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सोलन , 09 अगस्त, [ पंकज गोल्डी ] ! प्रदेश सरकार कृषि क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए हिम-उन्नति योजना लागू करेगी जिसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। इस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस योजना से लगभग 1.92 लाख किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा जो पहले से ही 32,149 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल के माध्यम से कृषि क्षेत्र को आर्थिक रूप से व्यवाहरिक बनाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा।हिम-उन्नति योजना के तहत सरकार छोटे किसानों को एकीकृत करेगी ताकि वह बड़ी मात्रा में उत्पादन कर सकें, जिससे पर्याप्त विपणन योग्य अधिशेष सुनिश्चित हो सके। यह पहल प्रदेश में चलाई जा रही विभिन्न कृषि योजनाओं को भी एकीकृत करेगी। इस योजना को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन और ग्रामीण विकास जैसे विभाग समन्वय से कार्य करेंगे।मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस योजना से विशेष रूप से छोटे व सीमांत किसानों, महिला किसानों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवार और समाज के कमजोर वर्गों के लोग लाभान्वित होंगे। इस योजना से 2600 केंद्रित कृषि समूहों के निर्माण से लगभग 50 हजार किसानों के लिए स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इसके अलावा राज्य में सब्जियों और अनाजों की उत्पादकता में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।हिम-उन्नति योजना के तहत मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत मृदा परीक्षण-आधारित पोषक तत्व प्रबंधन, उच्च-स्तरीय उत्पाद की खेती को बढ़ावा और पारंपरिक फसलों और बाजरा खरीद के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 10 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये और कांटेदार तार इत्यादि लगाने के दृष्टिगत अतिरिक्त 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा राज्य सरकार द्वारा प्रति परिवार प्राकृतिक खेती से उत्पादित 20 क्विंटल अनाज की खरीद की जाएगी। इसके तहत 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहंू और 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मक्का की खरीद की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य राज्य में रसायन मुक्त खेती को प्रोत्साहित करना और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है। हिम-उन्नति योजना राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तीसरे चरण के तहत प्राकृतिक खेती के तरीकों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार द्वारा समर्पित वेब पोर्टल के माध्यम से 15 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती की भूमि के रूप में प्रमाणित करने की योजना है। इसके अतिरिक्त कृषि संसाधन विश्लेषण (सीईटीएआरए एनएफ) प्रणाली के लिए प्रमाणित मूल्यांकन उपकरण के तहत 1.41 लाख से अधिक किसानों को पहले ही प्रमाणित किया जा चुका है। हिमाचल प्रदेश में विशेषकर महिला किसानों के बीच प्राकृतिक खेती की लोकप्रियता बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम-उन्नति योजना कृषक समुदाय की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और राज्य कोे आत्मनिर्भरता के लक्ष्य में योगदान देने के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
सोलन , 09 अगस्त, [ पंकज गोल्डी ] !
प्रदेश सरकार कृषि क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए हिम-उन्नति योजना लागू करेगी जिसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। इस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस योजना से लगभग 1.92 लाख किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा जो पहले से ही 32,149 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल के माध्यम से कृषि क्षेत्र को आर्थिक रूप से व्यवाहरिक बनाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा।
हिम-उन्नति योजना के तहत सरकार छोटे किसानों को एकीकृत करेगी ताकि वह बड़ी मात्रा में उत्पादन कर सकें, जिससे पर्याप्त विपणन योग्य अधिशेष सुनिश्चित हो सके। यह पहल प्रदेश में चलाई जा रही विभिन्न कृषि योजनाओं को भी एकीकृत करेगी। इस योजना को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन और ग्रामीण विकास जैसे विभाग समन्वय से कार्य करेंगे।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस योजना से विशेष रूप से छोटे व सीमांत किसानों, महिला किसानों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवार और समाज के कमजोर वर्गों के लोग लाभान्वित होंगे। इस योजना से 2600 केंद्रित कृषि समूहों के निर्माण से लगभग 50 हजार किसानों के लिए स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इसके अलावा राज्य में सब्जियों और अनाजों की उत्पादकता में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
हिम-उन्नति योजना के तहत मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत मृदा परीक्षण-आधारित पोषक तत्व प्रबंधन, उच्च-स्तरीय उत्पाद की खेती को बढ़ावा और पारंपरिक फसलों और बाजरा खरीद के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 10 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये और कांटेदार तार इत्यादि लगाने के दृष्टिगत अतिरिक्त 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा राज्य सरकार द्वारा प्रति परिवार प्राकृतिक खेती से उत्पादित 20 क्विंटल अनाज की खरीद की जाएगी। इसके तहत 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहंू और 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मक्का की खरीद की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य राज्य में रसायन मुक्त खेती को प्रोत्साहित करना और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
हिम-उन्नति योजना राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तीसरे चरण के तहत प्राकृतिक खेती के तरीकों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार द्वारा समर्पित वेब पोर्टल के माध्यम से 15 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती की भूमि के रूप में प्रमाणित करने की योजना है। इसके अतिरिक्त कृषि संसाधन विश्लेषण (सीईटीएआरए एनएफ) प्रणाली के लिए प्रमाणित मूल्यांकन उपकरण के तहत 1.41 लाख से अधिक किसानों को पहले ही प्रमाणित किया जा चुका है। हिमाचल प्रदेश में विशेषकर महिला किसानों के बीच प्राकृतिक खेती की लोकप्रियता बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम-उन्नति योजना कृषक समुदाय की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और राज्य कोे आत्मनिर्भरता के लक्ष्य में योगदान देने के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
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