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शिमला , 20 जुलाई, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! हिमाचल प्रदेश के सभी श्रमिक संगठनों सीटू, इंटक, बीएमएस, एटक और टीयूसीसी के राज्य स्तरीय पदाधिकारियों ने गत दिवस भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के नवनियुक्त चेयरमैन नरदेव सिंह कवंर और सचिव राजीव कुमार से शिमला बोर्ड ऑफिस में मुलाक़ात की और उन्हें मज़दूरों की मांगों बारे मांगपत्र सौंपा। जिसका नेतृत्व सीटू के राष्ट्रीय सचिव डा कश्मीर सिंह ठाकुर बीएमएस के पूर्व राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर और इंटक के रूपसिंह ठाकुर एटक के जगदीश भारद्वाज और टीयूसीसी के श्रवण कुमार ने किया।बोर्ड के सदस्य एवं ट्रेड यूनियन समन्वयन समिति के सयोंजक भूपेंद्र सिंह द्धारा प्रेषित 15 सूत्रीय मांगपत्र पर बैठक में बिंदु बार लंबी चर्चा हुई जिसमें बोर्ड सदस्य प्रदीप कुमार,जगदीश भारद्वाज इंटक के प्रेमपाल भाटिया और कामगार संघ को सरोज ठाकुर ने भी भाग लिया।अढ़ाई घण्टे की चर्चा के बाद अधिकांश मांगो के बारे में सहमति बनी जिन्हें एक सप्ताह में लागू किया जाएगा और कुछ ऐसे मुद्दे रह गए जिन्हें अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में होने वाली बोर्ड मीटिंग में पारित होने के बाद लागू कर दिया जायेगा। सभी मज़दूर संगठनों ने बोर्ड के अध्य्क्ष से पिछले लंबे अरसे से मज़दूरों के रुके हुए पंजीकरण,नवीनीकरण व वित्तिय सहायता को जल्दी बहाल करने की मांग की गई। मनरेगा मजदूरों को बोर्ड का सदस्य बने रहने और उन्हें वित्तिय सहायता मिलने के लिए पात्र माना जा चुका है लेकिन उनके तीन साल के लंबित लाभ अभी तक भी जारी नहीं हो रहे हैं और न ही उनका पंजीकरण और नवीनीकरण हो रहा है।इसके अलावा निजी भवनों में मजदूरी करने वाले मज़दूरों के प्रमाण पत्र को पँचायत सचिव द्धारा सत्यापन की शर्त लगा दी है जो गैर कानूनी है जिसे हटाने की मांग भी की गई।इसके अलावा ऑनलाईन पंजीकरण के लिए ओटीपी नंम्बर बताने या मज़दूरों को स्वयं ऑफिस में हाज़िर होने के लिए कहा जा रहा है जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत है जबकि मज़दूर अपना पंजीकरण व अन्य दस्तावेज अपने प्रतिनिधि या मज़दूर यूनियन के माध्यम से भी भेजने के लिए अधिकृत है।यूनियनों ने ये भी मांग उठाई गई कि बोर्ड के एक गलत निर्णय के कारण बहुत से मजदूरों का नवीनीकरण पिछले दो साल से बनहीं हो पाया है इसलिए उसके लिए उन्हें इसके लिए एक साल अतिरिक्त समय दिया जाये।सभी लंबित लाभ अगले तीन महीने में जारी करने और आवेदन न करने वाले मजदूरों के लिए भी तीन महीने का समय देने की मांग उठाई गई। यूनियनों की मांग पर बोर्ड की बैठक 3 अगस्त को आयोजित करने तथा उनके अगले दिन श्रम कल्याण अधिकारियों के साथ यूनियनों की सँयुक्त बैठक करने का भी निर्णय लिया गया ताकि सभी स्तरों पर तालमेल बैठाने में मदद मिल सके।बैठक में ये सहमति बनी की ग्राम पंचायतों व नगर निकायों में विभिन्न योजनाओं के तहत कार्य करने वाले निर्माण मजदूरों को बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है।इसके अलावा नीजि रिहायसी मकानों के निर्माण और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कार्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इस कार्य का कार्य का प्रमाण पत्र पँचायत सचिव के बजाए काम करवाने वाला व्यक्ति ही जारी करेगा। इसके अलावा ये भी चर्चा की गई कि इस तरह का प्रमाण पत्र ट्रेड यूनियनों द्धारा जारी करने के अधिकार को पुनः बहाल करने के लिए अगली बोर्ड बैठक में मुद्दा उठाया जाएगा और मजदूरों को उपकर सबंधी प्रमाण पत्र जारी करने की शर्त को हटाने का जो फ़ैसला सरकार के पास लंबित पड़ा है उसे जल्द पारित करने के लिए पत्राचार किया जाएगा।ये भी चर्चा की गई कि बड़ी बड़ी निर्माण कम्नपियाँ, ठेकेदार और बिल्डरज जो सेस नहीं देते हैं उनसे इसे लेने के लिए क़दम उठाये जाएंगे।
