!!"पंजाब-हिमाचल को जोडऩे वाले क्षतिग्रस्त दभोटा पुल का मुददा फिर से गर्माया"!!
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सोलन, 26 सितम्बर, [ पंकज गोल्डी ] ! पंजाब व हिमाचल को जोडने वाले एकमात्र पुल दभोटा पुल के क्षतिग्रस्त होने का मुददा एक बार फिर से गर्मा गया है। एक साल पहले आई भारी बारिश से दभोटा पुल टूट गया था। उसके बाद पंजाब व हिमाचल दोनो सरकारों ने लोगों को राम भरोसे छोड दिया। क्षतिग्रस्त पुल को न बनाने को लेकर लघु उद्योग संघ हिमाचल व फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों व पंजाब व हिमाचल के ग्रामीणों ने एक दिवसीय धरना भी दभोटा पुल पर दिया। इसी संदर्भ में आज रोपड जिले घनौली में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए लघु उद्योग संघ हिमाचल प्रदेश राज्य महासचिव अनिल मलिक व फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री के प्रदेश संगठन मंत्री डाक्टर रणेश राणा ने कहा कि दोनो सरकारों में सहमति बनी थी कि दोनो सरकारें डेढ-डेढ करोड रुपये देकर इस पुलि का पुर्ननिर्माण करवाएगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपना हिस्सा पंजाब को दे दिया था और पंजाब से यह पुल बनाना था। अनिल मलिक ने कहा कि हैरानी है कि पंजाब की आम आदमी सरकार एक साल बीत जाने पर भी दभोटा पुल का निर्माण नहीं करवा सकी जो कि चिंताजनक है। इस पुल का निर्माण कार्य शुरु न होने पर बी.बी.एन के उद्योग व सामाजिक संगठन दो बार आनंदपुर साहिब एसडीएम के द्वार पहुंचे थे। लघु उद्योग संघ व मानवाधिकार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने एस.डी.एम आनंदपुर साहिब राजपाल सिंह सेखों से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन फिर भी काम शुरु नहीं हुआ। लघु उद्योग संघ के महासचिव अनिल मलिक ने कहा कि अगस्त 2023 में दभोटा पुल टूट गया था उस पर किसी भी सरकार ने गौर नहीं की। इससे दुखी होकर लघु उद्योग संघ ने हिमाचल व पंजाब के अवाम को साथ लेकर अप्रैल में पुल पर बडा धरना भी दिया था। उस पर पंजाब शासन ने कहा कि इस पुल को बनाने पर तीन करोड खर्च आएंगे जिस पर हिमाचल की राशि आनी बाकी है। पटियाल ने कहा कि अब जबकि हिमाचल सरकार ने अपने हिस्से की डेढ़ करोड राशि पंजाब को दे दी है फिर भी काम शुरु क्यों नहीं हुआ। आखिर पंजाब की आम आदमी सरकार इस मसले को लेकर गंभीर क्यों नहीं है। डा रणेश राणा ने कहा कि यह दभोटा पुल हिमाचल व पंजाब को सांस्कृति, सामाजिक व औद्योगिक रुप से जोडता है और दोनो राज्यों से आवागमन करने वाले 20 हजार से ज्यादा नागरिक यहां से गुजरते हैं। आज भी लोग नदियों से गुरजने को मजबूर है और रात्रि को पैदल व दोपहिया चालकों को बहुत दिक्कतें आती है।
सोलन, 26 सितम्बर, [ पंकज गोल्डी ] !
पंजाब व हिमाचल को जोडने वाले एकमात्र पुल दभोटा पुल के क्षतिग्रस्त होने का मुददा एक बार फिर से गर्मा गया है। एक साल पहले आई भारी बारिश से दभोटा पुल टूट गया था। उसके बाद पंजाब व हिमाचल दोनो सरकारों ने लोगों को राम भरोसे छोड दिया। क्षतिग्रस्त पुल को न बनाने को लेकर लघु उद्योग संघ हिमाचल व फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों व पंजाब व हिमाचल के ग्रामीणों ने एक दिवसीय धरना भी दभोटा पुल पर दिया।
इसी संदर्भ में आज रोपड जिले घनौली में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए लघु उद्योग संघ हिमाचल प्रदेश राज्य महासचिव अनिल मलिक व फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री के प्रदेश संगठन मंत्री डाक्टर रणेश राणा ने कहा कि दोनो सरकारों में सहमति बनी थी कि दोनो सरकारें डेढ-डेढ करोड रुपये देकर इस पुलि का पुर्ननिर्माण करवाएगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपना हिस्सा पंजाब को दे दिया था और पंजाब से यह पुल बनाना था। अनिल मलिक ने कहा कि हैरानी है कि पंजाब की आम आदमी सरकार एक साल बीत जाने पर भी दभोटा पुल का निर्माण नहीं करवा सकी जो कि चिंताजनक है।
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इस पुल का निर्माण कार्य शुरु न होने पर बी.बी.एन के उद्योग व सामाजिक संगठन दो बार आनंदपुर साहिब एसडीएम के द्वार पहुंचे थे। लघु उद्योग संघ व मानवाधिकार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने एस.डी.एम आनंदपुर साहिब राजपाल सिंह सेखों से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन फिर भी काम शुरु नहीं हुआ। लघु उद्योग संघ के महासचिव अनिल मलिक ने कहा कि अगस्त 2023 में दभोटा पुल टूट गया था उस पर किसी भी सरकार ने गौर नहीं की। इससे दुखी होकर लघु उद्योग संघ ने हिमाचल व पंजाब के अवाम को साथ लेकर अप्रैल में पुल पर बडा धरना भी दिया था। उस पर पंजाब शासन ने कहा कि इस पुल को बनाने पर तीन करोड खर्च आएंगे जिस पर हिमाचल की राशि आनी बाकी है।
पटियाल ने कहा कि अब जबकि हिमाचल सरकार ने अपने हिस्से की डेढ़ करोड राशि पंजाब को दे दी है फिर भी काम शुरु क्यों नहीं हुआ। आखिर पंजाब की आम आदमी सरकार इस मसले को लेकर गंभीर क्यों नहीं है।
डा रणेश राणा ने कहा कि यह दभोटा पुल हिमाचल व पंजाब को सांस्कृति, सामाजिक व औद्योगिक रुप से जोडता है और दोनो राज्यों से आवागमन करने वाले 20 हजार से ज्यादा नागरिक यहां से गुजरते हैं। आज भी लोग नदियों से गुरजने को मजबूर है और रात्रि को पैदल व दोपहिया चालकों को बहुत दिक्कतें आती है।
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