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शिमला , 29 जनवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल पर कर्ज एक लाख करोड़ पार कर गया है। वही हिमाचल को कर्ज में डुबोने के लिए कांग्रेस भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगा रही है। सरकार में मंत्री राजेश धर्मानी ने जहा पूर्व की सरकारों को जिम्मेवार ठहराया वही भाजपा के विधायक विनोद कुमार ने भी पलटवार किया ओर वर्तमान कांग्रेस सरकार पर दो साल में ही 30 हजार करोड़ का कर्ज लेने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि शांता कुमार जब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो आप सबकी जानकारी के लिए कहना चाहता हूं उन्होंने हिमाचल प्रदेश को कर्ज से मुक्त किया था। शांता कुमार जो इस सोच को लेकर के चले थे कि हमने हिमांचल प्रदेश को कर्ज लिए बिना विकास को गति देते हुए आगे लेकर के जाना है। विनोद ने कहा कि हिमांचल प्रदेश में अगर ऋण लेने की शुरुआत किसी सरकार ने की है तो कांग्रेस पार्टी की राजा वीरभद्र सिंह की सरकार ने की थी, तो पहली बार ऋण उस वक्त लिया गया जब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे और जहां तक बात आती है इस प्रदेश को कर्जे में डुबोने की, तो आप सारे आंकड़ों को निकाल करके देख सकते की पूर्व कांग्रेस सरकार ने , पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की 2007 से 2012 तक की सरकार बनी, तो सरकार ने केवल 7466 करोड़ रुपया ऋण लिया और वह भी प्रदेश के विकास को करने के लिए लिया गया । 2012 से 2017 तक कांग्रेस पार्टी की सरकार राजा वीरभद्र सिंह के राज में प्रदेश में चली और उस सरकार ने 22947 करोड़ रुपए का ऋण प्रदेश के विकास कार्य के लिए था। उस सरकार के माध्यम से लिया गया और कुल मिलाकर के इन पाच वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश के ऊपर कुल 47966 करोड़ रुपए का ऋण हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की वीरभद्र सिंह की सरकार छोड़ कर के गई थी। 2017 में चुनाव हुआ भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में बनी यानी जयराम ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने उस समय 5 साल में सरकार ने कोरोना जैसी महामारी के बावजूद केवल 19 हजार करोड़ के लग भग लोन लिया। जबकि कांग्रेस की वर्तमान सरकार ने दो साल में ही 30 हजार करोड़ का कर्ज ले लिया है। जोकि अब तक का सबसे ज्यादा कर्ज है। ये कर्ज किस लिए जा रहा है इसकी किसी को कोई जानकारी नही है। प्रदेश में विकास कार्य ठप्प पड़े है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का काम केवल मात्र झूठ बोलना, जनता को भटकना और ब्रह्म पैदा करना है।
शिमला , 29 जनवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल पर कर्ज एक लाख करोड़ पार कर गया है। वही हिमाचल को कर्ज में डुबोने के लिए कांग्रेस भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगा रही है। सरकार में मंत्री राजेश धर्मानी ने जहा पूर्व की सरकारों को जिम्मेवार ठहराया वही भाजपा के विधायक विनोद कुमार ने भी पलटवार किया ओर वर्तमान कांग्रेस सरकार पर दो साल में ही 30 हजार करोड़ का कर्ज लेने के आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि शांता कुमार जब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो आप सबकी जानकारी के लिए कहना चाहता हूं उन्होंने हिमाचल प्रदेश को कर्ज से मुक्त किया था। शांता कुमार जो इस सोच को लेकर के चले थे कि हमने हिमांचल प्रदेश को कर्ज लिए बिना विकास को गति देते हुए आगे लेकर के जाना है। विनोद ने कहा कि हिमांचल प्रदेश में अगर ऋण लेने की शुरुआत किसी सरकार ने की है तो कांग्रेस पार्टी की राजा वीरभद्र सिंह की सरकार ने की थी, तो पहली बार ऋण उस वक्त लिया गया जब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे और जहां तक बात आती है इस प्रदेश को कर्जे में डुबोने की, तो आप सारे आंकड़ों को निकाल करके देख सकते की पूर्व कांग्रेस सरकार ने , पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की 2007 से 2012 तक की सरकार बनी, तो सरकार ने केवल 7466 करोड़ रुपया ऋण लिया और वह भी प्रदेश के विकास को करने के लिए लिया गया ।
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2012 से 2017 तक कांग्रेस पार्टी की सरकार राजा वीरभद्र सिंह के राज में प्रदेश में चली और उस सरकार ने 22947 करोड़ रुपए का ऋण प्रदेश के विकास कार्य के लिए था। उस सरकार के माध्यम से लिया गया और कुल मिलाकर के इन पाच वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश के ऊपर कुल 47966 करोड़ रुपए का ऋण हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की वीरभद्र सिंह की सरकार छोड़ कर के गई थी। 2017 में चुनाव हुआ भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में बनी यानी जयराम ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने उस समय 5 साल में सरकार ने कोरोना जैसी महामारी के बावजूद केवल 19 हजार करोड़ के लग भग लोन लिया।
जबकि कांग्रेस की वर्तमान सरकार ने दो साल में ही 30 हजार करोड़ का कर्ज ले लिया है। जोकि अब तक का सबसे ज्यादा कर्ज है। ये कर्ज किस लिए जा रहा है इसकी किसी को कोई जानकारी नही है। प्रदेश में विकास कार्य ठप्प पड़े है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का काम केवल मात्र झूठ बोलना, जनता को भटकना और ब्रह्म पैदा करना है।
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