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शिमला , 01 मार्च [ हरीश गौतम ] ! अभी हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल के भारतेश शर्मा की पुस्तक " द लिटिल वर्ल्ड" का विमोचन जाने माने सुप्रसिद्ध कथाकार, लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका के संपादक श्री गौरीनाथ जी के करकमलों से हुआ। यह पुस्तक भारतेश शर्मा ने अपने बाल सुलभ खट्टे मीठे अनुभवों,अपने स्कूल, परिवार , यात्रा वर्णनों व संस्मरणों को लेकर लिखी है। पुस्तक को अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। अपने विचारों को मूर्त रुप देने में भारतेश को लगभग तीन वर्ष लगे जिसमें सबसे बड़ा चैलेंज व्याकरण ज्ञान को लेकर था। पुस्तक लिखने के लिए भारतेश ने अंग्रेजी व्याकरण पर काम किया। इस पुस्तक को भारतेश ने स्वयं टाइप व डिज़ाइन किया। पुस्तक की एडिटिंग का श्रेय भारतेश अपनी बहन रवितनया को देता है जो स्वयं एक लेखिका है। भारतेश के माता पिता भी लेखक हैं। भारतेश अपनी इस पुस्तक के लिए अपने माता पिता व बहन को प्रेरणा मानता है। भारतेश के अनुसार बच्चों को स्कूल की पढ़ाई के अलावा ज्ञान वर्धक पुस्तकें भी पढ़नी चाहिए। लेखन के अलावा भारतेश को पर्यावरण में रुचि है । गौरतलब है भारतेश शर्मा का शिमला के एडवर्ड स्कूल में छठी कक्षा में प्रवेश हुआ है। इसके अलावा वह पढ़ाई में भी होशियार है। भारतेश आगे भी पुस्तकें लिखना चाहता है। वह हिंदी भाषा में भी पुस्तक लिखने के लिए कृत संकल्प है। इस तरह भारतेश शर्मा का नाम देश के सबसे कम उम्र के लेखक बच्चों में शुमार हो गया है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 01 मार्च [ हरीश गौतम ] ! अभी हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल के भारतेश शर्मा की पुस्तक " द लिटिल वर्ल्ड" का विमोचन जाने माने सुप्रसिद्ध कथाकार, लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका के संपादक श्री गौरीनाथ जी के करकमलों से हुआ।
यह पुस्तक भारतेश शर्मा ने अपने बाल सुलभ खट्टे मीठे अनुभवों,अपने स्कूल, परिवार , यात्रा वर्णनों व संस्मरणों को लेकर लिखी है। पुस्तक को अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। अपने विचारों को मूर्त रुप देने में भारतेश को लगभग तीन वर्ष लगे जिसमें सबसे बड़ा चैलेंज व्याकरण ज्ञान को लेकर था।
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पुस्तक लिखने के लिए भारतेश ने अंग्रेजी व्याकरण पर काम किया। इस पुस्तक को भारतेश ने स्वयं टाइप व डिज़ाइन किया। पुस्तक की एडिटिंग का श्रेय भारतेश अपनी बहन रवितनया को देता है जो स्वयं एक लेखिका है। भारतेश के माता पिता भी लेखक हैं। भारतेश अपनी इस पुस्तक के लिए अपने माता पिता व बहन को प्रेरणा मानता है।
भारतेश के अनुसार बच्चों को स्कूल की पढ़ाई के अलावा ज्ञान वर्धक पुस्तकें भी पढ़नी चाहिए। लेखन के अलावा भारतेश को पर्यावरण में रुचि है । गौरतलब है भारतेश शर्मा का शिमला के एडवर्ड स्कूल में छठी कक्षा में प्रवेश हुआ है। इसके अलावा वह पढ़ाई में भी होशियार है। भारतेश आगे भी पुस्तकें लिखना चाहता है। वह हिंदी भाषा में भी पुस्तक लिखने के लिए कृत संकल्प है। इस तरह भारतेश शर्मा का नाम देश के सबसे कम उम्र के लेखक बच्चों में शुमार हो गया है।
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