
सुक्खू सरकार की उपलब्धि, बंद-बंद-बंद, चौतरफा तालाबाजी सरकार व्यवस्था परिवर्तन नहीं हर तरफ़ व्यवस्था पतन के नज़ारे दिखा रही है
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शिमला : 11 मार्च [ विशाल सूद ] ! विधान सभा सत्र के बाद जारी बयान में जयराम ठाकुर ने कहा कि आज प्रदेश पर जितना भी कर्ज है उसका एक तिहाई हिस्सा व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार ने मात्र दो साल के अंदर लिया है। इसके बाद सरकार की दूसरी उपलब्धि है कि हर जगह सरकार की बंदी, तालाबाज़ी और व्यवस्था पतन के नज़ारे दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश में हर तरफ़ अराजकता और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। कोई भी मुख्यमंत्री के नाम पर पैसे वसूलने की बात कर रहा है और सरकार चुप-चाप बैठी देखी रही है। आख़िर सरकार द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री हंसते हंसते दो साल निकाल चुके हैं। अब वह गंभीर हो जाए तो प्रदेश पर बहुत बड़ी मेहरबानी होगी। सरकार सिर्फ़ जगहँसाई वाले फ़ैसले ले रही है। सवा दो साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, अगर गारंटियाँ देकर सत्ता में आए हैं तो उसका जिम्मा सरकार का है। हमने पहले कहा था कि दस जन्म में भी पूरी नहीं कर पाएंगे। सरकार छह गारंटियां पूरी हो गई लेकिन सच में एक भी पूरी नहीं हुई। गारंटियां अगर पूरी हुई होती तो आवाज ज़मीन से आती। सरकार को झूठ नहीं बोलना पड़ता। सिर कुर्सी के लिए एक किस्त जारी करके कह रहे हैं कि गारंटियाँ पूरी कर दी है। राजीव गांधी स्टार्टअप में दो करोड़ देकर काम पूरा कर लिया। सरकार कह रहा है कि मक्का ख़रीद रहे हैं 30 किसानों से लेकिन सच है कि हर किसान को 50 रूपए में मक्के का आँटा ख़रीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है, बिना आँटा ख़रीदे बाक़ी का सामान नहीं दिया जा रहा है। एमआईइस के तहत ख़रीदे सेब का 40 करोड़ रुपए नहीं दिया है। बागवान अपनी रसीदें लेकर घूम रहे हैं और मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मैंने पैसे दे दिया। आज प्रदेश में सरकार का इकबाल और ऐतबार दोनों खत्म हो गया है। यह बहुत शर्मनाक है।मुख्यमंत्री को चाहिए कि अपने नाम से योजनाएं चलाना बंद कर दें। एक भी योजना वह चला नहीं पाए। बस वह प्रदेश के लोगों को परेशान और उनकी आशाएँ तोड़ने का काम कर रही है। स्टेट के बजट से अपने बलबूते सरकार ने क्या किया इसके बारे में सरकार को अपनी बात रखनी थी लेकिन सरकार के केंद्र सरकार की योजनाओं को श्रेय ले रही है। रेलवे का शेयर रोक कर रखा है जिसकी वजह से रेलवे के विस्तार नहीं मिल पा रही है। हमें लोग ज्ञान दे रहे हैं कि हमने जनता पर पैसा खर्च किया, हमें गर्व है कि हमे हिमाचली के घर में हमने चूल्हा दिया। हिमकेयर दिया, सामाजिक सुरक्षा योजना पेंशन की आयु सीमा 80 साल से घटाकर 60 साल किया। शगुन, स्वावलंबन, सहारा आदि योजनाएं दी। हजारों परिवारों के समस्याओं को हल किया, लाखों हिमाचलवासियों के चेहरे पर मुस्कान लाई। आज सरकार क्या कर रही है? सभी योजनाएं बंद कर दिया है या फंडिंग रोक दी है। वर्तमान सरकार को दो साल में 2872 करोड़ सेंट्रल असिस्टेंस का पैसा मिल चुका है। लेकिन सरकार के मुँह से धन्यवाद का एक भी शब्द नहीं निकला है। पाँच साल के कार्यकाल मे पूर्व सरकार को मात्र 1900 रुपए करोड़ रुपए मिले थे। राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार द्वारा जो भी कहा या बताया गया सब कुछ केंद्र सरकार प्रायोजित है। अपनी सरकार की नाकामियों के अलावा कुछ नहीं है। सरकार आम आदमी के साथ तो छोड़ दीजिए गोमाता के साथ भी सुख की सरकार ने छल किया। पिछले साल के बजट में सरकार ने कहा था कि गोमाता के लिए मिलने वाला अनुदान 700 से बढ़ाकर 1200 करने की घोषणा करने के बाद भूल गए। सरकार ने जो भी काम गिनवाएं हैं वह केंद्र सरकार और पूर्व की सरकारों के समय किए गए कार्य। सीएम यह बताएँ कि उन्होंने ख़ुद से क्या काम किए जिसका उन्होंने उद्घाटन, शिलान्यास और बजट प्रावधान किया है।
