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शिमला , 29 सितंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षको ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। व्यवसायिक शिक्षक संघ ने व्यावसायिक शिक्षा से कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग की है। संघ ने सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम दिया है अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो व्यावसायिक शिक्षण शिमला में सरकार के खिलाफ हल्ला बोल देंगे। व्यवसायिक शिक्षा को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच एमओयू होता है लेकिन संघ कम्पनी पर शिक्षकों का शोषण का आरोप लगा रहा है। हिमाचल प्रदेश व्यावसायिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी डटवालिया और राज्य महासचिव नीरज बंसल ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर कहा कि यदि सरकार एमओयू से कम्पनी को बाहर नही करती है तो 1 नवंबर 2024 से आंदोलन के अलावा प्रदेश भर के व्यावसायिक शिक्षकों के पास अन्य कोई विकल्प नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2174 व्यवसायिक शिक्षक 1200 स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की पूर्व सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा से कंपनियों को बाहर कर व्यावसायिक शिक्षकों को सीधा निगम में सम्मिलित कर ऐतिहासिक कार्य किया है। उन्होंने बताया कि ये कंपनियां 2013 से लगातार शोषण कर रही है। उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जाता है। कम्पनी कामों में कोई दिलचस्पी न दिखाकर व्यावसायिक शिक्षकों पर कंपनी कार्यों को करने का अतिरिक्त बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा कि वेतन प्रदान करने के नाम पर सालाना सरकार को करोड़ों की चपत लगाने वाली कंपनियों को व्यावसायिक शिक्षा से बाहर करना जरूरी है ताकि व्यावसायिक शिक्षा को सुदृढ़ किया जा सके और व्यावसायिक शिक्षकों को जॉब सुरक्षा मिल सके।
शिमला , 29 सितंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षको ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। व्यवसायिक शिक्षक संघ ने व्यावसायिक शिक्षा से कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग की है। संघ ने सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम दिया है अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो व्यावसायिक शिक्षण शिमला में सरकार के खिलाफ हल्ला बोल देंगे।
व्यवसायिक शिक्षा को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच एमओयू होता है लेकिन संघ कम्पनी पर शिक्षकों का शोषण का आरोप लगा रहा है। हिमाचल प्रदेश व्यावसायिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी डटवालिया और राज्य महासचिव नीरज बंसल ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर कहा कि यदि सरकार एमओयू से कम्पनी को बाहर नही करती है तो 1 नवंबर 2024 से आंदोलन के अलावा प्रदेश भर के व्यावसायिक शिक्षकों के पास अन्य कोई विकल्प नहीं रहेगा।
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उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2174 व्यवसायिक शिक्षक 1200 स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की पूर्व सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा से कंपनियों को बाहर कर व्यावसायिक शिक्षकों को सीधा निगम में सम्मिलित कर ऐतिहासिक कार्य किया है। उन्होंने बताया कि ये कंपनियां 2013 से लगातार शोषण कर रही है। उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जाता है।
कम्पनी कामों में कोई दिलचस्पी न दिखाकर व्यावसायिक शिक्षकों पर कंपनी कार्यों को करने का अतिरिक्त बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा कि वेतन प्रदान करने के नाम पर सालाना सरकार को करोड़ों की चपत लगाने वाली कंपनियों को व्यावसायिक शिक्षा से बाहर करना जरूरी है ताकि व्यावसायिक शिक्षा को सुदृढ़ किया जा सके और व्यावसायिक शिक्षकों को जॉब सुरक्षा मिल सके।
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