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सोलन , 02 जुलाई ! हिमाचल प्रदेश की उचित मूल्य की दुकानों पर उपभोक्ताओं को फोर्टीफाइड राइस दिया जा रहा है जिससे लोगों को आवश्यक तत्व दिए जा सके यह चावल गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए निशुल्क प्रदान किया जा रहा है जबकि सामान्य लोगों के लिए ₹10 किलो दिया जा रहा है लोगों में जानकारी के अभाव के कारण कुछ भ्रांतियां और संशय भी है लोग इस चावल को प्लास्टिक का चावल समझकर खाने से परहेज करने लगे हैं यही कारण है कि आशंकाओं के बीच लोगों को जानकारी देना आवश्यक है जिसके लिए प्रदेश के संबंधित विभाग के अधिकारी लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे है। हिमाचल प्रदेश नागरिक खाद्य आपूर्ति विभाग समय-समय पर केंद्र व राज्य सरकार के माध्यम से लोगों को जागरूक करता रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लोगों में जागरूकता की कमी के कारण लोगों की में अभी भी आशंका बनी हुई है। इस संदर्भ में जब जिला सोलन के धर्मपुर में खाद्य आपूर्ति विभाग हिमाचल प्रदेश के निदेशक आरके गौतम उचित मूल्य की दुकानों का निरीक्षण करने पहुंचे उन्होंने बताया कि फोर्टीफाइड राइस केंद्र सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है जिसके तहत नागरिकों को अच्छा खाद्यान्न पहुंचाना है ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे उन्होंने कहा कि इस चावल के बारे में केंद्र व राज्य सरकार हैं समय-समय पर लोगों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित करती रहती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता का अभाव है इसके लिए जल्द ही विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम निश्चित करेगा उन्होंने लोगों से आग्रह किया किसी काम में ना फंसे उचित मूल्य की दुकानों पर दिया जा रहा चावल का मूल्यांकन करने के बाद ही उसे लोगों को दिया जाता है। स्थानीय निवासी बाला सूद ने बताया कि उन्हें पिछले दिनों मेरे चावल में कुछ ऐसा पदार्थ दिखाई दिया जो आसानी से पता नहीं है उन्होंने आशंका जाहिर की कि जबल में कुछ पदार्थ मिला हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने कहा यह प्लास्टिक के चावल भी हो सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खराब हो सकते हैं। उन्होंने कहा बाइट बाला सूद अन्य व्यक्ति दिलीप कुमार ने बताया कि उनके उचित मूल्य की दुकान से मिल रहे चावल मैं प्लास्टिक होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इससे उनके स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ सकता है उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच महीने से चावल में कुछ ना कुछ मिला कर दिया जा रहा है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन , 02 जुलाई ! हिमाचल प्रदेश की उचित मूल्य की दुकानों पर उपभोक्ताओं को फोर्टीफाइड राइस दिया जा रहा है जिससे लोगों को आवश्यक तत्व दिए जा सके यह चावल गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए निशुल्क प्रदान किया जा रहा है जबकि सामान्य लोगों के लिए ₹10 किलो दिया जा रहा है लोगों में जानकारी के अभाव के कारण कुछ भ्रांतियां और संशय भी है लोग इस चावल को प्लास्टिक का चावल समझकर खाने से परहेज करने लगे हैं यही कारण है कि आशंकाओं के बीच लोगों को जानकारी देना आवश्यक है जिसके लिए प्रदेश के संबंधित विभाग के अधिकारी लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे है।
हिमाचल प्रदेश नागरिक खाद्य आपूर्ति विभाग समय-समय पर केंद्र व राज्य सरकार के माध्यम से लोगों को जागरूक करता रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लोगों में जागरूकता की कमी के कारण लोगों की में अभी भी आशंका बनी हुई है।
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इस संदर्भ में जब जिला सोलन के धर्मपुर में खाद्य आपूर्ति विभाग हिमाचल प्रदेश के निदेशक आरके गौतम उचित मूल्य की दुकानों का निरीक्षण करने पहुंचे उन्होंने बताया कि फोर्टीफाइड राइस केंद्र सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है जिसके तहत नागरिकों को अच्छा खाद्यान्न पहुंचाना है ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे उन्होंने कहा कि इस चावल के बारे में केंद्र व राज्य सरकार हैं समय-समय पर लोगों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित करती रहती है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता का अभाव है इसके लिए जल्द ही विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम निश्चित करेगा उन्होंने लोगों से आग्रह किया किसी काम में ना फंसे उचित मूल्य की दुकानों पर दिया जा रहा चावल का मूल्यांकन करने के बाद ही उसे लोगों को दिया जाता है।
स्थानीय निवासी बाला सूद ने बताया कि उन्हें पिछले दिनों मेरे चावल में कुछ ऐसा पदार्थ दिखाई दिया जो आसानी से पता नहीं है उन्होंने आशंका जाहिर की कि जबल में कुछ पदार्थ मिला हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने कहा यह प्लास्टिक के चावल भी हो सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खराब हो सकते हैं। उन्होंने कहा बाइट बाला सूद अन्य व्यक्ति दिलीप कुमार ने बताया कि उनके उचित मूल्य की दुकान से मिल रहे चावल मैं प्लास्टिक होने की आशंका है।
उन्होंने कहा कि इससे उनके स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ सकता है उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच महीने से चावल में कुछ ना कुछ मिला कर दिया जा रहा है।
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