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, इसमें जनभागीदारी भी आवश्यक है। उन्होंने पंचायती राज संस्थानों के सभी प्रतिनिधियों से अपील की कि वे जल संचयन को बढ़ावा दें और पारंपरिक जल स्रोतों, तालाबों, बावड़ियां को पुनर्जीवित करने में सक्रिय सहयोग करें। इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने अकादमिक, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। उन्होंने समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली छात्राओं को 51 हजार देने की घोषणा की।
ऊना ! उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश में जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार और संरक्षण समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ये जल स्रोत न केवल भू-जल स्तर बनाए रखने में सहायक हैं, बल्कि जल संकट के समाधान में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जल दोहन और पुनर्भरण में संतुलन बनाए रखना हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रति जिम्मेदारी है। सरकार इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है और जल संसाधनों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा रही है।
अग्निहोत्री ने मंगलवार को हरोली विधानसभा क्षेत्र के संत ढांगू वाले गुज्जर राजकीय महाविद्यालय, बीटन के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए यह उद्गार प्रकट किए।उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, इसमें जनभागीदारी भी आवश्यक है। उन्होंने पंचायती राज संस्थानों के सभी प्रतिनिधियों से अपील की कि वे जल संचयन को बढ़ावा दें और पारंपरिक जल स्रोतों, तालाबों, बावड़ियां को पुनर्जीवित करने में सक्रिय सहयोग करें।
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इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने अकादमिक, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। उन्होंने समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली छात्राओं को 51 हजार देने की घोषणा की।
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