शिमला , 20 जुलाई, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! हिमाचल प्रदेश के सभी श्रमिक संगठनों सीटू, इंटक, बीएमएस, एटक और टीयूसीसी के राज्य स्तरीय पदाधिकारियों ने गत दिवस भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के नवनियुक्त चेयरमैन नरदेव सिंह कवंर और सचिव राजीव कुमार से शिमला बोर्ड ऑफिस में मुलाक़ात की और उन्हें मज़दूरों की मांगों बारे मांगपत्र सौंपा। जिसका नेतृत्व सीटू के राष्ट्रीय सचिव डा कश्मीर सिंह ठाकुर बीएमएस के पूर्व राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर और इंटक के रूपसिंह ठाकुर एटक के जगदीश भारद्वाज और टीयूसीसी के श्रवण कुमार ने किया।बोर्ड के सदस्य एवं ट्रेड यूनियन समन्वयन समिति के सयोंजक भूपेंद्र सिंह द्धारा प्रेषित 15 सूत्रीय मांगपत्र पर बैठक में बिंदु बार लंबी चर्चा हुई जिसमें बोर्ड सदस्य प्रदीप कुमार,जगदीश भारद्वाज इंटक के प्रेमपाल भाटिया और कामगार संघ को सरोज ठाकुर ने भी भाग लिया।अढ़ाई घण्टे की चर्चा के बाद अधिकांश मांगो के बारे में सहमति बनी जिन्हें एक सप्ताह में लागू किया जाएगा और कुछ ऐसे मुद्दे रह गए जिन्हें अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में होने वाली बोर्ड मीटिंग में पारित होने के बाद लागू कर दिया जायेगा।
सभी मज़दूर संगठनों ने बोर्ड के अध्य्क्ष से पिछले लंबे अरसे से मज़दूरों के रुके हुए पंजीकरण,नवीनीकरण व वित्तिय सहायता को जल्दी बहाल करने की मांग की गई। मनरेगा मजदूरों को बोर्ड का सदस्य बने रहने और उन्हें वित्तिय सहायता मिलने के लिए पात्र माना जा चुका है लेकिन उनके तीन साल के लंबित लाभ अभी तक भी जारी नहीं हो रहे हैं और न ही उनका पंजीकरण और नवीनीकरण हो रहा है।इसके अलावा निजी भवनों में मजदूरी करने वाले मज़दूरों के प्रमाण पत्र को पँचायत सचिव द्धारा सत्यापन की शर्त लगा दी है जो गैर कानूनी है जिसे हटाने की मांग भी की गई।इसके अलावा ऑनलाईन पंजीकरण के लिए ओटीपी नंम्बर बताने या मज़दूरों को स्वयं ऑफिस में हाज़िर होने के लिए कहा जा रहा है जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत है जबकि मज़दूर अपना पंजीकरण व अन्य दस्तावेज अपने प्रतिनिधि या मज़दूर यूनियन के माध्यम से भी भेजने के लिए अधिकृत है।यूनियनों ने ये भी मांग उठाई गई कि बोर्ड के एक गलत निर्णय के कारण बहुत से मजदूरों का नवीनीकरण पिछले दो साल से बनहीं हो पाया है इसलिए उसके लिए उन्हें इसके लिए एक साल अतिरिक्त समय दिया जाये।सभी लंबित लाभ अगले तीन महीने में जारी करने और आवेदन न करने वाले मजदूरों के लिए भी तीन महीने का समय देने की मांग उठाई गई।
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यूनियनों की मांग पर बोर्ड की बैठक 3 अगस्त को आयोजित करने तथा उनके अगले दिन श्रम कल्याण अधिकारियों के साथ यूनियनों की सँयुक्त बैठक करने का भी निर्णय लिया गया ताकि सभी स्तरों पर तालमेल बैठाने में मदद मिल सके।बैठक में ये सहमति बनी की ग्राम पंचायतों व नगर निकायों में विभिन्न योजनाओं के तहत कार्य करने वाले निर्माण मजदूरों को बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है।इसके अलावा नीजि रिहायसी मकानों के निर्माण और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कार्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इस कार्य का कार्य का प्रमाण पत्र पँचायत सचिव के बजाए काम करवाने वाला व्यक्ति ही जारी करेगा।
इसके अलावा ये भी चर्चा की गई कि इस तरह का प्रमाण पत्र ट्रेड यूनियनों द्धारा जारी करने के अधिकार को पुनः बहाल करने के लिए अगली बोर्ड बैठक में मुद्दा उठाया जाएगा और मजदूरों को उपकर सबंधी प्रमाण पत्र जारी करने की शर्त को हटाने का जो फ़ैसला सरकार के पास लंबित पड़ा है उसे जल्द पारित करने के लिए पत्राचार किया जाएगा।ये भी चर्चा की गई कि बड़ी बड़ी निर्माण कम्नपियाँ, ठेकेदार और बिल्डरज जो सेस नहीं देते हैं उनसे इसे लेने के लिए क़दम उठाये जाएंगे।
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