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धर्मशाला , 06 फरबरी ! करुणामूलक परिवार अपनी मांगों को लेकर जिला स्तर पर मीडिया के माध्यम से न्याय की गुहार सरकार के समक्ष लग रहे हैं ! जिसके चलते आज धर्मशाला से राज्य आईटी सेल पदाधिकारी गुलशन की अध्यक्षता में करुणा मूलक परिवारों की आवाज को बुलंद किया गया जिसमें राजीव कुमार, मनु कुमार, पंकज ,साहिल विशाल ,रोहित, मीरा देवी, बिता देवी मौजूद रही !! राज्य आईटी सेल गुलशन कुमार का कहना है कि सरकार इन परिवारों को कमेटी का हवाला देकर तारीखो को पर तारीख देखकर टाल आ रही इन परिवारों ने अपने घर का सदस्य खोया है ! 15 से 20 सालों से यह परिवार पहले ही करुणामुल्क नौकरी का वेट करते हुए हो गए हैं और मौजूदा सरकार भी इन परिवारों को तारीखों पर तारीख दे रही आखिर यह परिवार जाए तो जाए कहां किस से न्याय की गुहार लगाए! जबकि जितनी भी सरकारें आई इन परिवारों को हमेशा ठगा ही गया है जबकि इस समय भी यह परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस की सरकार ने सत्ता में आने से पहले करुणामूलकों कर लुभाने वाले वायदे परिवारों के साथ किए थे कि सरकार बनते ही 6 महीने के अंदर करुणामूलकों परिवारों को रोजगार दिया जाएगा जबकि ढाई साल होने वाले हैं परंतु आज भी यह परिवार नौकरी के लिए तरस रहे हैं क्योंकि सब कमेटी मीटिंग के लिए तारीख पर तारीख है डाल रही है और करुणामूलकों का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है और तारीख पर तारीख के रख के इन परिवारों को ठगा जा रहा है इसलिए जिला कांगड़ा के धर्मशाला से आगाज हो चुका है करूणामूलक परिवार नौकरी बहाली की मांग उठा रहे हैं व सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि बिना किसी शर्त के करुणामूलकों की नौकरियां बहाल की जाए। करुणामूलक परिवारों का यह भी कहना है कि जब भी प्रदेश में चुनाव आते हैं तो करुणामूलकों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वायदे किए जाते हैं और जैसे ही चुनाव वीत जाते हैं तो करुणामूलकों का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है और तारीखों पर तारीख दी जाती है जबकि अगर किसी क्षेत्र में किसी विधायक की मृत्यु हो जाती है तो 6 महीने के अंदर उसी क्षेत्र में उपचुनाव करवाए जाते हैं व 6 महीने के अंदर विधायक की सीट भरी जाती हैं !और अगर सरकार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो 15 से 20 साल उसके परिवार को नौकरी के लिए इंतजार करना पड़ता है। जबकि माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी सत्ता में आए तो करुणामुलकों को लगा कि सच में व्यवस्था परिवर्तन होगा परंतु अभी तक ना तो करुणामूलकों के लिए व्यवस्था परिवर्तन हुआ है और न ही करुणामूलकों परिवारों को नौकरी देने हेतु कोई व्यवस्था हुई है सिर्फ करुणामूलकों को नौकरी देने के लिए तारीख पर तारीख दी गई है और ढाई साल में कोई समाधान नहीं निकल पाया है। गुलशन कुमार का कहना यह भी है कि सुख की सरकार अगर सच में जरूरतमंदों , दीन दुखियों और गरीबों की सरकार है तो कृपया करुणामूलकों के दर्द को समझें और करुणामूलको के लिए जल्द से जल्द सब कमेटी की अंतिम मीटिंग लें और कोई ना कोई समाधान निकाले और नौकरी हेतु व्यवस्था करें ! बता दे करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश के बैनर तले पूर्व सरकार के समय भी प्रदेश भर के करुणामूलक आश्रित 432 दिनों का संघर्ष भूख हड़ताल के रूप में जिला शिमला में कर चुके हैं जबकि प्रदेश के हर कोने-कोने से अपनी आवाज को बुलंद कर चुके हैं। 1) आगामी कैबिनेट में 7/03/2019 पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 62500 एक सदस्य सालाना आय शर्त को पूर्णतया हटा दिया जाए और सालाना आय सीमा को 2.50 लाख से उठाकर ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए | 2) वित्त विभाग के द्वारा रिजेक्ट केसों को दोबारा कंसीडर न करने की नोटिफिकेशन जो 22 सितंबर 2022 को हुई थी उस नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और रिजेक्ट केसों को द्वारा कंसीडर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए |3) करुणामूलक भर्तियों में जो 5% कोटे की शर्त जो लगी हुई है उसे हटाया जाए ताकि वन टाइम रिलैक्सेशन के आधार पर एक साथ नियुक्तियां हो सके और जिन विभागों बोर्डों और निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नहीं है उन केसों को शिफ्ट करके किसी अन्य विभाग में नौकरियां दी जाए | 4) शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सभी श्रेणियों (Techanical + Non Techanical) के सभी पदों में नौकरियां दी जाए ताकि किसी एक पद पर बोझ न पड़े। महोदय जी जैसे ही पॉलिसी में संशोधन हो जाए उसके तुरंत बाद बिना किसी भेदभाव के डेट ऑफ डेथ ऑफ डीसीस्ड की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाए ताकि किसी भी परिवार के साथ किसी तरीके का भेदभाव न हो क्योंकि सभी परिवारों ने अपने परिवार के कमाने वाले मृतक कर्मचारी/मुखिया को खोया है।
धर्मशाला , 06 फरबरी ! करुणामूलक परिवार अपनी मांगों को लेकर जिला स्तर पर मीडिया के माध्यम से न्याय की गुहार सरकार के समक्ष लग रहे हैं ! जिसके चलते आज धर्मशाला से राज्य आईटी सेल पदाधिकारी गुलशन की अध्यक्षता में करुणा मूलक परिवारों की आवाज को बुलंद किया गया जिसमें राजीव कुमार, मनु कुमार, पंकज ,साहिल विशाल ,रोहित, मीरा देवी, बिता देवी मौजूद रही !!
