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बिलासपुर , 16 अक्टूबर [ राकेश शर्मा ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने एचआरटीसी की बसों में किसी भी तरह का सामान ले जाने के लिए निर्धारित किराये की दरों को लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि द्वारा जारी अधिसूचना के लिहाज से बैग में टूथ ब्रश, टूथ पेस्ट, साबुन व तौलिया जैसा सामान, एकाध किलो फल, 10-20 ग्राम दवाई, मोबाइल और यहां तक कि खाली बैग लेकर जाने वाले यात्री को उसका भी एक चैथाई किराया अलग से देना पड़ेगा। सामान का ऐसा किराया तो हवाई जहाजों में भी नहीं वसूला जाता है। तरह-तरह के टैक्स थोप रही इस सरकार ने लोगों को एचआरटीसी की बसों में मजबूरन खाली हाथ यात्रा करने का इंतजाम करके व्यवस्था परिवर्तन का एक और उदाहरण दिया है। यह सरकार के दिवालियेपन का एक प्रमाण भी है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में यह सरकार खुली हवा में सांस लेने पर भी टैक्स लगा देगी। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि अधिसूचना के अनुसार निगम की बसों में बैग में 0 से 5 किलोग्राम सामान साथ में लेकर जाने वाले यात्री को अपने किराये के साथ उसका एक चैथाई किराया अलग से देना होगा। 6 से 40 किलोग्राम सामान के लिए आधा तथा 41 से 80 किलोग्राम सामान के लिए पूरा किराया निर्धारित किया गया है। इसमें बैग, फल व ड्राई फ्रूट के बाॅक्स के साथ ही दवाइयांे जैसी सामग्री भी शामिल है। इस लिहाज से तो निगम की बसों में यात्रा करते समय बैग में टूथ ब्रश, टूथ पेस्ट, साबुन, तौलिया, कपड़ों की एक एकाध जोड़ी, मोबाइल, एकाध किलो फल या ड्राई फ्रूट, पर्स, दवाइयों का छोटा सा बाॅक्स और यहां तक कि खाली बैग साथ ले जाने वाले यात्रियों को भी इस सामान का एक चैथाई किराया अलग से देना होगा। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सुक्खू सरकार पिछले पौने दो वर्षों में प्रदेश की जनता को एक के बाद एक झटके दे रही है। गारंटियां पूरी करना तो दूर, गांवों में पानी का प्रतिमाह बिल 100 रुपये निर्धारित कर दिया गया है। इसी कड़ी में इस सरकार ने एचआरटीसी की बसों में छोटा सा बैग साथ ले जाने के लिए किराया निर्धारित करके दिवाली पर्व से ठीक पहले जनता को एक और अनचाहा ‘तोहफा’ दिया है। इससे तो एचआरटीसी की बसों में मामूली सा सामान बैग में लेकर जाना हवाई जहाज की तुलना में ज्यादा महंगा साबित होगा। चहेतों के ऐशोआराम और उनकी जेबें भरने में कोई कसर नहीं रखने वाली मित्रों की यह सरकार अपने इस तुगलकी फरमान से एक तरह से लोगों से निगम की बसों में यात्रा की सुविधा छीनने पर भी आमादा हो गई है। प्रदेश की वित्तीय हालत को लेकर यह सरकार भले ही कैसी भी डींगें हांके, लेकिन इस फैसले ने उसकी कंगाली का एक और प्रमाण दिया है। यही हाल रहा तो यह सरकार आने वाले समय में खुली हवा में सांस लेने को भी टैक्स के दायरे में ले आएगी।
बिलासपुर , 16 अक्टूबर [ राकेश शर्मा ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने एचआरटीसी की बसों में किसी भी तरह का सामान ले जाने के लिए निर्धारित किराये की दरों को लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि द्वारा जारी अधिसूचना के लिहाज से बैग में टूथ ब्रश, टूथ पेस्ट, साबुन व तौलिया जैसा सामान, एकाध किलो फल, 10-20 ग्राम दवाई, मोबाइल और यहां तक कि खाली बैग लेकर जाने वाले यात्री को उसका भी एक चैथाई किराया अलग से देना पड़ेगा।
सामान का ऐसा किराया तो हवाई जहाजों में भी नहीं वसूला जाता है। तरह-तरह के टैक्स थोप रही इस सरकार ने लोगों को एचआरटीसी की बसों में मजबूरन खाली हाथ यात्रा करने का इंतजाम करके व्यवस्था परिवर्तन का एक और उदाहरण दिया है। यह सरकार के दिवालियेपन का एक प्रमाण भी है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में यह सरकार खुली हवा में सांस लेने पर भी टैक्स लगा देगी।
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त्रिलोक जमवाल ने कहा कि अधिसूचना के अनुसार निगम की बसों में बैग में 0 से 5 किलोग्राम सामान साथ में लेकर जाने वाले यात्री को अपने किराये के साथ उसका एक चैथाई किराया अलग से देना होगा। 6 से 40 किलोग्राम सामान के लिए आधा तथा 41 से 80 किलोग्राम सामान के लिए पूरा किराया निर्धारित किया गया है। इसमें बैग, फल व ड्राई फ्रूट के बाॅक्स के साथ ही दवाइयांे जैसी सामग्री भी शामिल है। इस लिहाज से तो निगम की बसों में यात्रा करते समय बैग में टूथ ब्रश, टूथ पेस्ट, साबुन, तौलिया, कपड़ों की एक एकाध जोड़ी, मोबाइल, एकाध किलो फल या ड्राई फ्रूट, पर्स, दवाइयों का छोटा सा बाॅक्स और यहां तक कि खाली बैग साथ ले जाने वाले यात्रियों को भी इस सामान का एक चैथाई किराया अलग से देना होगा।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सुक्खू सरकार पिछले पौने दो वर्षों में प्रदेश की जनता को एक के बाद एक झटके दे रही है। गारंटियां पूरी करना तो दूर, गांवों में पानी का प्रतिमाह बिल 100 रुपये निर्धारित कर दिया गया है। इसी कड़ी में इस सरकार ने एचआरटीसी की बसों में छोटा सा बैग साथ ले जाने के लिए किराया निर्धारित करके दिवाली पर्व से ठीक पहले जनता को एक और अनचाहा ‘तोहफा’ दिया है। इससे तो एचआरटीसी की बसों में मामूली सा सामान बैग में लेकर जाना हवाई जहाज की तुलना में ज्यादा महंगा साबित होगा।
चहेतों के ऐशोआराम और उनकी जेबें भरने में कोई कसर नहीं रखने वाली मित्रों की यह सरकार अपने इस तुगलकी फरमान से एक तरह से लोगों से निगम की बसों में यात्रा की सुविधा छीनने पर भी आमादा हो गई है। प्रदेश की वित्तीय हालत को लेकर यह सरकार भले ही कैसी भी डींगें हांके, लेकिन इस फैसले ने उसकी कंगाली का एक और प्रमाण दिया है। यही हाल रहा तो यह सरकार आने वाले समय में खुली हवा में सांस लेने को भी टैक्स के दायरे में ले आएगी।
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