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शिमला, 10 सितम्बर, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! भाजपा सांसद सुरेश कश्यप ने कहा की वक्फ बोर्ड को लेकर हमारी कुछ सिफ़ारिशें है जैसे वक्फ बोर्ड का उन्मूलन, अधिनियम की भेदभावपूर्ण प्रकृति और बोर्ड के संचालन को देखते हुए, हम केंद्र सरकार से वक्फ बोर्ड के पूर्ण उन्मूलन पर विचार करने का आग्रह करते है। यह 'एक राष्ट्र, एक कानून' के सिद्धांत के अनुरूप होगा, जिससे सभी नागरिकों के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित होगा। इसी प्रकार से संपत्ति प्रबंधन में सुधार, यदि उन्मूलन तुरंत संभव नहीं है, तो एक व्यापक सुधार आवश्यक है इसमें यह शामिल होना चाहिए : तटस्थ निरीक्ष, एक तटस्थ निकाय की स्थापना करें या वक्फ संपत्तियों को एक धर्मनिरपेक्ष, सरकार-नियंत्रित ट्रस्ट के तहत एकीकृत करें जो उचित प्रतिनिधित्व और प्रबंधन सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा की पारदर्शिता के नजरिए से सभी वक्फ संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन के नियमित ऑडिट और सार्वजनिक प्रकटीकरण को अनिवार्य करना अति आवश्यक है। कानूनी सुधार की दृष्टि से यह सुनिश्चित करने के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन करना चाहिए कि किसी भी संपत्ति विवाद को नियमित न्यायिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हल किया जाए, न कि किसी “न्यायाधिकरण” के माध्यम से जो इसकी संरचना के कारण पक्षपाती हो सकता है। उन्होंने कहा की बोर्ड में सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना चाहिए, ऐसी नीतियों को प्रोत्साहित करें जो विभाजन के बजाय एकता को बढ़ावा देना चाहिए। एक समुदाय के लिए ऐसे बोर्डों का अस्तित्व, जबकि अन्य के लिए नहीं, स्वाभाविक रूप से विभाजन को बढ़ावा देता है। सभी शंकराचार्य के अधीन संबंधित मठ के साथ एक सनातन बोर्ड की स्थापना भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ई.ओ. वक्फ बोर्ड की शक्तियों को तहसील स्तर तक परिभाषित किया जाना चाहिए। वक्फ बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी तथा अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकारी नियमों के अनुसार होनी चाहिए न कि मनमाने ढंग से। वक्फ संपत्तियों का मानचित्रण किया जाना चाहिए तथा इसके लिए सीमा-नियम खंड जोड़ा जाना चाहिए। कितने समय के बाद वफ़ाक मुकदमा दायर कर सकता है या अदालत में आगे बढ़ सकता है, यह भी परिभाषित किया जाना चाहिए।
शिमला, 10 सितम्बर, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! भाजपा सांसद सुरेश कश्यप ने कहा की वक्फ बोर्ड को लेकर हमारी कुछ सिफ़ारिशें है जैसे वक्फ बोर्ड का उन्मूलन, अधिनियम की भेदभावपूर्ण प्रकृति और बोर्ड के संचालन को देखते हुए, हम केंद्र सरकार से वक्फ बोर्ड के पूर्ण उन्मूलन पर विचार करने का आग्रह करते है। यह 'एक राष्ट्र, एक कानून' के सिद्धांत के अनुरूप होगा, जिससे सभी नागरिकों के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित होगा। इसी प्रकार से संपत्ति प्रबंधन में सुधार, यदि उन्मूलन तुरंत संभव नहीं है, तो एक व्यापक सुधार आवश्यक है इसमें यह शामिल होना चाहिए : तटस्थ निरीक्ष, एक तटस्थ निकाय की स्थापना करें या वक्फ संपत्तियों को एक धर्मनिरपेक्ष, सरकार-नियंत्रित ट्रस्ट के तहत एकीकृत करें जो उचित प्रतिनिधित्व और प्रबंधन सुनिश्चित करता है।
उन्होंने कहा की पारदर्शिता के नजरिए से सभी वक्फ संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन के नियमित ऑडिट और सार्वजनिक प्रकटीकरण को अनिवार्य करना अति आवश्यक है। कानूनी सुधार की दृष्टि से यह सुनिश्चित करने के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन करना चाहिए कि किसी भी संपत्ति विवाद को नियमित न्यायिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हल किया जाए, न कि किसी “न्यायाधिकरण” के माध्यम से जो इसकी संरचना के कारण पक्षपाती हो सकता है।
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उन्होंने कहा की बोर्ड में सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना चाहिए, ऐसी नीतियों को प्रोत्साहित करें जो विभाजन के बजाय एकता को बढ़ावा देना चाहिए। एक समुदाय के लिए ऐसे बोर्डों का अस्तित्व, जबकि अन्य के लिए नहीं, स्वाभाविक रूप से विभाजन को बढ़ावा देता है।
सभी शंकराचार्य के अधीन संबंधित मठ के साथ एक सनातन बोर्ड की स्थापना भी करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ई.ओ. वक्फ बोर्ड की शक्तियों को तहसील स्तर तक परिभाषित किया जाना चाहिए। वक्फ बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी तथा अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकारी नियमों के अनुसार होनी चाहिए न कि मनमाने ढंग से। वक्फ संपत्तियों का मानचित्रण किया जाना चाहिए तथा इसके लिए सीमा-नियम खंड जोड़ा जाना चाहिए। कितने समय के बाद वफ़ाक मुकदमा दायर कर सकता है या अदालत में आगे बढ़ सकता है, यह भी परिभाषित किया जाना चाहिए।
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