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चम्बा , 07 जनवरी [ शिवानी ] ! आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा की राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर "सहयोग 2024 के सातवें एवम अंतिम दिन के कार्यक्रम का आयोजन हुआ । उक्त जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि सातवें दिन सर्वप्रथम स्वयंसेवी पायल द्वारा दिन का सुविचार "*सफलता एक चुनौती है स्वीकार करो, *" प्रस्तुत किया व उसका वर्णन किया। स्वयंसेवी रीता द्वारा एक कविता *भ्रष्टाचार* प्रस्तुत की गयी। इसके उपरांत चुना लोन द्वारा छठे दिन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसके बाद एन एस एस गीत "उठें समाज के लिए उठें- उठें, जगें स्वराष्ट्र के लिए जगें जगें, स्वयं सजें वसुंधरा संवार दें" गाकर दिन की शुरुआत की । उक्त जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि समापन समारोह के दौरान प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय चम्बा डॉ मदन गुलेरिया जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके इलावा प्रोफेसर परविंदर कुमार, डॉ शैली महाजन, डॉ संतोष कुमार, डॉ वीरेंद्र सिंह, मनमोहन सिंह, रविन्द्र सिंह, हितेश सलवानिया ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की । सर्वप्रथम एन एस एस लक्ष्य गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । उसके उपरांत मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों द्वारा मां शारदा की प्रतिमा के सम्मुख पुष्पार्पण करके औपचारिक शुभारम्भ किया । इसके बाद कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर संतोष देवी द्वारा मुख्यातिथि व विशिष्ट अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया । इसके उपरांत आरती और भारती ने मनमोहक नृत्य "मैं दीवानी हो गई" प्रस्तुत किया । हिमानी द्वारा सात दिनों का ब्यौरा अपने शब्दों और कविता के माध्यम से "अब अलविदा कहने का वक्त आ गया" रखा गया । कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश द्वारा सात दिनों का लेखा- जोखा शिविर प्रतिवेदन के माध्यम से रखा । इसके उपरांत पलक की कविता "मेरी यह जिंदगी वतन के काम आ जाए" और मनीष के लोकगीत "तेरा मेरा प्यार ओ अड़ीए", प्रिया शर्मा का शास्त्रीय नृत्य घूमर, अभिषेक के गीत चम्बे दिए बंद कलिए तैनू केहड़े बेले रब ने बनाया सभी को बहुत भाया । इसके बाद स्वयंसेवियों ने लोक नृत्य कर के सभी को नाचने पर मजबूर कर दिया। चुना लोन की भावात्मक कविता ने सभी को भावुक कर दिया । अपने सम्बोधन में मुख्यातिथि द्वारा सबसे पहले सात दिवसीय विशेष शिविर के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी । उन्होंने स्वयंसेवियों द्वारा सृजनात्मक गतिविधियों की खूब प्रशंसा की व कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के लक्ष्य प्राप्ति के लिए आप सब का समर्पण प्रशंसनीय है । आप सब इस महाविद्यालय के विकास के आधार स्तम्भ हैं । उन्होंने कहा कि हम साक्षर बनें, साक्षरता का प्रकाश फैलाएं तभी साक्षर भारत व आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना की जा सकती है । नाशखोरी अन्य सामाजिक कुरीतियों को दूर भगाएँ । सफलता क्या है, मानसिक प्रसन्नता क्या है, खुश कैसे रहें, मन की खुराक मन को देते रहें , स्वस्थ रहें, स्वस्थ भारत होगा तभी आत्मनिर्भर भारत बनेगा। सच्ची खुशी हमें तब मिलेगी जब हम दूसरों के लिए कुछ करेंगे, दूसरों की भलाई करेंगे। जीवन में मुस्कुराना बहुत आवश्यक है । हमें संस्कारित भारत बनाना है । आंतरिक और बाहरी स्वच्छता को अपनाएं । सत्य एक है, उसको पाने के मार्ग अलग अलग हैं। अनुशासन एवं संयम को आत्मसात करें । उन्होंने कहा मानव शरीर पेड़ की भांति है। समय का सदुपयोग करें। सभी के सुख में सुखी और सभी के दुख में दुःख महसूस करें। अंत में स्वयंसेवियों द्वारा बेहतरीन हिमाचली नाटी प्रस्तुत की गई जिसपर सभी झूमते नज़र आये । प्रोफेसर संतोष द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया । प्रोफेसर अविनाश व प्रोफेसर संतोष द्वारा मुख्यातिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।मुख्यातिथि द्वारा सभी अतिथियों व उत्कृष्ठ स्वयंसेवियों को समृति चिन्ह देकर सम्मनित किया गया । कुलदीप , कार्तिक शर्मा, विशाल कपूर, बिंदिया, मधु बाला, आंचल और निशा उत्कृष्ठ स्वंयमेसवी चुने गए । इसके इलावा समूह अध्यक्षों में सुजल, जितेंद्र, दिशा, वर्षा तथा उप अध्यक्षों में पिंकू, लतु, स्नेहा और पंकज को भी उत्कृष्ट कार्यों के लिय सम्मानित किया गया । इस अवसर पर प्रोफेसर परविंदर कुमार, डॉ शैली महाजन, डॉ संतोष कुमार, डॉ वीरेंद्र सिंह, अधीक्षक ग्रेड 1 मनमोहन सिंह जी, ग्रेड 2 अधीक्षक भुवेश कुमार, रविन्द्र सिंह, हितेश सलवानिया, कार्यक्रम अधिकारियों में प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर संतोष व स्वयंसेवी उपस्थित रहे ।
