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शिमला ! प्रदेश में अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा कई पहल की गई हैं और राज्य सरकार ने अवैध खनन और खनिजों के परिवहन की जांच के लिए विभिन्न स्थानों पर चौकियां स्थापित की हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह बात आज यहां राज्य में खनन गतिविधियों से संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह अवैध व्यापार अभी भी जारी है क्योंकि उल्लंघनकर्ता अन्य वैकल्पिक मार्गों के माध्यम से इन चौकियों को दरकिनार कर रहे हैं, जिसे रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को अवैध खनन में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि नालागढ़, ऊना, नूरपुर और पांवटा-साहिब जैसे क्षेत्र अवैध खनन के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न विकासात्मक कार्यों जैसे सड़क निर्माण और अन्य घरेलू जरूरतों के लिए आवश्यक कच्चे माल की मांग लगातार बढ़ रही है, इसलिए यह आवश्यक है कि खनन नियमों के सख्त कार्यान्वयन के माध्यम से नए संसाधनों का वैज्ञानिक और उचित दोहन किया जाना चाहिए। उन्होंने खनन अधिकारियों को नियमित तौर पर खनन स्थलों की निगरानी करने के निर्देश दिए तथा कहा कि अवैध खनन से बचने तथा राजस्व अर्जित करने के लिए खानों के पट्टे के लिए अनुमतियां दी जानी चाहिए। हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि उद्योग विभाग का खनन विंग खनन से संबंधित कानूनों को लागू करने के लिए एक प्रवर्तन एजेंसी है तथा इसे पर्याप्त स्टाफ, वाहन तथा आईटी इत्यादि के साथ सुदृढ़ किया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक सुधारों के बारे में विस्तृत प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए।उन्होंने सोलन जिले के अर्की, शिमला जिले के सुन्नी तथा चम्बा जिले के बड़ोह-सिंध में चूना पत्थर की खदानों की नीलामी में तेजी लाने के निर्देश दिए। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी नजीम ने मंत्री को आश्वासन दिया कि व्यवस्थित तथा वैज्ञानिक खनन सुनिश्चित करने के अलावा अवैध खनन की जांच के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस ने कहा कि अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए अवैध खनन गतिविधियों से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए विभाग ने शिमला में ऑनलाइन निगरानी प्रकोष्ठ की स्थापना की है। शिकायतों को प्राप्त करने तथा त्वरित कड़ी कार्रवाई करने के लिए दूरभाष तथा व्हाट्सएप नंबर भी सार्वजनिक किए गए हैं। राज्य भू-विज्ञानी पुनीत गुलेरिया, संजीव शर्मा, अनिल राणा तथा सुरेश भारद्वाज तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
शिमला ! प्रदेश में अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा कई पहल की गई हैं और राज्य सरकार ने अवैध खनन और खनिजों के परिवहन की जांच के लिए विभिन्न स्थानों पर चौकियां स्थापित की हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह बात आज यहां राज्य में खनन गतिविधियों से संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह अवैध व्यापार अभी भी जारी है क्योंकि उल्लंघनकर्ता अन्य वैकल्पिक मार्गों के माध्यम से इन चौकियों को दरकिनार कर रहे हैं, जिसे रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को अवैध खनन में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि नालागढ़, ऊना, नूरपुर और पांवटा-साहिब जैसे क्षेत्र अवैध खनन के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न विकासात्मक कार्यों जैसे सड़क निर्माण और अन्य घरेलू जरूरतों के लिए आवश्यक कच्चे माल की मांग लगातार बढ़ रही है, इसलिए यह आवश्यक है कि खनन नियमों के सख्त कार्यान्वयन के माध्यम से नए संसाधनों का वैज्ञानिक और उचित दोहन किया जाना चाहिए। उन्होंने खनन अधिकारियों को नियमित तौर पर खनन स्थलों की निगरानी करने के निर्देश दिए तथा कहा कि अवैध खनन से बचने तथा राजस्व अर्जित करने के लिए खानों के पट्टे के लिए अनुमतियां दी जानी चाहिए।
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हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि उद्योग विभाग का खनन विंग खनन से संबंधित कानूनों को लागू करने के लिए एक प्रवर्तन एजेंसी है तथा इसे पर्याप्त स्टाफ, वाहन तथा आईटी इत्यादि के साथ सुदृढ़ किया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक सुधारों के बारे में विस्तृत प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए।उन्होंने सोलन जिले के अर्की, शिमला जिले के सुन्नी तथा चम्बा जिले के बड़ोह-सिंध में चूना पत्थर की खदानों की नीलामी में तेजी लाने के निर्देश दिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी नजीम ने मंत्री को आश्वासन दिया कि व्यवस्थित तथा वैज्ञानिक खनन सुनिश्चित करने के अलावा अवैध खनन की जांच के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस ने कहा कि अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए अवैध खनन गतिविधियों से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए विभाग ने शिमला में ऑनलाइन निगरानी प्रकोष्ठ की स्थापना की है। शिकायतों को प्राप्त करने तथा त्वरित कड़ी कार्रवाई करने के लिए दूरभाष तथा व्हाट्सएप नंबर भी सार्वजनिक किए गए हैं। राज्य भू-विज्ञानी पुनीत गुलेरिया, संजीव शर्मा, अनिल राणा तथा सुरेश भारद्वाज तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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