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चम्बा , 25 अगस्त [ शिवानी ] ! आज बकलोह के गोरखा सभा भवन में गोरखा सभा के सभा पति विजय गुरुंग के अगुआई मै देश के लिए बलिदान देने वाले आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सिपाही मेजर दुर्गा मल के 80वा बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यकर्म का आगाज दीप प्रज्वलित से किया गया इस के साथ ही बकलोह क्षेत्र के वीर सपूतों को भी बलिदान दिवस के मौके में याद किया गया। सुबह सबसे से पहले देश के लिए मर मिटने वाले आजाद हिंद फौज के गोरखा सिपाही मेजर दुर्गा मल के साथ साथ सभी बकलोह के वीर सपूतों को भी श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके में देश भक्ति के गीत भी भक्ति के गीत भी गाए गए। और सभी सदस्य के द्वारा दो मिनट का मोन भी धारण किया गया। उसके पश्चात् एक्स सर्विस लीग के अध्यक्ष कैप्टन पूरन सिंह थापा ने मेजर दुर्गा माल के बारे में जानकारी देते हुए बताएं कि मेजर दुर्गामल को आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सिपाही थे। जिसने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन बलिदान दिए थे। मेजर दुर्गा मल आजाद हिंद फौज के एक सैनिक थे। गुप्त चर शाखाओं का महत्व पूर्ण जानकरी प्राप्त करतें हुए मेजर दुर्गा मल को मणिपुर के कोहिमा नजदीक उखरूल्मा शत्रु सेना के पकड़े जाने पर उनको युद्ध बंदी बना के बाद उनको कई यातनाएं देने के बाद अंग्रेज सैनिकों के द्वारा 14 अगस्त 1944 में उनको लाल किला के सेंट्रल जेल में 10 दिन तक रखने के बाद आज ही के दिन अग्रेजों के द्वारा 25अगस्त 1944 को फांसी दे दी गई। मेजर दुर्गा मल ने अपनी पत्नी शारदा देवी को फांसी देने से पहले कहा कि मेरा दिया हुआ बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। भारत देश एक दिन जरुर आजाद होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है। इस लिए पूरे देश में आज जी के दिन मेजर दुर्गा मल का बलिदान दिवस के रूप में मन माना जाता है।
चम्बा , 25 अगस्त [ शिवानी ] ! आज बकलोह के गोरखा सभा भवन में गोरखा सभा के सभा पति विजय गुरुंग के अगुआई मै देश के लिए बलिदान देने वाले आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सिपाही मेजर दुर्गा मल के 80वा बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यकर्म का आगाज दीप प्रज्वलित से किया गया इस के साथ ही बकलोह क्षेत्र के वीर सपूतों को भी बलिदान दिवस के मौके में याद किया गया। सुबह सबसे से पहले देश के लिए मर मिटने वाले आजाद हिंद फौज के गोरखा सिपाही मेजर दुर्गा मल के साथ साथ सभी बकलोह के वीर सपूतों को भी श्रद्धांजलि दी गई।
इस मौके में देश भक्ति के गीत भी भक्ति के गीत भी गाए गए। और सभी सदस्य के द्वारा दो मिनट का मोन भी धारण किया गया। उसके पश्चात् एक्स सर्विस लीग के अध्यक्ष कैप्टन पूरन सिंह थापा ने मेजर दुर्गा माल के बारे में जानकारी देते हुए बताएं कि मेजर दुर्गामल को आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सिपाही थे। जिसने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन बलिदान दिए थे। मेजर दुर्गा मल आजाद हिंद फौज के एक सैनिक थे।
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गुप्त चर शाखाओं का महत्व पूर्ण जानकरी प्राप्त करतें हुए मेजर दुर्गा मल को मणिपुर के कोहिमा नजदीक उखरूल्मा शत्रु सेना के पकड़े जाने पर उनको युद्ध बंदी बना के बाद उनको कई यातनाएं देने के बाद अंग्रेज सैनिकों के द्वारा 14 अगस्त 1944 में उनको लाल किला के सेंट्रल जेल में 10 दिन तक रखने के बाद आज ही के दिन अग्रेजों के द्वारा 25अगस्त 1944 को फांसी दे दी गई।
मेजर दुर्गा मल ने अपनी पत्नी शारदा देवी को फांसी देने से पहले कहा कि मेरा दिया हुआ बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। भारत देश एक दिन जरुर आजाद होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है। इस लिए पूरे देश में आज जी के दिन मेजर दुर्गा मल का बलिदान दिवस के रूप में मन माना जाता है।
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