शिमला : 11 मार्च [ विशाल सूद ] ! विधान सभा सत्र के बाद जारी बयान में जयराम ठाकुर ने कहा कि आज प्रदेश पर जितना भी कर्ज है उसका एक तिहाई हिस्सा व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार ने मात्र दो साल के अंदर लिया है। इसके बाद सरकार की दूसरी उपलब्धि है कि हर जगह सरकार की बंदी, तालाबाज़ी और व्यवस्था पतन के नज़ारे दिखाई दे रहे हैं।
प्रदेश में हर तरफ़ अराजकता और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। कोई भी मुख्यमंत्री के नाम पर पैसे वसूलने की बात कर रहा है और सरकार चुप-चाप बैठी देखी रही है। आख़िर सरकार द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री हंसते हंसते दो साल निकाल चुके हैं। अब वह गंभीर हो जाए तो प्रदेश पर बहुत बड़ी मेहरबानी होगी।
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सरकार सिर्फ़ जगहँसाई वाले फ़ैसले ले रही है। सवा दो साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, अगर गारंटियाँ देकर सत्ता में आए हैं तो उसका जिम्मा सरकार का है। हमने पहले कहा था कि दस जन्म में भी पूरी नहीं कर पाएंगे। सरकार छह गारंटियां पूरी हो गई लेकिन सच में एक भी पूरी नहीं हुई। गारंटियां अगर पूरी हुई होती तो आवाज ज़मीन से आती।
सरकार को झूठ नहीं बोलना पड़ता। सिर कुर्सी के लिए एक किस्त जारी करके कह रहे हैं कि गारंटियाँ पूरी कर दी है। राजीव गांधी स्टार्टअप में दो करोड़ देकर काम पूरा कर लिया। सरकार कह रहा है कि मक्का ख़रीद रहे हैं 30 किसानों से लेकिन सच है कि हर किसान को 50 रूपए में मक्के का आँटा ख़रीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है, बिना आँटा ख़रीदे बाक़ी का सामान नहीं दिया जा रहा है। एमआईइस के तहत ख़रीदे सेब का 40 करोड़ रुपए नहीं दिया है।
बागवान अपनी रसीदें लेकर घूम रहे हैं और मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मैंने पैसे दे दिया। आज प्रदेश में सरकार का इकबाल और ऐतबार दोनों खत्म हो गया है। यह बहुत शर्मनाक है।मुख्यमंत्री को चाहिए कि अपने नाम से योजनाएं चलाना बंद कर दें। एक भी योजना वह चला नहीं पाए। बस वह प्रदेश के लोगों को परेशान और उनकी आशाएँ तोड़ने का काम कर रही है।
स्टेट के बजट से अपने बलबूते सरकार ने क्या किया इसके बारे में सरकार को अपनी बात रखनी थी लेकिन सरकार के केंद्र सरकार की योजनाओं को श्रेय ले रही है। रेलवे का शेयर रोक कर रखा है जिसकी वजह से रेलवे के विस्तार नहीं मिल पा रही है। हमें लोग ज्ञान दे रहे हैं कि हमने जनता पर पैसा खर्च किया, हमें गर्व है कि हमे हिमाचली के घर में हमने चूल्हा दिया।
हिमकेयर दिया, सामाजिक सुरक्षा योजना पेंशन की आयु सीमा 80 साल से घटाकर 60 साल किया। शगुन, स्वावलंबन, सहारा आदि योजनाएं दी। हजारों परिवारों के समस्याओं को हल किया, लाखों हिमाचलवासियों के चेहरे पर मुस्कान लाई। आज सरकार क्या कर रही है? सभी योजनाएं बंद कर दिया है या फंडिंग रोक दी है।
वर्तमान सरकार को दो साल में 2872 करोड़ सेंट्रल असिस्टेंस का पैसा मिल चुका है। लेकिन सरकार के मुँह से धन्यवाद का एक भी शब्द नहीं निकला है। पाँच साल के कार्यकाल मे पूर्व सरकार को मात्र 1900 रुपए करोड़ रुपए मिले थे। राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार द्वारा जो भी कहा या बताया गया सब कुछ केंद्र सरकार प्रायोजित है।
अपनी सरकार की नाकामियों के अलावा कुछ नहीं है। सरकार आम आदमी के साथ तो छोड़ दीजिए गोमाता के साथ भी सुख की सरकार ने छल किया। पिछले साल के बजट में सरकार ने कहा था कि गोमाता के लिए मिलने वाला अनुदान 700 से बढ़ाकर 1200 करने की घोषणा करने के बाद भूल गए।
सरकार ने जो भी काम गिनवाएं हैं वह केंद्र सरकार और पूर्व की सरकारों के समय किए गए कार्य। सीएम यह बताएँ कि उन्होंने ख़ुद से क्या काम किए जिसका उन्होंने उद्घाटन, शिलान्यास और बजट प्रावधान किया है।
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