!!"भारतीय सनातन धर्म संतों के साथ यूके में रह रहे भारतियों के लिए ज्ञान की गंगा बहा रहे सिध्दाश्रम शक्ति केंद्र के संस्थापक"!!
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सोलन, 25 जुलाई, [ पंकज गोल्डी ] ! ब्रिटेन स्थित सनातन धर्म के प्रचार - प्रसार में गत 35 वर्षों से लगे परम पूज्य श्रीराजराजेश्वर गुरूजी जिन्होंने ब्रिटेन में लगातार 108 बार निर्जला हनुमान चालीसा का पाठ कर एक रिकॉर्ड स्थापित किया है आगामी समय में चंडीगढ़ और शिमला में पहुँच रहे हैं। हाल ही में ब्रिटेन पहुंचे बी बी एन के युवा उद्योगपति सुमित सिंगला और उनकी धर्मपत्नी रेशु सिंगला को अपने आश्रम में सम्मानित करते हुए उन्होंने बताया कि शीघ्र ही वह चंडीगढ़ और शिमला पहुंचेगे और जाखू मंदिर स्थित हनुमान मंदिर में पूजन करने के पश्चात हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु के निवास पर एक धार्मिक समारोह में हिस्सा लेंगे। यह बात उल्लेखनीय है कि हाल ही में वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड के इंडियन चैप्टर प्रेजिडेंट संतोष शुक्ल की माता जी स्व. मनोरमा शुक्ल अम्माजी की याद में उन्होंने सिद्धाश्रम में एक धार्मिक समारोह कर उनकी याद में पूजन किया और श्रद्धा सुमन भेंट किये. उनके द्वारा यू के के हैरो स्थित सिद्धाश्रम शक्ति केंद्र में शिव बाबा, भगवान् श्री कृष्ण सहित सनातन धर्म से संबंधित देवी देवताओं की भव्य मूर्तियां स्थापित की हुई हैं. आश्रम में गुरुजी द्वारा यू के निवासी भारतीय मूल के लोगों के साथ साथ यू के के मूल निवासियों को आर्थिक, भौतिक और अध्यात्म की जानकारी सनातन धर्म के अनुरूप प्रदान की जाती है। इस आश्रम में गौ वंश के साथ साथ अन्य जीवों की सेवा संभाल की जाती है. परम पूज्य राजराजेश्वर जी अपने गुरु परमहंस निश्च्लेश्वर जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए भगवान शिव और जीवों के बीच के अंतर को सूक्ष्म रूप से ज्ञान देते हैं. गुरु जी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का भी विश्व भर में सनातन धरम के धर्मगुरुओं के साथ प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने सनातन के आधार पर साधना और दीक्षि करते हुए भारत के धर्मगुरुओं जिनमें बाग बागेश्वर धाम सरकार, रामदेव इत्यादि है को यू के के संसद में सम्मानित किया। इस प्रकार ब्रिटेन में धर्म की गंगा का एक पुंज स्वरूप बह रहा है। उन्होंने समाज को व्यापार के साथ साथ अपने परिवार को भी प्राथमिकता देने और आपसी सौहार्द और प्रेम मजबूत करने का ज्ञान दिया। उनका कहना है कि जीवन में बदलाव के लिए भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने जीवन को ढाल लेने से ही सही मार्ग और आध्यात्मिक शांति प्राप्त हो सकती है।
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