सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर कर रही कार्यः रोहित ठाकुर
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शिमला , 21 नवंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर तीन दिवसीय कार्यशाला आज हिप्पा ( हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान शिमला में आरंभ हो गई। समग्र शिक्षा और हिप्पा के संयुक्त तत्वाधान “क्वालिटी एजुकेशन इन हिमाचल” विषय पर हो रही इस कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने किया। कार्यशाला में पूर्व केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप , शिक्षा सचिव राकेश कंवर, केंद्र सरकार के उप शिक्षा सचिव लिंगराज पांडा, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डा. अमरजीत शर्मा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, अतिरिक्त निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीआर शर्मा, हिप्पा के अतिरिक्त निदेशक प्रशांत सरकैक विशेष तौर पर मौजूद रहे। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में सरकार बनने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनको शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का कार्य दिया। इसी सोच के साथ शिक्षा के क्षेत्र में बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का स्कूलों को मर्ज करने का कठिन फैसला इस दिशा में लिया गया है। इसके पीछे सोच यही है कि प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा विभाग में सुधार का कार्य शुरू किया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी, तब शिक्षकों के करीब 15 हजार पद खाली थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों के खाली पदों को भरने का फैसला लिया। अकेले प्रारंभिक शिक्षा विभाग में ही करीब 6 हजार से ज्यादा पदों को भरने की मंजूरी दी गई और प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब 3200 शिक्षकों की बैचवाइज भर्ती कराई गईं। इसी तरह पीजीटी शिक्षकों की भी तैनाती की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता इन शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में तैनात करने की है जहां शिक्षकों की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विशेषकर दूरदराज के स्कूलों में तैनात किया गया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप न करने की नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए शिक्षकों के बीच सत्र में तबादले पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग पर फोकस किया जा रहा है। शिक्षकों को एक्सपोजर टूर पर सिंगापुर भेजना और आईआईएम सिरमौर से स्कूल प्रमुखों को प्रशिक्षण देना इसी दिशा में उठाया गया कदम है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार एससीईआरटी और जिला डाइटों को मजबूत करने का फैसला लिया है ताकि शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम कदम उठाते हुए स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढाई करना का फैसला लिया है। हालांकि उन्होंने पंजाबी, उर्दू जैसी भाषाओं के संरक्षण पर भी बल दिया। शिक्षा मंत्री ने दिसंबर में होने वाले परख सर्वे को लेकर सभी से सहयोग की अपील की और कहा कि इसकी तैयारियों में सभी की भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परख में प्रदर्शन हिमाचल का ओवरआल प्रदर्शन होगा। ऐसे में सभी को इसके लिए प्रयास करने होंगे। शिक्षा मंत्री ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी शिक्षकों का आवाहन करते हुए कहा कि नीतियां सरकार के स्तर पर बनती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनको लागू करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। उन्होंने कहा कि कि आने वाले समय में शिक्षा के सुधार के लिए और भी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई की तीन दिवसीय इस कार्यशाला से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। कार्य़शाला में पूर्व केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने कहा कि हिमाचल कई मामलों में बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ डाइट अच्छा कार्य कर रहे हैं, इनका अनुकरण दूसरे डाइट भी कर सकते हैं। इसी तरह कई शिक्षक जो अच्छा कार्य कर रहा हो, उनके कार्यों को अन्य शिक्षकों के साथ शेयर किया जा सकता है। उन्होंने डाइटों को मजबूत करने और शिक्षकों के प्रशिक्षण को मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल एनजीओ की भी सहायता शिक्षा में ले सकता है, देश में कई एनजीओ बेहतर कार्य कर रहे हैं जिनकी मदद ली जा सकती है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा में सुधार की बड़ी इच्छा शक्ति दिखाई है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में सरकार ने ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। सरकार का स्कूलों को मर्ज करने का फैसला इसी दिशा में है। उन्होंने कहा कि सरकार का स्कूलों के लिए क्लस्टर सिस्टम शुरू करने के फैसले के भी बेहतर परिणाम आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम बच्चों की संख्या की समस्या से निपटने के लिए सरकार रेजिडेंशियल और डे बोर्डिंग की स्कूल खोलने की दिशा में काम कर रही है। शिक्षा सचिव ने केंद्र सरकार से राज्यों को शिक्षा लिए मिलने वाले फंड को लेकर लचीला रवैया अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि फंड के इस्तेमाल करने में राज्यों को फ्लेक्सिबिलिटी देनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार रेकरिंग एक्सपेंडिचर के लिए भी फंड जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि तीन दिनों की यह कार्यशाला प्रदेश में शिक्षा की सुधार की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे निश्चित तौर पर शिक्षा में सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता एक चुनौती हमारे सामने है, जिसको मिलकर सभी को निपटना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्क्चर हैं, इसका पूरी तरह से इस्तेमाल कर हम शिक्षा में बेहतर सुधार कर सकते हैं। राजेश शर्मा ने हिमाचल में शिक्षा के परिदृश्य पर भी एक प्रेजेंटेशन भी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रति छात्र खर्च करने के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है। वहीं हिमाचल शिक्षा पर अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर रहा है, हालांकि इसका एक बड़ा हिस्सा शिक्षकों की सैलरी पर खर्च हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रति बच्चे का खर्च ज्यादा होने की एक बड़ी वजह स्कूलों में बच्चों की कम संख्या है। ऐसे में स्कूलों के साइज बढ़ाने से प्रति बच्चे पर हो रहे खर्च को भी कम किया जा सकता है। राजेश शर्मा ने चार दिसंबर को होने वाले परख सर्वे की तैयारियों पर भी जोर दिया। उन्होंने स्कूल प्रमुखों और अन्य अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं स्कूलों में इसकी तैयारियों को जांचें ताकि परख सर्वे में हिमाचल का प्रदर्शन बेहतर हो।राजेश शर्मा ने कहा कि तीन दिवकीय यह कार्य़शाला में हिमचाल में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। कार्यशाला में शिक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी और आखिरी दिन इसकी रिपोर्ट तैयार कर शिक्षा मंत्री के सामने रखी जाएगी। केंद्र सरकार में उप सचिव शिक्षा लिंगराज पांडा ने नई शिक्षा नीति-2020 के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। एनसीईआरटी की प्रो. डा. संध्या ने एफएलएन का शिक्षा की गुणवत्ता में महत्व और प्रो.चारू मलिक ने स्कूली शिक्षकों की मैनटोरिंग विषय पर अपने विचार रखे। समग्र शिक्षा में क्वालिटी एजुकेशन की नोडल आफिसर डा. मंजुला शर्मा ने कहा कि तीन दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में शिक्षा की गुणवत्ता पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस कार्य़शाला में शिक्षा उपनिदेशक, डाइट प्रिसिंपल, स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षक, स्कूलों के एमएसी समग्र शिक्षा निदेशालय में तैनात विभिन्न कार्यक्रमों के नोडल अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
शिमला , 21 नवंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर तीन दिवसीय कार्यशाला आज हिप्पा ( हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान शिमला में आरंभ हो गई। समग्र शिक्षा और हिप्पा के संयुक्त तत्वाधान “क्वालिटी एजुकेशन इन हिमाचल” विषय पर हो रही इस कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने किया।
कार्यशाला में पूर्व केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप , शिक्षा सचिव राकेश कंवर, केंद्र सरकार के उप शिक्षा सचिव लिंगराज पांडा, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डा. अमरजीत शर्मा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, अतिरिक्त निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीआर शर्मा, हिप्पा के अतिरिक्त निदेशक प्रशांत सरकैक विशेष तौर पर मौजूद रहे।
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इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में सरकार बनने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनको शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का कार्य दिया। इसी सोच के साथ शिक्षा के क्षेत्र में बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का स्कूलों को मर्ज करने का कठिन फैसला इस दिशा में लिया गया है। इसके पीछे सोच यही है कि प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा विभाग में सुधार का कार्य शुरू किया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी, तब शिक्षकों के करीब 15 हजार पद खाली थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों के खाली पदों को भरने का फैसला लिया। अकेले प्रारंभिक शिक्षा विभाग में ही करीब 6 हजार से ज्यादा पदों को भरने की मंजूरी दी गई और प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब 3200 शिक्षकों की बैचवाइज भर्ती कराई गईं।
इसी तरह पीजीटी शिक्षकों की भी तैनाती की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता इन शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में तैनात करने की है जहां शिक्षकों की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विशेषकर दूरदराज के स्कूलों में तैनात किया गया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप न करने की नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए शिक्षकों के बीच सत्र में तबादले पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग पर फोकस किया जा रहा है। शिक्षकों को एक्सपोजर टूर पर सिंगापुर भेजना और आईआईएम सिरमौर से स्कूल प्रमुखों को प्रशिक्षण देना इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार एससीईआरटी और जिला डाइटों को मजबूत करने का फैसला लिया है ताकि शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम कदम उठाते हुए स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढाई करना का फैसला लिया है। हालांकि उन्होंने पंजाबी, उर्दू जैसी भाषाओं के संरक्षण पर भी बल दिया।
