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चम्बा ! वन परिक्षेत्र मसरूँड में अवैध रूप से उखाड़ी जा रही कशमल की छानबीन हेतु विजीलेंस विभाग चंबा की टीम निरीक्षक अश्विनी कुमार की अगुआई में उक्त क्षेत्र का दौरा किया और निहुइं पंचायत के शक्ति देहरा, सिडकुंड पंचायत के लड्डी, झुलाड़ा पंचायत के धरुंडा, भरनाट, झुलाड़ा, सेहल, रेटा व कुठेड़ पंचायत के ख़बाली नामक स्थान व गांव में भारी मात्रा में कशमल के ढेर पाए गए व साथ ही कशमल को कटर से छोटे छोटे टुकड़ों में काट रहे मजदूर पाए गए। कुछ स्थानों पर कशमल के टुकड़ों को मजदूरों द्वारा बड़ी बड़ी गाड़ियों में भरा जा रहा था। मौके पर कहीं भी कोई भी ठेकेदार मौजूद नहीं था और न ही कशमल की खरीद का कोई रिकॉर्ड पाया गया। ठेकेदारों द्वारा रखे गए लोग संतुष्टि भरा जवाब नहीं दे पाए कि किस से कब और कितना कशमल खरीदा गया है। और न ही यह बता पाए कि खरीद का स्त्रोत क्या है। कशमल क्या लोगों ने निजी भूमि से निकाल कर ठेकेदार को बेचा या इसको पूरी तरह से लोगों व ठेकेदारों द्वारा अपने मजदूरों से वन भूमि पर ही उखाड़ा गए। जोकि हिमाचल प्रदेश वन संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है व स्पष्ट रूप से अधिनियम की अवहेलना है। ऐसी स्थिति में वन विभाग ही इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। क्योंकि कशमल के ढेर सड़क के किनारे लगे हैं और उन पर कटर भी चल रहा। गाड़ियों की गाड़ियां भरी जा रहीं। और वन विभाग चुप है। इसी तरह का अवैध खनन कैंथली में भी चला है। वास्तव में निजी भूमि पर कशमल न के बराबर है। इसका दोहन केवल और केवल वन भूमि पर हुआ है। जो टीम ने स्वयं भी देखा है। जोकि एक बहुत बड़े स्तर के भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। लेकिन जो भी हो जवाबदेही और जिम्मेदारी पूरी तरह से वन विभाग की है। पूरी तरह जांच किए जाने तक विजिलेंस विभाग द्वारा कशमल को ले जाने पर रोक लगा दी है।
चम्बा ! वन परिक्षेत्र मसरूँड में अवैध रूप से उखाड़ी जा रही कशमल की छानबीन हेतु विजीलेंस विभाग चंबा की टीम निरीक्षक अश्विनी कुमार की अगुआई में उक्त क्षेत्र का दौरा किया और निहुइं पंचायत के शक्ति देहरा, सिडकुंड पंचायत के लड्डी, झुलाड़ा पंचायत के धरुंडा, भरनाट, झुलाड़ा, सेहल, रेटा व कुठेड़ पंचायत के ख़बाली नामक स्थान व गांव में भारी मात्रा में कशमल के ढेर पाए गए व साथ ही कशमल को कटर से छोटे छोटे टुकड़ों में काट रहे मजदूर पाए गए। कुछ स्थानों पर कशमल के टुकड़ों को मजदूरों द्वारा बड़ी बड़ी गाड़ियों में भरा जा रहा था। मौके पर कहीं भी कोई भी ठेकेदार मौजूद नहीं था और न ही कशमल की खरीद का कोई रिकॉर्ड पाया गया।
ठेकेदारों द्वारा रखे गए लोग संतुष्टि भरा जवाब नहीं दे पाए कि किस से कब और कितना कशमल खरीदा गया है। और न ही यह बता पाए कि खरीद का स्त्रोत क्या है। कशमल क्या लोगों ने निजी भूमि से निकाल कर ठेकेदार को बेचा या इसको पूरी तरह से लोगों व ठेकेदारों द्वारा अपने मजदूरों से वन भूमि पर ही उखाड़ा गए। जोकि हिमाचल प्रदेश वन संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है व स्पष्ट रूप से अधिनियम की अवहेलना है। ऐसी स्थिति में वन विभाग ही इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
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क्योंकि कशमल के ढेर सड़क के किनारे लगे हैं और उन पर कटर भी चल रहा। गाड़ियों की गाड़ियां भरी जा रहीं। और वन विभाग चुप है। इसी तरह का अवैध खनन कैंथली में भी चला है। वास्तव में निजी भूमि पर कशमल न के बराबर है। इसका दोहन केवल और केवल वन भूमि पर हुआ है। जो टीम ने स्वयं भी देखा है। जोकि एक बहुत बड़े स्तर के भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। लेकिन जो भी हो जवाबदेही और जिम्मेदारी पूरी तरह से वन विभाग की है। पूरी तरह जांच किए जाने तक विजिलेंस विभाग द्वारा कशमल को ले जाने पर रोक लगा दी है।
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