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शिमला ! 15 मई [ विशाल सूद ] ! भारतीय वन सेवा के प्रथम बैच के 64 प्रशिक्षु अधिकारियों ने पर्वतीय भ्रमण कार्यक्रम के तहत आज राजभवन में राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल से भेंट की। इस अवसर पर, विचार-विमर्श सत्र का आयोजन भी किया गया। वन सेवा के अधिकारियों के साथ संवाद करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने अपार सौंदर्य प्रदान किया है और इस भ्रमण के दौरान उन्हें राज्य के घने वन क्षेत्रों को अनुभव प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि उनका यह अनुभव अन्य वन क्षेत्रों में सघनता लाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक दृष्टि से वनों के महत्व को हमारे पूर्वजों ने इस प्रकार परिभाषित किया है कि एक पेड़ लगाना दस पु़त्रों के समान है। उन्होंने कहा कि आपके पास इन वनों के संरक्षण, संवर्धन और पोषण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षार्थी युवा हैं और ऊर्जावान हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि वे पूर्ण निष्ठा से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण बदलाव की है। आये दिन एक्सट्रीम वैदर कंडीशन की अनेक अनेक घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण भी करना है और वन व वन्य जीवों का संरक्षण भी करना है और यह महत्वपूर्ण दायित्व है आप सभी अधिकारियों पर। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में वनों की आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसी परिस्थिति में आप आधुनिक तकनीक का उपयोग कर इस स्थिति से तेजी से निपट सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में नौतोड़ व चारागाह इत्यादि विषयों पर सहयोगात्मक रवैया अपनाने पर बल दिया। इससे पूर्व, सुश्री अनुराधा मिश्रा ने बैच प्रोफ़ाइल और पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। श्रीमती अनुषका लोहिया ने विषयगत पर्यटन विशेष तौर पर पर्वतीय भ्रमण की जानकारी दी। इस अवसर पर, प्रशिक्षु अधिकारियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।राज्यपाल के सचिव श्री राजेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ आए फैक्लटी मैंम्बर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
शिमला ! 15 मई [ विशाल सूद ] ! भारतीय वन सेवा के प्रथम बैच के 64 प्रशिक्षु अधिकारियों ने पर्वतीय भ्रमण कार्यक्रम के तहत आज राजभवन में राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल से भेंट की। इस अवसर पर, विचार-विमर्श सत्र का आयोजन भी किया गया।
वन सेवा के अधिकारियों के साथ संवाद करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने अपार सौंदर्य प्रदान किया है और इस भ्रमण के दौरान उन्हें राज्य के घने वन क्षेत्रों को अनुभव प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि उनका यह अनुभव अन्य वन क्षेत्रों में सघनता लाने में सहायक सिद्ध होगा।
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उन्होंने कहा कि धार्मिक दृष्टि से वनों के महत्व को हमारे पूर्वजों ने इस प्रकार परिभाषित किया है कि एक पेड़ लगाना दस पु़त्रों के समान है। उन्होंने कहा कि आपके पास इन वनों के संरक्षण, संवर्धन और पोषण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षार्थी युवा हैं और ऊर्जावान हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि वे पूर्ण निष्ठा से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण बदलाव की है। आये दिन एक्सट्रीम वैदर कंडीशन की अनेक अनेक घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण भी करना है और वन व वन्य जीवों का संरक्षण भी करना है और यह महत्वपूर्ण दायित्व है आप सभी अधिकारियों पर। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में वनों की आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसी परिस्थिति में आप आधुनिक तकनीक का उपयोग कर इस स्थिति से तेजी से निपट सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में नौतोड़ व चारागाह इत्यादि विषयों पर सहयोगात्मक रवैया अपनाने पर बल दिया।
इससे पूर्व, सुश्री अनुराधा मिश्रा ने बैच प्रोफ़ाइल और पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। श्रीमती अनुषका लोहिया ने विषयगत पर्यटन विशेष तौर पर पर्वतीय भ्रमण की जानकारी दी।
इस अवसर पर, प्रशिक्षु अधिकारियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।
राज्यपाल के सचिव श्री राजेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ आए फैक्लटी मैंम्बर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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