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शिमला , 26 सितंबर ! पिछले दो दिन यानि 24-25 सितम्बर को लदाख के प्रसिद्ध पर्यावर्णविद श्री सोनम वांगचुक के साथ गुजारने का मौका मिला। वे आजकल लेह-लदाख से पर्यावरण तथा लदाख के स्थानीय मुद्दों को लेकर अपने लगभग 150 साथियों समेत जिसमें महिलाएं भी हैं, युवक भी है तथा 80 वर्ष के बूढ़े भी हैं, पैदल मार्च करते हुए लगभग 1000 किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली जा रहे हैं। माईनस टेंप्रेचर में रहने वाले लोग भीषण गर्मी में पांव में छाले लेकर ये कठिन यात्रा कर रहें हैं। मुख्य मुद्दा है, हिमालय को बचाना यानि पर्यावरण को बचाना यानि मानवता को बचाना। ईश्वर की कृपा से उनका ये जत्था 24- 25 सितम्बर के मध्य नालागढ़ से गुजरा। पर्यावरण को लेकर नालागढ़ के पर्यावरण प्रेमियों ने उनका जमकर स्वागत किया। हम सब लोगों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। ईश्वर उन्हें लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य व उनके मिशन में कामयाबी प्रदान करें।
शिमला , 26 सितंबर ! पिछले दो दिन यानि 24-25 सितम्बर को लदाख के प्रसिद्ध पर्यावर्णविद श्री सोनम वांगचुक के साथ गुजारने का मौका मिला। वे आजकल लेह-लदाख से पर्यावरण तथा लदाख के स्थानीय मुद्दों को लेकर अपने लगभग 150 साथियों समेत जिसमें महिलाएं भी हैं, युवक भी है तथा 80 वर्ष के बूढ़े भी हैं, पैदल मार्च करते हुए लगभग 1000 किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली जा रहे हैं।
माईनस टेंप्रेचर में रहने वाले लोग भीषण गर्मी में पांव में छाले लेकर ये कठिन यात्रा कर रहें हैं। मुख्य मुद्दा है, हिमालय को बचाना यानि पर्यावरण को बचाना यानि मानवता को बचाना।
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ईश्वर की कृपा से उनका ये जत्था 24- 25 सितम्बर के मध्य नालागढ़ से गुजरा। पर्यावरण को लेकर नालागढ़ के पर्यावरण प्रेमियों ने उनका जमकर स्वागत किया। हम सब लोगों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। ईश्वर उन्हें लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य व उनके मिशन में कामयाबी प्रदान करें।
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