धारवास पंचायत, चम्बा में किसानों के लिए आत्मनिर्भरता और चक्रीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम*
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा 9 नवंबर [ शिवानी ] ! आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर जी के *सतत हिमालय* के संकल्प *हिमालय उन्नति मिशन* के अन्तर्गत धरवास पंचायत, चंबा में *औषधीय पौधों की मूल्य संवर्धन और विपणन* पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का सफल आयोजन किया। 7-8 नवंबर, 2024 को आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्षेत्र के लगभग 65 किसानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन *रीजनल कम फेसीलिटेशन सेंटर (आरसीएफसी), जोगिंदर नगर* द्वारा हिमालय उन्नति मिशन के सहयोग से किया गया, जिससे किसानों को औषधीय पौधों की खेती में नई तकनीकों और व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी मिली। शिविर का शुभारंभ पंचायत प्रधान *श्रीमती अनीता ठाकुर * के उद्घाटन भाषण के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने किसानों से इस मौके का भरपूर लाभ उठाने का आह्वान किया। इसके बाद, प्राकृतिक खेती पर विशेषज्ञ *पाली* ने टिकाऊ खेती के महत्व पर जोर देते हुए प्राकृतिक खेती की विधियों से किसानों को परिचित कराया, जिससे न केवल खेती की गुणवत्ता में सुधार होता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है। शिविर में *वन मंडल पांगी* के ब्लॉक अधिकारी *संजीव शर्मा* ने औषधीय पौधों के निर्यात और आयात से जुड़े कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों को नियमों का पालन सुनिश्चित करने के महत्व और विभिन्न प्रक्रिया सम्बन्धी जानकारी दी, ताकि औषधीय पौधों का व्यापार कानूनी रूप से सुरक्षित और प्रभावी हो सके। इसके अतिरिक्त, विपणन विशेषज्ञ *श्री अभिनव बैंस* ने औषधीय पौधों के बाजार में मौजूद अपार संभावनाओं पर चर्चा की और बताया कि सही मूल्य संवर्धन और रणनीतिक विपणन से कैसे इन पौधों की आर्थिक संभावनाओं को और बेहतर किया जा सकता है। दूसरे दिन की शुरुआत स्थानीय क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय पौधों की जानकारी और संग्रहण की व्यावहारिक गतिविधि से हुई। इस गतिविधि में किसानों ने औषधीय पौधों का संग्रहण किया और उनकी जानकारी का दस्तावेजीकरण किया, जिससे उन्हें स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण का महत्व समझ में आया। इसके बाद, *डॉ. श्वेता* ने *जैविक खेती, गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज (जीएपी) और गुड फील्ड कलेक्शन प्रैक्टिसेज (जीएफसीपी)* पर एक विशेष सत्र आयोजित किया। उन्होंने स्थानीय प्रजातियों के सतत संरक्षण और वनों से पौधों के सुरक्षित संग्रहण की आवश्यकता पर विशेष बल दिया, ताकि जैविक विविधता का संतुलन बनाए रखा जा सके और भविष्य की पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके।इसी के साथ पांगी घाटी में बेकरी उद्यम के माध्यम में कुकीज़ बना रहे प्रगति ग्राम संगठन की प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव सांझा कर धरवास की महिलाओं को प्रेरित किया। प्रशिक्षण के समापन पर सभी किसानों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर किसानों ने इस शिविर के माध्यम से प्राप्त ज्ञान और जानकारी को अपने लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। यह शिविर औषधीय पौधों की मूल्य संवर्धन और विपणन के क्षेत्र में किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला सिद्ध हुआ। हिमालय उन्नति मिशन* की इस पहल ने हिमालय क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का सशक्तिकरण करते हुए स्थानीय किसानों को आत्मनिर्भरता और आर्थिक प्रगति की दिशा में एक नई प्रेरणा दी है। भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से किसानों को जागरूक और सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। आर्ट ऑफ लिविंग - चम्बा के मीडिया प्रभारी मनुज शर्मा ने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण शिविर न केवल स्थानीय लोगों को आजीविका से जोड़ने में सहायक हैं, अपितु इन बहुमूल्य प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन में महत्वपूर्ण हैं।
