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शिमला , 08 जुलाई [ विशाल सूद ] ! विश्व धरोहर शिमला-कालका रेललाइन पर चलती ट्रेन में शनिवार को साहित्य का अनूठा संगम देखने को मिला जब देश के लेखकों और कवियों की टोली कविताओं का मंचन करते हुए सफर पर निकली है। पिछले 5 वर्षों से लगातार हिमालय साहित्य ,संस्कृति एवं पर्यावरण मंच हेरिटेज ट्रैक पर बाबा भलकू की स्मृति में इस तरह के सफर का आयोजन करती आ रही है ताकि बाबा भलकू के शिमला कालका ट्रैक को बनाने के लिए दिए गए योगदान को याद किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने कवियों को सम्मानित करते हुए उनके साथ रेल में सफ़र भी किया। 2 दिन तक होने वाले इस आयोजन में पहले दिन कवियों की टोली रेल से शिमला से बड़ोग और दुसरे दिन बस से उनके गांव चायल का दौरा करेगी और उनके वंशज से भी मुलाकात करेंगे।इस दौरान हर स्टेशन पर कविताओं के अलग अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे। हिमालय साहित्य ,संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के सदस्यों के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से 15 नामी लेखक और कवि सफर का आनंद उठाएंगे और कविताओं के माध्यम से भलखू के योगदान को स्मरण करेंगे। चलती रेल में कहानी, संस्मरण, कविता, गीत, गजल, संगीत के कई सत्र आयोजित किए गए। पहला सत्र शिमला रेलवे स्टेशन के नाम रहा। यहां लेखकों का सम्मान करने के बाद कालका शिमला रेलवे के इतिहास और भलखू जमादार के योगदान को लेकर जानकारी दी गई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ प्रतिभा के धनी मजदूर भलकू जमादार के हिंदुस्तान तिब्बत मार्ग और शिमला कालका रेलवे के सर्वेक्षण में दिए गए अहम योगदान को याद करना था। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 08 जुलाई [ विशाल सूद ] ! विश्व धरोहर शिमला-कालका रेललाइन पर चलती ट्रेन में शनिवार को साहित्य का अनूठा संगम देखने को मिला जब देश के लेखकों और कवियों की टोली कविताओं का मंचन करते हुए सफर पर निकली है।
पिछले 5 वर्षों से लगातार हिमालय साहित्य ,संस्कृति एवं पर्यावरण मंच हेरिटेज ट्रैक पर बाबा भलकू की स्मृति में इस तरह के सफर का आयोजन करती आ रही है ताकि बाबा भलकू के शिमला कालका ट्रैक को बनाने के लिए दिए गए योगदान को याद किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने कवियों को सम्मानित करते हुए उनके साथ रेल में सफ़र भी किया।
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2 दिन तक होने वाले इस आयोजन में पहले दिन कवियों की टोली रेल से शिमला से बड़ोग और दुसरे दिन बस से उनके गांव चायल का दौरा करेगी और उनके वंशज से भी मुलाकात करेंगे।इस दौरान हर स्टेशन पर कविताओं के अलग अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे।
हिमालय साहित्य ,संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के सदस्यों के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से 15 नामी लेखक और कवि सफर का आनंद उठाएंगे और कविताओं के माध्यम से भलखू के योगदान को स्मरण करेंगे। चलती रेल में कहानी, संस्मरण, कविता, गीत, गजल, संगीत के कई सत्र आयोजित किए गए।
पहला सत्र शिमला रेलवे स्टेशन के नाम रहा। यहां लेखकों का सम्मान करने के बाद कालका शिमला रेलवे के इतिहास और भलखू जमादार के योगदान को लेकर जानकारी दी गई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ प्रतिभा के धनी मजदूर भलकू जमादार के हिंदुस्तान तिब्बत मार्ग और शिमला कालका रेलवे के सर्वेक्षण में दिए गए अहम योगदान को याद करना था।
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