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भरमौर , 29 मई [ शिवानी ] ! आज के युग में पानी एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। भीषण गर्मी के कारण प्राकृतिक जल स्त्रोत लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए है। ऐसी ही एक समस्या ग्राम पंचायत लेच में भी सामने आई। जहां प्राकृतिक पानी का जल स्त्रोत आज सूखने की कगार पर पहुंच गया है। इस प्राकृतिक जल स्त्रोत के आस पास बहुत ज्यादा मिटी और कीचड़ जमा हो गई थी। जिस वजह से पानी का बहाव कम हो गया था। जिसे देखते हुए वहां के गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने वहां के पूर्व प्रधान ज्ञान चंद की अगुवाई में इस जल स्त्रोत को पूर्णतः लुप्त होने से बचाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करवाई। जिसमे उन्होने कड़ी मशक्कत करने के बाद वहां की साफ सफाई कर के पानी के बहाव को फिर से निकाल दिया। ये प्राक्रतिक पानी का स्त्रोत बहुत पुराना है और यहां हमेशा ही ठंडा पानी बहता है। जिस वजह से ग्रामीण लोग हमेशा ही यहां से पीने का पानी भरते थे लेकिन पानी कम होने की वजह से लोगों को घंटो लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। जिसे देखते हुए पूर्व प्रधान ने कुछ ग्रामीण महिलाओं संग मिल कर इस जल स्त्रोत के रुके हुए पानी को पुनः बहाल कर दिया है।
भरमौर , 29 मई [ शिवानी ] ! आज के युग में पानी एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। भीषण गर्मी के कारण प्राकृतिक जल स्त्रोत लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए है। ऐसी ही एक समस्या ग्राम पंचायत लेच में भी सामने आई। जहां प्राकृतिक पानी का जल स्त्रोत आज सूखने की कगार पर पहुंच गया है।
इस प्राकृतिक जल स्त्रोत के आस पास बहुत ज्यादा मिटी और कीचड़ जमा हो गई थी। जिस वजह से पानी का बहाव कम हो गया था। जिसे देखते हुए वहां के गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने वहां के पूर्व प्रधान ज्ञान चंद की अगुवाई में इस जल स्त्रोत को पूर्णतः लुप्त होने से बचाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करवाई। जिसमे उन्होने कड़ी मशक्कत करने के बाद वहां की साफ सफाई कर के पानी के बहाव को फिर से निकाल दिया।
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ये प्राक्रतिक पानी का स्त्रोत बहुत पुराना है और यहां हमेशा ही ठंडा पानी बहता है। जिस वजह से ग्रामीण लोग हमेशा ही यहां से पीने का पानी भरते थे लेकिन पानी कम होने की वजह से लोगों को घंटो लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। जिसे देखते हुए पूर्व प्रधान ने कुछ ग्रामीण महिलाओं संग मिल कर इस जल स्त्रोत के रुके हुए पानी को पुनः बहाल कर दिया है।
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