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सोलन ,[ बद्दी ] 27 मार्च [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी मे स्थित कंपनी बंकरमैन ने अपनी नई तकनीक से बद्दी के इंडस्ट्रियल एरिया का प्रदूषण अपने सन्यंत्रों द्वारा हवा से निकालकर एकत्र किया और फिर उस प्रदूषण से जैविक खाद बनाकर नेशनल साइन्स सेंटर दिल्ली मे चल रहे इनोवेशन फेस्टिवल मे प्रदर्शित किया और प्रथम पुरुष्कार जीता। कंपनी के इस हैरत अंगेज़ आविष्कार को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ इनोवेशन फेस्टिवल मे जुटी। कंपनी के फाउंडर मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल ने खुद अपनी इस नई तकनीक के बारे मे लोगो को विस्तार से समझाया। उन्होने कहा कि उनकी इस नई तकनीक से दुनिया मे फैल रही प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से समाप्त किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए राजनैतिक इच्छा शक्ति, थोड़ी सरकारी सहायता और आम जनता के सहयोग की अति आवश्यकता है। इसलिए उन्होने अपनी इस स्वदेशी तकनीक के बारे मे देश के "प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी" को तथा देश के सभी संबन्धित विभागो को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है और उनसे निवेदन किया है कि वो इस बारे मे भारत मे हो रही जी-20 समिट मे इस महत्वपूर्ण विषय पर अन्य देशों का समर्थन भी जुटाने की कोशिश करें और इस तरह अपने देश की "वसुधैव कुटुंबकम" की नीति पर चलकर पूरे विश्व से इस प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से समाप्त करने की दिशा मे विश्व का मार्ग दर्शन करें। अगर हम ऐसा करने मे सफल होते हैं तो हम भारत को जल्दी ही "विश्व गुरु" के रूप मे देख पाएंगे और पूरी दुनिया भारत के इस नेक काम को सराहेगी। डॉक्टर श्रीपाल ने समझाया कि किस तरह बंकरमैन का छोटे से छोटा संयंत्र भी वातावरण से दो पेड़ों के बराबर कार्बनडाईऑक्साइड खींचकर अपने फिल्टरों मे एकत्रित करता है जिसको बाद मे मिनरल रिच ओरगेनिक मेन्योर (म्रोम) मे बदलकर पेड़ पोधों के विकास के काम मे लाया जाता है जो हमको ऑक्सिजन प्रदान करते हैं। इस तरह यह पूरा सिस्टम एक "इकोलोजिकल बैलेन्स्ड सिस्टम" की तरह काम करता है जिसमे पेड़ पौधे हमे भोजन व ऑक्सिजन प्रदान करते हैं और हम हवा के प्रदूषण से जैविक खाद बनाकर पेड़ पोधों को उर्वरक शक्ति प्रदान करते हैं। डॉक्टर श्रीपाल ने यह भी बताया कि इस तकनीक से बने घर वातावरण से प्रदूषण को तो दूर करेंगे ही, साथ ही साथ ये घर किसी भी आपदा के समय मे एक बंकर का काम भी करेंगे जिनमे हम किसी भी जैविक या रासायनिक हमले की स्थिति में या कोरोना जैसी महामारी के समय मे अपने आप को इन घरों के अंदर उसी तरह सुरक्षित रख पाएंगे जैसे कि ऐसी परिस्थितियों में एक सुरक्षित बंकर के अंदर रहते हैं। इस बारे में उन्होंने अपनी कंपनी द्वारा चलायी जाने वाली "एमर्जेंसी होम्स" स्कीम के बारे मे भी विस्तार से समझाया। डॉक्टर श्रीपाल भारतीय सेना से रिटायर्ड एक कुशल इंजीनियर, सैनिक तथा वैज्ञानिक हैं, जो "विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक" व "भारत के बंकरमैन" के नाम से प्रसिद्ध हैं। वो अपने द्वारा भारत में विकसित की गई "न्यूक्लियर प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी" में दर्जनों नेशनल व इंटरनेशनल अवार्ड जीत चुके हैं। