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शिमला ! सुक्खू सरकार ने मातृशक्ति ही नहीं गोमाता के साथ भी किया है छल*शिमला: शिमला से जारी बयान में भाजपा के नेता, विधायक एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि सुक्खू सरकार अब झूठ के बाद अब अफवाह फैलाने की ओछी हरकत कर रही है। इस बार भी उसके निशाने पर सनातन परंपरा ही है। कांग्रेस सरकार अपने सनातन विरोधी रवैये से बाज नहीं आ रही है। भाजपा की पूर्व सरकार ने किसी भी सरकारी योजना के लिए मंदिरों से कोई पैसा नहीं मांगा था। इसलिए सरकार अपना एक पाप छुपाने के लिए दूसरा पाप न करे। सुखराम चौधरी ने कहा कि हम सनातनी हैं सनातन के लिए काम करते हैं। हमारे धर्म में गौ माता का कितना महत्व है, हर सनातनी जानता है। हमारी सरकार ने गौ संवर्धन बोर्ड बनाया। गौ संरक्षण सनातन की प्रतिबद्धता है, इसलिए भाजपा की सरकार ने हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पूर्त विन्यास अधिनियम 1984 के संशोधन अधिनियम 2018 के तहत धारा 22 की उप धारा 2 में खंड (जी) के तहत प्रावधान किया कि "हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थाओं और पूर्त विन्यासों की प्राप्तियों का 15 फ़ीसदी हिस्सा गो सदनों के निर्माण, रखरखाव और उनके स्तरोन्नयन करने के लिए गोवंश संवर्धन के लिए प्रथम प्रभार के रूप में किया जाएगा"। यह विधान सभा के द्वारा पास किया कानून है, जिस सदन में यह क़ानून पास हुआ था उस समान के मुख्यमंत्री महोदय सदस्य थे। इसलिए उन्हें अपनी स्मृति पर जोड़ देना चाहिए और सनातन और गोमाता के खिलाफ़ किसी प्रकार की साज़िश नहीं करनी चाहिए। इसके विषय में उपायुक्तों को लिखे पत्र में भी अधोहस्ताक्षरी द्वारा स्पष्ट लिखा गया है की टेंपल ट्रस्ट अपनी गौशाला चला सकते हैं यदि टेंपल ट्रस्ट गौशाला नहीं चलाता है तो संबंधित जिले की रजिस्टर्ड गौशाला को यह राशि दान कर सकता है। यदि मंदिर के सम्बन्धित जिले में कोई गौशाला नहीं है तो सरकार की स्वीकृति के पश्चात आवश्यकता के आधार अन्य जिलों की रजिस्टर्ड गौशाला को दे सकता है। यहां सरकार द्वारा कोई भी पैसा सरकारी खाते में ना जमा करने के लिए कहा गया और नहीं सरकार चलाने के लिए सरकार द्वारा पैसा मांगा गया। सुखराम चौधरी ने कहा कि जयराम ठाकुर के द्वारा उठाए गए इन कदमों के कारण ही हिमाचल प्रदेश में जहां पहले प्रदेश में गोसदनों में 6400 गोवंश थी, अगले पाँच साल में उनकी संख्या 22000 पहुंची और प्रदेश में गौशालाओं की संख्या 220 हो गई। पूर्व सरकार ने गौशाला में गोवंश को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो उसके लिए 700 रुपए प्रति गोवंश सहायता राशि देने का भी प्रबंध किया। जो गौसेवा आयोग के जरिए आज भी प्रदेश 220 गौशालाओं को निर्बाध रूप से मिल रहा है। जयराम ठाकुर के कार्यकाल में 47 करोड़ की लागत से 9 गौ- अभयारण्य भी बनाए गए। गोसंरक्षण और संवर्धन के लिए जो काम जयराम सरकार द्वारा किया गया उसके लिए एक भी पैसा किसी मंदिर से नहीं लिया गया। इसलिए सरकार झूठ बोलने, सनातन और गोमाता विरोधी रवैए से बाज आए। मुख्यमंत्री यह बताएं कि क्या वह गोवंश कें कल्याण के लिए पूर्व सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का समर्थन करते हैं या नहीं? साथ ही वह यह भी स्पष्ट करें कि सनातन के विरुद्ध काम करने के पीछे उनकी मंशा क्या है। गोमाता के नाम भी घोषणा कर भूले मुख्यमंत्री, प्रचार-प्रसार में उड़ाए पैसेसुखविंदर सिंह सुक्खू जी ने फरवरी 2024 के बजट में गोशालाओं को प्रति गोवंश मिलने वाले अनुदान को 500 रुपए बढ़ाकर 700 रुपए से 1200 रुपए करने की घोषणा की थी और इस घोषणा के प्रचार पर भी खूब पैसे खर्च किए थे। सुख सम्मान निधि की ही तरह गोमाता को एक भी पैसा नहीं मिला। प्रदेश की मातृ शक्ति के साथ मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने गऊ माता से भी झूठ बोलने का काम किया है। इसके लिए उन्हें माफ़ी माँगनी चाहिए। इसी तरह का प्रचार-प्रसार सरकार ने सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना का भी किया। सारा पैसा प्रचार प्रसार पर ख़त्म करने के बाद योजना के असली लाभार्थियों के लिए मंदिरों से पैसे वसूलने लगे।
शिमला ! सुक्खू सरकार ने मातृशक्ति ही नहीं गोमाता के साथ भी किया है छल*
शिमला: शिमला से जारी बयान में भाजपा के नेता, विधायक एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि सुक्खू सरकार अब झूठ के बाद अब अफवाह फैलाने की ओछी हरकत कर रही है। इस बार भी उसके निशाने पर सनातन परंपरा ही है। कांग्रेस सरकार अपने सनातन विरोधी रवैये से बाज नहीं आ रही है। भाजपा की पूर्व सरकार ने किसी भी सरकारी योजना के लिए मंदिरों से कोई पैसा नहीं मांगा था। इसलिए सरकार अपना एक पाप छुपाने के लिए दूसरा पाप न करे।
सुखराम चौधरी ने कहा कि हम सनातनी हैं सनातन के लिए काम करते हैं। हमारे धर्म में गौ माता का कितना महत्व है, हर सनातनी जानता है। हमारी सरकार ने गौ संवर्धन बोर्ड बनाया। गौ संरक्षण सनातन की प्रतिबद्धता है, इसलिए भाजपा की सरकार ने हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पूर्त विन्यास अधिनियम 1984 के संशोधन अधिनियम 2018 के तहत धारा 22 की उप धारा 2 में खंड (जी) के तहत प्रावधान किया कि "हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थाओं और पूर्त विन्यासों की प्राप्तियों का 15 फ़ीसदी हिस्सा गो सदनों के निर्माण, रखरखाव और उनके स्तरोन्नयन करने के लिए गोवंश संवर्धन के लिए प्रथम प्रभार के रूप में किया जाएगा"। यह विधान सभा के द्वारा पास किया कानून है, जिस सदन में यह क़ानून पास हुआ था उस समान के मुख्यमंत्री महोदय सदस्य थे। इसलिए उन्हें अपनी स्मृति पर जोड़ देना चाहिए और सनातन और गोमाता के खिलाफ़ किसी प्रकार की साज़िश नहीं करनी चाहिए।
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इसके विषय में उपायुक्तों को लिखे पत्र में भी अधोहस्ताक्षरी द्वारा स्पष्ट लिखा गया है की टेंपल ट्रस्ट अपनी गौशाला चला सकते हैं यदि टेंपल ट्रस्ट गौशाला नहीं चलाता है तो संबंधित जिले की रजिस्टर्ड गौशाला को यह राशि दान कर सकता है। यदि मंदिर के सम्बन्धित जिले में कोई गौशाला नहीं है तो सरकार की स्वीकृति के पश्चात आवश्यकता के आधार अन्य जिलों की रजिस्टर्ड गौशाला को दे सकता है। यहां सरकार द्वारा कोई भी पैसा सरकारी खाते में ना जमा करने के लिए कहा गया और नहीं सरकार चलाने के लिए सरकार द्वारा पैसा मांगा गया।
सुखराम चौधरी ने कहा कि जयराम ठाकुर के द्वारा उठाए गए इन कदमों के कारण ही हिमाचल प्रदेश में जहां पहले प्रदेश में गोसदनों में 6400 गोवंश थी, अगले पाँच साल में उनकी संख्या 22000 पहुंची और प्रदेश में गौशालाओं की संख्या 220 हो गई। पूर्व सरकार ने गौशाला में गोवंश को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो उसके लिए 700 रुपए प्रति गोवंश सहायता राशि देने का भी प्रबंध किया। जो गौसेवा आयोग के जरिए आज भी प्रदेश 220 गौशालाओं को निर्बाध रूप से मिल रहा है। जयराम ठाकुर के कार्यकाल में 47 करोड़ की लागत से 9 गौ- अभयारण्य भी बनाए गए। गोसंरक्षण और संवर्धन के लिए जो काम जयराम सरकार द्वारा किया गया उसके लिए एक भी पैसा किसी मंदिर से नहीं लिया गया। इसलिए सरकार झूठ बोलने, सनातन और गोमाता विरोधी रवैए से बाज आए। मुख्यमंत्री यह बताएं कि क्या वह गोवंश कें कल्याण के लिए पूर्व सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का समर्थन करते हैं या नहीं? साथ ही वह यह भी स्पष्ट करें कि सनातन के विरुद्ध काम करने के पीछे उनकी मंशा क्या है।
गोमाता के नाम भी घोषणा कर भूले मुख्यमंत्री, प्रचार-प्रसार में उड़ाए पैसे
सुखविंदर सिंह सुक्खू जी ने फरवरी 2024 के बजट में गोशालाओं को प्रति गोवंश मिलने वाले अनुदान को 500 रुपए बढ़ाकर 700 रुपए से 1200 रुपए करने की घोषणा की थी और इस घोषणा के प्रचार पर भी खूब पैसे खर्च किए थे। सुख सम्मान निधि की ही तरह गोमाता को एक भी पैसा नहीं मिला। प्रदेश की मातृ शक्ति के साथ मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने गऊ माता से भी झूठ बोलने का काम किया है। इसके लिए उन्हें माफ़ी माँगनी चाहिए। इसी तरह का प्रचार-प्रसार सरकार ने सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजना का भी किया। सारा पैसा प्रचार प्रसार पर ख़त्म करने के बाद योजना के असली लाभार्थियों के लिए मंदिरों से पैसे वसूलने लगे।
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