चम्बा 9 नवंबर [ शिवानी ] ! आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर जी के *सतत हिमालय* के संकल्प *हिमालय उन्नति मिशन* के अन्तर्गत धरवास पंचायत, चंबा में *औषधीय पौधों की मूल्य संवर्धन और विपणन* पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का सफल आयोजन किया। 7-8 नवंबर, 2024 को आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्षेत्र के लगभग 65 किसानों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम का आयोजन *रीजनल कम फेसीलिटेशन सेंटर (आरसीएफसी), जोगिंदर नगर* द्वारा हिमालय उन्नति मिशन के सहयोग से किया गया, जिससे किसानों को औषधीय पौधों की खेती में नई तकनीकों और व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी मिली।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
शिविर का शुभारंभ पंचायत प्रधान *श्रीमती अनीता ठाकुर * के उद्घाटन भाषण के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने किसानों से इस मौके का भरपूर लाभ उठाने का आह्वान किया। इसके बाद, प्राकृतिक खेती पर विशेषज्ञ *पाली* ने टिकाऊ खेती के महत्व पर जोर देते हुए प्राकृतिक खेती की विधियों से किसानों को परिचित कराया, जिससे न केवल खेती की गुणवत्ता में सुधार होता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है।
शिविर में *वन मंडल पांगी* के ब्लॉक अधिकारी *संजीव शर्मा* ने औषधीय पौधों के निर्यात और आयात से जुड़े कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों को नियमों का पालन सुनिश्चित करने के महत्व और विभिन्न प्रक्रिया सम्बन्धी जानकारी दी, ताकि औषधीय पौधों का व्यापार कानूनी रूप से सुरक्षित और प्रभावी हो सके। इसके अतिरिक्त, विपणन विशेषज्ञ *श्री अभिनव बैंस* ने औषधीय पौधों के बाजार में मौजूद अपार संभावनाओं पर चर्चा की और बताया कि सही मूल्य संवर्धन और रणनीतिक विपणन से कैसे इन पौधों की आर्थिक संभावनाओं को और बेहतर किया जा सकता है।
दूसरे दिन की शुरुआत स्थानीय क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय पौधों की जानकारी और संग्रहण की व्यावहारिक गतिविधि से हुई। इस गतिविधि में किसानों ने औषधीय पौधों का संग्रहण किया और उनकी जानकारी का दस्तावेजीकरण किया, जिससे उन्हें स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण का महत्व समझ में आया। इसके बाद, *डॉ. श्वेता* ने *जैविक खेती, गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज (जीएपी) और गुड फील्ड कलेक्शन प्रैक्टिसेज (जीएफसीपी)* पर एक विशेष सत्र आयोजित किया।
उन्होंने स्थानीय प्रजातियों के सतत संरक्षण और वनों से पौधों के सुरक्षित संग्रहण की आवश्यकता पर विशेष बल दिया, ताकि जैविक विविधता का संतुलन बनाए रखा जा सके और भविष्य की पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके।इसी के साथ पांगी घाटी में बेकरी उद्यम के माध्यम में कुकीज़ बना रहे प्रगति ग्राम संगठन की प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव सांझा कर धरवास की महिलाओं को प्रेरित किया।
प्रशिक्षण के समापन पर सभी किसानों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर किसानों ने इस शिविर के माध्यम से प्राप्त ज्ञान और जानकारी को अपने लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। यह शिविर औषधीय पौधों की मूल्य संवर्धन और विपणन के क्षेत्र में किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला सिद्ध हुआ।
हिमालय उन्नति मिशन* की इस पहल ने हिमालय क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का सशक्तिकरण करते हुए स्थानीय किसानों को आत्मनिर्भरता और आर्थिक प्रगति की दिशा में एक नई प्रेरणा दी है। भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से किसानों को जागरूक और सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
आर्ट ऑफ लिविंग - चम्बा के मीडिया प्रभारी मनुज शर्मा ने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण शिविर न केवल स्थानीय लोगों को आजीविका से जोड़ने में सहायक हैं, अपितु इन बहुमूल्य प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन में महत्वपूर्ण हैं।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -