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सोलन ,[ बद्दी ] 01 मार्च [ पंकज गोल्डी ] ! पेड़ पौधे वातावरण से कार्बनडाईऑक्साइड खींचकर फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया से अपना भोजन बनाते हैं और इस प्रक्रिया मे वे वातावरण मे ऑक्सिजन भी छोडते हैं । यह तो सर्व विदित है कि इस तरह पेड़ हमारी पृथ्वी के वातावरण को शुद्ध व साफ रखने मे बहुत उपयोगी होते हैं। एक बड़ा पेड़ एक वर्ष मे वातावरण से लगभग 25 किलोग्राम कार्बनडाईऑक्साइड खींचकर उसके बदले हमे ऑक्सिजन प्रदान करता है। लेकिन एक पेड़ को उगाने, बड़ा करने और उसे इस काबिल बनाने मे कम से कम 5 से 10 वर्ष का समय लग जाता है। अब आप कल्पना कीजिये कि काश कोई ऐसी तरकीब होती जिसके द्वारा हम इस तरह के पेड़ों का निर्माण कुछ ही मिनटों या घंटों मे किसी फैक्ट्री मे कर सकते। भारत की कंपनी बंकरमैन ने एक ऐसी ही नई स्वदेशी तकनीक खोज निकाली है जिसके द्वारा अब वो अपनी फैक्ट्री मे ऐसे संयंत्र बनाएँगे जो आपके घर, दफ्तर, कार आदि के अंदर तो साफ व शुद्ध हवा देंगे ही, साथ मे वे बाहर के वातावरण को भी ठीक उसी तरह शुद्ध करेंगे जैसे कि प्राकृतिक रूप से उगाये गए पेड़ पौधे करते हैं। इस बारे मे बंकरमैन का छोटे से छोटा संयंत्र भी कम से कम दो पेड़ों का काम करेगा। इस तरह से दो या तीन बेड रूम के घरों मे लगा संयंत्र वातावरण से करीब 12 पेड़ों के बराबर कार्बनडाईऑक्साइड सोखकर वातावरण को शुद्ध करेगा। बंकरमैन के संयंत्र वातावरण से प्रदूषण को खींचकर पहले अपने फिल्टरों मे एकत्रित करते हैं। बाद मे इन फिल्टरों द्वारा सोखे गए प्रदूषण के कचरे से जैविक खाद तैयार करके पेड़ पोधों के पोषण मे काम लायी जाती है, जो हमे ऑक्सिजन प्रदान करते हैं और प्रदूषण को दूर करते हैं। इस तरह यह संयंत्र एक सस्टेनेबल ईकोलोजिकल सिस्टम की तरह काम करते हैं। कंपनी के चेयरमैन मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल ने बताया कि वे अपनी इस नई स्वदेशी तकनीक को देश के हर घर मे और हरेक गाड़ी मे इस्तेमाल करके प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से समाप्त करना चाहते हैं। और उनके द्वारा चलायी जाने वाली इमरजेंसी होम्स की स्कीम इसी दिशा मे एक सहयोगी कदम है। अगर सरकार और जनता के सहयोग से ये स्कीम सफल हो जाती है तो हमारे बड़े शहर भी, जिनको हम कोंक्रीट जंगल बोलकर बदनाम करते रहते हैं, वो कोंक्रीट जंगल भी अब नैचुरल फॉरेस्ट का काम करने लग जाएंगे और आने वाले समय मे सम्पूर्ण धरती का वातावरण शुद्ध व साफ हो जाएगा। मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल ने बताया कि उन्होंने अपनी इस स्वदेशी तकनीक की विस्तृत जानकारी 24 व 25 फ़रवरी को दिल्ली मे आयोजित "एसियन कॉन्फ्रेंस ऑन इंडोर एनवाइरनमेंटल क्वालिटी" मे पेश की जिसको सभी ने सराहा। यह कॉन्फ्रेंस "इंडियन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रीजरेशन एंड एयर कंडिशनिंग इंजीनियर्स" तथा "सोसाइटी फॉर इनडोर एनवायरनमेंट" द्वारा आयोजित की गयी थी। कॉन्फ्रेंस की समाप्ति पर सोसाइटी ने इस बारे मे अपने सुझाव भारत सरकार को भेजने का भी आश्वासन दिया है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन ,[ बद्दी ] 01 मार्च [ पंकज गोल्डी ] ! पेड़ पौधे वातावरण से कार्बनडाईऑक्साइड खींचकर फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया से अपना भोजन बनाते हैं और इस प्रक्रिया मे वे वातावरण मे ऑक्सिजन भी छोडते हैं । यह तो सर्व विदित है कि इस तरह पेड़ हमारी पृथ्वी के वातावरण को शुद्ध व साफ रखने मे बहुत उपयोगी होते हैं। एक बड़ा पेड़ एक वर्ष मे वातावरण से लगभग 25 किलोग्राम कार्बनडाईऑक्साइड खींचकर उसके बदले हमे ऑक्सिजन प्रदान करता है। लेकिन एक पेड़ को उगाने, बड़ा करने और उसे इस काबिल बनाने मे कम से कम 5 से 10 वर्ष का समय लग जाता है।
अब आप कल्पना कीजिये कि काश कोई ऐसी तरकीब होती जिसके द्वारा हम इस तरह के पेड़ों का निर्माण कुछ ही मिनटों या घंटों मे किसी फैक्ट्री मे कर सकते। भारत की कंपनी बंकरमैन ने एक ऐसी ही नई स्वदेशी तकनीक खोज निकाली है जिसके द्वारा अब वो अपनी फैक्ट्री मे ऐसे संयंत्र बनाएँगे जो आपके घर, दफ्तर, कार आदि के अंदर तो साफ व शुद्ध हवा देंगे ही, साथ मे वे बाहर के वातावरण को भी ठीक उसी तरह शुद्ध करेंगे जैसे कि प्राकृतिक रूप से उगाये गए पेड़ पौधे करते हैं। इस बारे मे बंकरमैन का छोटे से छोटा संयंत्र भी कम से कम दो पेड़ों का काम करेगा। इस तरह से दो या तीन बेड रूम के घरों मे लगा संयंत्र वातावरण से करीब 12 पेड़ों के बराबर कार्बनडाईऑक्साइड सोखकर वातावरण को शुद्ध करेगा।
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बंकरमैन के संयंत्र वातावरण से प्रदूषण को खींचकर पहले अपने फिल्टरों मे एकत्रित करते हैं। बाद मे इन फिल्टरों द्वारा सोखे गए प्रदूषण के कचरे से जैविक खाद तैयार करके पेड़ पोधों के पोषण मे काम लायी जाती है, जो हमे ऑक्सिजन प्रदान करते हैं और प्रदूषण को दूर करते हैं। इस तरह यह संयंत्र एक सस्टेनेबल ईकोलोजिकल सिस्टम की तरह काम करते हैं।
कंपनी के चेयरमैन मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल ने बताया कि वे अपनी इस नई स्वदेशी तकनीक को देश के हर घर मे और हरेक गाड़ी मे इस्तेमाल करके प्रदूषण की समस्या को हमेशा के लिए जड़ से समाप्त करना चाहते हैं। और उनके द्वारा चलायी जाने वाली इमरजेंसी होम्स की स्कीम इसी दिशा मे एक सहयोगी कदम है। अगर सरकार और जनता के सहयोग से ये स्कीम सफल हो जाती है तो हमारे बड़े शहर भी, जिनको हम कोंक्रीट जंगल बोलकर बदनाम करते रहते हैं, वो कोंक्रीट जंगल भी अब नैचुरल फॉरेस्ट का काम करने लग जाएंगे और आने वाले समय मे सम्पूर्ण धरती का वातावरण शुद्ध व साफ हो जाएगा।
मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल ने बताया कि उन्होंने अपनी इस स्वदेशी तकनीक की विस्तृत जानकारी 24 व 25 फ़रवरी को दिल्ली मे आयोजित "एसियन कॉन्फ्रेंस ऑन इंडोर एनवाइरनमेंटल क्वालिटी" मे पेश की जिसको सभी ने सराहा। यह कॉन्फ्रेंस "इंडियन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रीजरेशन एंड एयर कंडिशनिंग इंजीनियर्स" तथा "सोसाइटी फॉर इनडोर एनवायरनमेंट" द्वारा आयोजित की गयी थी। कॉन्फ्रेंस की समाप्ति पर सोसाइटी ने इस बारे मे अपने सुझाव भारत सरकार को भेजने का भी आश्वासन दिया है।
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