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन ,[ बद्दी ] 27 मार्च [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी मे स्थित कंपनी बंकरमैन ने अपनी नई तकनीक से बद्दी के इंडस्ट्रियल एरिया का प्रदूषण अपने सन्यंत्रों द्वारा हवा से निकालकर एकत्र किया और फिर उस प्रदूषण से जैविक खाद बनाकर नेशनल साइन्स सेंटर दिल्ली मे चल रहे इनोवेशन फेस्टिवल मे प्रदर्शित किया और प्रथम पुरुष्कार जीता। कंपनी के इस हैरत अंगेज़ आविष्कार को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ इनोवेशन फेस्टिवल मे जुटी।
कंपनी के फाउंडर मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल ने खुद अपनी इस नई तकनीक के बारे मे लोगो को विस्तार से समझाया। उन्होने कहा कि उनकी इस नई तकनीक से दुनिया मे फैल रही प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से समाप्त किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए राजनैतिक इच्छा शक्ति, थोड़ी सरकारी सहायता और आम जनता के सहयोग की अति आवश्यकता है।
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इसलिए उन्होने अपनी इस स्वदेशी तकनीक के बारे मे देश के "प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी" को तथा देश के सभी संबन्धित विभागो को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है और उनसे निवेदन किया है कि वो इस बारे मे भारत मे हो रही जी-20 समिट मे इस महत्वपूर्ण विषय पर अन्य देशों का समर्थन भी जुटाने की कोशिश करें और इस तरह अपने देश की "वसुधैव कुटुंबकम" की नीति पर चलकर पूरे विश्व से इस प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से समाप्त करने की दिशा मे विश्व का मार्ग दर्शन करें। अगर हम ऐसा करने मे सफल होते हैं तो हम भारत को जल्दी ही "विश्व गुरु" के रूप मे देख पाएंगे और पूरी दुनिया भारत के इस नेक काम को सराहेगी।
डॉक्टर श्रीपाल ने समझाया कि किस तरह बंकरमैन का छोटे से छोटा संयंत्र भी वातावरण से दो पेड़ों के बराबर कार्बनडाईऑक्साइड खींचकर अपने फिल्टरों मे एकत्रित करता है जिसको बाद मे मिनरल रिच ओरगेनिक मेन्योर (म्रोम) मे बदलकर पेड़ पोधों के विकास के काम मे लाया जाता है जो हमको ऑक्सिजन प्रदान करते हैं। इस तरह यह पूरा सिस्टम एक "इकोलोजिकल बैलेन्स्ड सिस्टम" की तरह काम करता है जिसमे पेड़ पौधे हमे भोजन व ऑक्सिजन प्रदान करते हैं और हम हवा के प्रदूषण से जैविक खाद बनाकर पेड़ पोधों को उर्वरक शक्ति प्रदान करते हैं।
डॉक्टर श्रीपाल ने यह भी बताया कि इस तकनीक से बने घर वातावरण से प्रदूषण को तो दूर करेंगे ही, साथ ही साथ ये घर किसी भी आपदा के समय मे एक बंकर का काम भी करेंगे जिनमे हम किसी भी जैविक या रासायनिक हमले की स्थिति में या कोरोना जैसी महामारी के समय मे अपने आप को इन घरों के अंदर उसी तरह सुरक्षित रख पाएंगे जैसे कि ऐसी परिस्थितियों में एक सुरक्षित बंकर के अंदर रहते हैं।
इस बारे में उन्होंने अपनी कंपनी द्वारा चलायी जाने वाली "एमर्जेंसी होम्स" स्कीम के बारे मे भी विस्तार से समझाया। डॉक्टर श्रीपाल भारतीय सेना से रिटायर्ड एक कुशल इंजीनियर, सैनिक तथा वैज्ञानिक हैं, जो "विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक" व "भारत के बंकरमैन" के नाम से प्रसिद्ध हैं। वो अपने द्वारा भारत में विकसित की गई "न्यूक्लियर प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी" में दर्जनों नेशनल व इंटरनेशनल अवार्ड जीत चुके हैं।
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