शिक्षा मंत्री ने दिसंबर में होने वाले परख सर्वे को लेकर सभी से सहयोग की अपील की और कहा कि इसकी तैयारियों में सभी की भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परख में प्रदर्शन हिमाचल का ओवरआल प्रदर्शन होगा। ऐसे में सभी को इसके लिए प्रयास करने होंगे।
शिक्षा मंत्री ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी शिक्षकों का आवाहन करते हुए कहा कि नीतियां सरकार के स्तर पर बनती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनको लागू करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। उन्होंने कहा कि कि आने वाले समय में शिक्षा के सुधार के लिए और भी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई की तीन दिवसीय इस कार्यशाला से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी।
कार्य़शाला में पूर्व केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने कहा कि हिमाचल कई मामलों में बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ डाइट अच्छा कार्य कर रहे हैं, इनका अनुकरण दूसरे डाइट भी कर सकते हैं। इसी तरह कई शिक्षक जो अच्छा कार्य कर रहा हो, उनके कार्यों को अन्य शिक्षकों के साथ शेयर किया जा सकता है। उन्होंने डाइटों को मजबूत करने और शिक्षकों के प्रशिक्षण को मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल एनजीओ की भी सहायता शिक्षा में ले सकता है, देश में कई एनजीओ बेहतर कार्य कर रहे हैं जिनकी मदद ली जा सकती है।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा में सुधार की बड़ी इच्छा शक्ति दिखाई है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में सरकार ने ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। सरकार का स्कूलों को मर्ज करने का फैसला इसी दिशा में है। उन्होंने कहा कि सरकार का स्कूलों के लिए क्लस्टर सिस्टम शुरू करने के फैसले के भी बेहतर परिणाम आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम बच्चों की संख्या की समस्या से निपटने के लिए सरकार रेजिडेंशियल और डे बोर्डिंग की स्कूल खोलने की दिशा में काम कर रही है।
शिक्षा सचिव ने केंद्र सरकार से राज्यों को शिक्षा लिए मिलने वाले फंड को लेकर लचीला रवैया अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि फंड के इस्तेमाल करने में राज्यों को फ्लेक्सिबिलिटी देनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार रेकरिंग एक्सपेंडिचर के लिए भी फंड जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि तीन दिनों की यह कार्यशाला प्रदेश में शिक्षा की सुधार की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे निश्चित तौर पर शिक्षा में सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता एक चुनौती हमारे सामने है, जिसको मिलकर सभी को निपटना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्क्चर हैं, इसका पूरी तरह से इस्तेमाल कर हम शिक्षा में बेहतर सुधार कर सकते हैं।
राजेश शर्मा ने हिमाचल में शिक्षा के परिदृश्य पर भी एक प्रेजेंटेशन भी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रति छात्र खर्च करने के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है। वहीं हिमाचल शिक्षा पर अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर रहा है, हालांकि इसका एक बड़ा हिस्सा शिक्षकों की सैलरी पर खर्च हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रति बच्चे का खर्च ज्यादा होने की एक बड़ी वजह स्कूलों में बच्चों की कम संख्या है। ऐसे में स्कूलों के साइज बढ़ाने से प्रति बच्चे पर हो रहे खर्च को भी कम किया जा सकता है।
राजेश शर्मा ने चार दिसंबर को होने वाले परख सर्वे की तैयारियों पर भी जोर दिया। उन्होंने स्कूल प्रमुखों और अन्य अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं स्कूलों में इसकी तैयारियों को जांचें ताकि परख सर्वे में हिमाचल का प्रदर्शन बेहतर हो।राजेश शर्मा ने कहा कि तीन दिवकीय यह कार्य़शाला में हिमचाल में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। कार्यशाला में शिक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी और आखिरी दिन इसकी रिपोर्ट तैयार कर शिक्षा मंत्री के सामने रखी जाएगी।
केंद्र सरकार में उप सचिव शिक्षा लिंगराज पांडा ने नई शिक्षा नीति-2020 के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। एनसीईआरटी की प्रो. डा. संध्या ने एफएलएन का शिक्षा की गुणवत्ता में महत्व और प्रो.चारू मलिक ने स्कूली शिक्षकों की मैनटोरिंग विषय पर अपने विचार रखे। समग्र शिक्षा में क्वालिटी एजुकेशन की नोडल आफिसर डा. मंजुला शर्मा ने कहा कि तीन दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में शिक्षा की गुणवत्ता पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस कार्य़शाला में शिक्षा उपनिदेशक, डाइट प्रिसिंपल, स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षक, स्कूलों के एमएसी समग्र शिक्षा निदेशालय में तैनात विभिन्न कार्यक्रमों के नोडल अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
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