चम्बा , 07 जनवरी [ शिवानी ] ! आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा की राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर "सहयोग 2024 के सातवें एवम अंतिम दिन के कार्यक्रम का आयोजन हुआ । उक्त जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि सातवें दिन सर्वप्रथम स्वयंसेवी पायल द्वारा दिन का सुविचार "*सफलता एक चुनौती है स्वीकार करो, *" प्रस्तुत किया व उसका वर्णन किया।
स्वयंसेवी रीता द्वारा एक कविता *भ्रष्टाचार* प्रस्तुत की गयी। इसके उपरांत चुना लोन द्वारा छठे दिन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसके बाद एन एस एस गीत "उठें समाज के लिए उठें- उठें, जगें स्वराष्ट्र के लिए जगें जगें, स्वयं सजें वसुंधरा संवार दें" गाकर दिन की शुरुआत की ।
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उक्त जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि समापन समारोह के दौरान प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय चम्बा डॉ मदन गुलेरिया जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इसके इलावा प्रोफेसर परविंदर कुमार, डॉ शैली महाजन, डॉ संतोष कुमार, डॉ वीरेंद्र सिंह, मनमोहन सिंह, रविन्द्र सिंह, हितेश सलवानिया ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की ।
सर्वप्रथम एन एस एस लक्ष्य गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । उसके उपरांत मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों द्वारा मां शारदा की प्रतिमा के सम्मुख पुष्पार्पण करके औपचारिक शुभारम्भ किया । इसके बाद कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर संतोष देवी द्वारा मुख्यातिथि व विशिष्ट अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया ।
इसके उपरांत आरती और भारती ने मनमोहक नृत्य "मैं दीवानी हो गई" प्रस्तुत किया । हिमानी द्वारा सात दिनों का ब्यौरा अपने शब्दों और कविता के माध्यम से "अब अलविदा कहने का वक्त आ गया" रखा गया । कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश द्वारा सात दिनों का लेखा- जोखा शिविर प्रतिवेदन के माध्यम से रखा ।
इसके उपरांत पलक की कविता "मेरी यह जिंदगी वतन के काम आ जाए" और मनीष के लोकगीत "तेरा मेरा प्यार ओ अड़ीए", प्रिया शर्मा का शास्त्रीय नृत्य घूमर, अभिषेक के गीत चम्बे दिए बंद कलिए तैनू केहड़े बेले रब ने बनाया सभी को बहुत भाया । इसके बाद स्वयंसेवियों ने लोक नृत्य कर के सभी को नाचने पर मजबूर कर दिया। चुना लोन की भावात्मक कविता ने सभी को भावुक कर दिया ।
अपने सम्बोधन में मुख्यातिथि द्वारा सबसे पहले सात दिवसीय विशेष शिविर के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी । उन्होंने स्वयंसेवियों द्वारा सृजनात्मक गतिविधियों की खूब प्रशंसा की व कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के लक्ष्य प्राप्ति के लिए आप सब का समर्पण प्रशंसनीय है । आप सब इस महाविद्यालय के विकास के आधार स्तम्भ हैं ।
उन्होंने कहा कि हम साक्षर बनें, साक्षरता का प्रकाश फैलाएं तभी साक्षर भारत व आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना की जा सकती है । नाशखोरी अन्य सामाजिक कुरीतियों को दूर भगाएँ । सफलता क्या है, मानसिक प्रसन्नता क्या है, खुश कैसे रहें, मन की खुराक मन को देते रहें , स्वस्थ रहें, स्वस्थ भारत होगा तभी आत्मनिर्भर भारत बनेगा। सच्ची खुशी हमें तब मिलेगी जब हम दूसरों के लिए कुछ करेंगे, दूसरों की भलाई करेंगे।
जीवन में मुस्कुराना बहुत आवश्यक है । हमें संस्कारित भारत बनाना है । आंतरिक और बाहरी स्वच्छता को अपनाएं । सत्य एक है, उसको पाने के मार्ग अलग अलग हैं। अनुशासन एवं संयम को आत्मसात करें । उन्होंने कहा मानव शरीर पेड़ की भांति है। समय का सदुपयोग करें। सभी के सुख में सुखी और सभी के दुख में दुःख महसूस करें। अंत में स्वयंसेवियों द्वारा बेहतरीन हिमाचली नाटी प्रस्तुत की गई जिसपर सभी झूमते नज़र आये ।
प्रोफेसर संतोष द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया । प्रोफेसर अविनाश व प्रोफेसर संतोष द्वारा मुख्यातिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।मुख्यातिथि द्वारा सभी अतिथियों व उत्कृष्ठ स्वयंसेवियों को समृति चिन्ह देकर सम्मनित किया गया ।
कुलदीप , कार्तिक शर्मा, विशाल कपूर, बिंदिया, मधु बाला, आंचल और निशा उत्कृष्ठ स्वंयमेसवी चुने गए । इसके इलावा समूह अध्यक्षों में सुजल, जितेंद्र, दिशा, वर्षा तथा उप अध्यक्षों में पिंकू, लतु, स्नेहा और पंकज को भी उत्कृष्ट कार्यों के लिय सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर प्रोफेसर परविंदर कुमार, डॉ शैली महाजन, डॉ संतोष कुमार, डॉ वीरेंद्र सिंह, अधीक्षक ग्रेड 1 मनमोहन सिंह जी, ग्रेड 2 अधीक्षक भुवेश कुमार, रविन्द्र सिंह, हितेश सलवानिया, कार्यक्रम अधिकारियों में प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर संतोष व स्वयंसेवी उपस्थित रहे ।
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