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शिमला, 25 जुलाई, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने मोदी सरकार के 2024-25 के बजट में हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए 2698 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का स्वागत किया है। उन्हांेने कहा कि भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेलवे प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। सामरिक महत्व का यह प्रोजेक्ट इस पर्वतीय राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का आभार जताते हुए कहा कि केंद्र पर हिमाचल से भेदभाव के झूठे आरोप लगाने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इससे सबक लेकर राजनीतिक द्वेष भावना से काम करने की अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि मोदी सरकार बिना किसी भेदभाव के पूरे देश का चहंुमुखी विकास करवा रही है। केंद्रीय बजट में हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए 2698 करोड़ रुपये आवंटित करना इसका प्रमाण है। यूपीए सरकार के समय हिमाचल को महज 108 करोड़ रुपये मिलते थे। मोदी सरकार ने इसमें लगभग 25 गुना की बढ़ोतरी की है। इस बजट में भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेलवे प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़, नंगल डैम-तलवाड़ा रेलवे लाइन के लिए 500 करोड़ तथा चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइन के लिए 300 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसी कड़ी में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत प्रदेश के 4 रेलवे स्टेशन को अपग्रेड करके उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। इनमें शिमला, अंब-इंदौरा, बैजनाथ-पपरोला व पालमपुर रेलवे स्टेशन शामिल हैं।त्रिलोक जमवाल ने कहा कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद केंद्र से इस पर्वतीय राज्य को हरसंभव मदद मिल रही है। ऐसे में केंद्र पर हिमाचल से भेदभाव के उसके झूठे आरोपों की कलई खुद ही खुल रही है। सच्चाई यह है कि सुक्खू सरकार खुद राजनीतिक द्वेष भावना से काम कर रही है। केंद्र द्वारा हिमाचल में शुरू किए गए विकास के बड़े प्रोजेक्टों का काम वह जानबूझ कर लटका रही है। रेलवे प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का खर्च प्रदेश सरकार को वहन करना होता है। 90ः10 के अनुपात में प्रोजेक्ट की 10 फीसदी लागत भी देनी पड़ती है। इस लिहाज से प्रदेश सरकार को लगभग 1800 करोड़ रुपये देने हैं, लेकिन अपने हिस्से का काम करने के बजाए उसका फोकस केवल केंद्र सरकार के खिलाफ आधारहीन बयानबाजी करने पर है। बेहतर होगा कि प्रदेश सरकार राजनीतिक द्वेष भावना से काम करने के बजाए केंद्र सरकार से सबक लेकर हिमाचल में चल रहे प्रोजेक्टों को समयबद्ध पूरा करने में अपना सहयोग दे।
शिमला, 25 जुलाई, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने मोदी सरकार के 2024-25 के बजट में हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए 2698 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का स्वागत किया है। उन्हांेने कहा कि भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेलवे प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। सामरिक महत्व का यह प्रोजेक्ट इस पर्वतीय राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाएगा।
उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का आभार जताते हुए कहा कि केंद्र पर हिमाचल से भेदभाव के झूठे आरोप लगाने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इससे सबक लेकर राजनीतिक द्वेष भावना से काम करने की अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए।
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त्रिलोक जमवाल ने कहा कि मोदी सरकार बिना किसी भेदभाव के पूरे देश का चहंुमुखी विकास करवा रही है। केंद्रीय बजट में हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए 2698 करोड़ रुपये आवंटित करना इसका प्रमाण है। यूपीए सरकार के समय हिमाचल को महज 108 करोड़ रुपये मिलते थे। मोदी सरकार ने इसमें लगभग 25 गुना की बढ़ोतरी की है। इस बजट में भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेलवे प्रोजेक्ट के लिए 1700 करोड़, नंगल डैम-तलवाड़ा रेलवे लाइन के लिए 500 करोड़ तथा चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइन के लिए 300 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
इसी कड़ी में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत प्रदेश के 4 रेलवे स्टेशन को अपग्रेड करके उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। इनमें शिमला, अंब-इंदौरा, बैजनाथ-पपरोला व पालमपुर रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद केंद्र से इस पर्वतीय राज्य को हरसंभव मदद मिल रही है। ऐसे में केंद्र पर हिमाचल से भेदभाव के उसके झूठे आरोपों की कलई खुद ही खुल रही है। सच्चाई यह है कि सुक्खू सरकार खुद राजनीतिक द्वेष भावना से काम कर रही है।
केंद्र द्वारा हिमाचल में शुरू किए गए विकास के बड़े प्रोजेक्टों का काम वह जानबूझ कर लटका रही है। रेलवे प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का खर्च प्रदेश सरकार को वहन करना होता है। 90ः10 के अनुपात में प्रोजेक्ट की 10 फीसदी लागत भी देनी पड़ती है। इस लिहाज से प्रदेश सरकार को लगभग 1800 करोड़ रुपये देने हैं, लेकिन अपने हिस्से का काम करने के बजाए उसका फोकस केवल केंद्र सरकार के खिलाफ आधारहीन बयानबाजी करने पर है।
बेहतर होगा कि प्रदेश सरकार राजनीतिक द्वेष भावना से काम करने के बजाए केंद्र सरकार से सबक लेकर हिमाचल में चल रहे प्रोजेक्टों को समयबद्ध पूरा करने में अपना सहयोग दे।
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