राज्य आईटी सेल गुलशन कुमार का कहना है कि सरकार इन परिवारों को कमेटी का हवाला देकर तारीखो को पर तारीख देखकर टाल आ रही इन परिवारों ने अपने घर का सदस्य खोया है ! 15 से 20 सालों से यह परिवार पहले ही करुणामुल्क नौकरी का वेट करते हुए हो गए हैं और मौजूदा सरकार भी इन परिवारों को तारीखों पर तारीख दे रही आखिर यह परिवार जाए तो जाए कहां किस से न्याय की गुहार लगाए!
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जबकि जितनी भी सरकारें आई इन परिवारों को हमेशा ठगा ही गया है जबकि इस समय भी यह परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस की सरकार ने सत्ता में आने से पहले करुणामूलकों कर लुभाने वाले वायदे परिवारों के साथ किए थे कि सरकार बनते ही 6 महीने के अंदर करुणामूलकों परिवारों को रोजगार दिया जाएगा जबकि ढाई साल होने वाले हैं परंतु आज भी यह परिवार नौकरी के लिए तरस रहे हैं क्योंकि सब कमेटी मीटिंग के लिए तारीख पर तारीख है डाल रही है और करुणामूलकों का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है और तारीख पर तारीख के रख के इन परिवारों को ठगा जा रहा है इसलिए जिला कांगड़ा के धर्मशाला से आगाज हो चुका है करूणामूलक परिवार नौकरी बहाली की मांग उठा रहे हैं व सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि बिना किसी शर्त के करुणामूलकों की नौकरियां बहाल की जाए।
करुणामूलक परिवारों का यह भी कहना है कि जब भी प्रदेश में चुनाव आते हैं तो करुणामूलकों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वायदे किए जाते हैं और जैसे ही चुनाव वीत जाते हैं तो करुणामूलकों का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है और तारीखों पर तारीख दी जाती है जबकि अगर किसी क्षेत्र में किसी विधायक की मृत्यु हो जाती है तो 6 महीने के अंदर उसी क्षेत्र में उपचुनाव करवाए जाते हैं व 6 महीने के अंदर विधायक की सीट भरी जाती हैं !और अगर सरकार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो 15 से 20 साल उसके परिवार को नौकरी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
जबकि माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी सत्ता में आए तो करुणामुलकों को लगा कि सच में व्यवस्था परिवर्तन होगा परंतु अभी तक ना तो करुणामूलकों के लिए व्यवस्था परिवर्तन हुआ है और न ही करुणामूलकों परिवारों को नौकरी देने हेतु कोई व्यवस्था हुई है सिर्फ करुणामूलकों को नौकरी देने के लिए तारीख पर तारीख दी गई है और ढाई साल में कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
गुलशन कुमार का कहना यह भी है कि सुख की सरकार अगर सच में जरूरतमंदों , दीन दुखियों और गरीबों की सरकार है तो कृपया करुणामूलकों के दर्द को समझें और करुणामूलको के लिए जल्द से जल्द सब कमेटी की अंतिम मीटिंग लें और कोई ना कोई समाधान निकाले और नौकरी हेतु व्यवस्था करें !
बता दे करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश के बैनर तले पूर्व सरकार के समय भी प्रदेश भर के करुणामूलक आश्रित 432 दिनों का संघर्ष भूख हड़ताल के रूप में जिला शिमला में कर चुके हैं जबकि प्रदेश के हर कोने-कोने से अपनी आवाज को बुलंद कर चुके हैं।
1) आगामी कैबिनेट में 7/03/2019 पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 62500 एक सदस्य सालाना आय शर्त को पूर्णतया हटा दिया जाए और सालाना आय सीमा को 2.50 लाख से उठाकर ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए |
2) वित्त विभाग के द्वारा रिजेक्ट केसों को दोबारा कंसीडर न करने की नोटिफिकेशन जो 22 सितंबर 2022 को हुई थी उस नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और रिजेक्ट केसों को द्वारा कंसीडर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए
|3) करुणामूलक भर्तियों में जो 5% कोटे की शर्त जो लगी हुई है उसे हटाया जाए ताकि वन टाइम रिलैक्सेशन के आधार पर एक साथ नियुक्तियां हो सके और जिन विभागों बोर्डों और निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नहीं है उन केसों को शिफ्ट करके किसी अन्य विभाग में नौकरियां दी जाए |
4) शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सभी श्रेणियों (Techanical + Non Techanical) के सभी पदों में नौकरियां दी जाए ताकि किसी एक पद पर बोझ न पड़े।
महोदय जी जैसे ही पॉलिसी में संशोधन हो जाए उसके तुरंत बाद बिना किसी भेदभाव के डेट ऑफ डेथ ऑफ डीसीस्ड की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाए ताकि किसी भी परिवार के साथ किसी तरीके का भेदभाव न हो क्योंकि सभी परिवारों ने अपने परिवार के कमाने वाले मृतक कर्मचारी/मुखिया को खोया है।
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