- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला, 28 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! शिमला नागरिक सभा के द्वारा बिजली के निजीकरण व प्रदेश में स्मार्ट प्री पेड मीटर नीति व बिजली(संशोधन) विधेयक, 2022 के विरूद्ध में उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में संजय चौहान, विजेंद्र मेहरा, फालमा चौहान, जगमोहन ठाकुर समेत कई सदस्यों ने भाग लिया। इस अभियान के माध्यम से केंद्र सरकार से मांग की गई कि बिजली क्षेत्र के निजीकरण की नीति तथा बिजली(संशोधन) विधेयक, 2022 को निरस्त किया जाए तथा राज्य सरकार बिजली बोर्ड के निजीकरण तथा प्री पेड स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य पर तुरन्त रोक लगाए। बिजली के निजीकरण का कार्य वर्ष 2003 से तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेई की सरकार ने बिजली विधयेक, 2003 में लाकर की गई थी। जिसमें राज्य विद्युत बोर्डों को समाप्त कर बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों के हवाले करने का कार्य किया गया था। वर्तमान केंद्र की मोदी सरकार बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों को बेचने पर आमदा है। केन्द्र सरकार द्वारा भारी विरोध के बावजूद लाया गया बिजली(संशोधन) विधेयक, 2022 इसी का नतीजा है। केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाने का फैसला कर चुकी है तथा कई राज्यों ने इसका कार्य आरम्भ कर दिया है। दिसम्बर, 2023 तक केन्द्र सरकार ने 22 करोड़ 22 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने की मंजूरी दे दी है तथा इसमें से 10 करोड़ के करीब स्मार्ट मीटर लगा दिए गए हैं। हिमाचल में भी इन प्री पेड स्मार्ट मीटरों को लगाने का कार्य शुरू कर दिया हैं। वर्ष 2021 में पूर्व की भाजपा की जयराम सरकार ने शिमला शहर तथा धर्मशाला में स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य किया था तथा करीब 1,51,740 स्मार्ट मीटर लगा दिए गए थे। अब वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी केन्द्र सरकार के दबाव में 26 लाख स्मार्ट मीटर लगाने के लिए निजी कंपनियों को 3100 करोड़ रूपए के टेंडर दे दिए है। इस तरह बिजली बोर्ड का स्वयं निजीकरण शुरू हो जाएगा। प्री पेड बिजली स्मार्ट मीटर लगने से मोबाइल फोन की तरह पैसे खत्म होने पर स्मार्ट मीटर काम करना बन्द कर देगा व घर में बिजली आपूर्ति बाधित हो जाएगी। स्मार्ट मीटर का रेट वर्तमान मे इलेक्ट्रॉनिक बिजली मीटर जिसकी कीमत मात्र 400 से 500 रुपए है जबकि प्री पेड स्मार्ट मीटर की कीमत करीब 9000 रुपए आंकी गई है जोकि बहुत ही ज़्यादा है। जिसकी कीमत ग्राहकों से ही वसूली जाएगी। मीटर की लाइफ भी अधिकतम सात से आठ वर्ष होगी तथा यदि इसमें कोई खराबी आती है तो इसके लिए भूगतान भी ग्राहक को ही देना होगा। स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं का बिजली बिल भारी भरकम आएगा जिस से गरीब जनता व मध्यम वर्ग बिजली से वंचित हो जायेंगे। केन्द्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार भी सार्वजानिक क्षेत्र के निजीकरण की नीति को लागू करने के लिए बाध्य है। क्योंकि आर्थिक सुधारों के नाम पर केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को आम जनता को दी जा रही सहायता को बंद करने के बाद ही आर्थिक मदद देने की बात कर रही है। बिजली निजी कंपनियों के हवाले करने के बाद तथा स्मार्ट मीटर लगने से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों की सब्सिडी बन्द की जा रही है तथा प्रदेश सरकार द्वारा अब इन नीतियों को लागू करते हुए 125 यूनिट मुफ़्त बिजली समाप्त करने का निर्णय ले लिया है। कम्पनियां मुनाफ कमाने के लिए और अधिक दरों पर बिजली बेचेंगी। प्री पेड स्मार्ट मीटर लगने से दिन व रात के समय के बिजली की दरें अलग - अलग हो जाएंगी। बिजली खराब होने पर उसे ठीक करने के दाम जनता से ही वसूले जाएंगे। इससे आम जनता, किसान लघु उद्योगों, छोटे दुकानदारों, आटा चक्की व आरा मशीन संचालकों, गरीब व मध्यम वर्ग के लिए स्मार्ट मीटर योजना विनाशकारी साबित होगी। स्मार्ट मीटर योजना के लागू होने से बिजली क्षेत्र का अपने आप ही निजीकरण हो जाएगा क्योंकि बिजली का वितरण निजी कंपनियों के हाथों में चला जाएगा। निजी बिजली बोर्ड को समाप्त कर बिजली कंपनियां अपने मुनाफे के लिए सरकारी बिजली बोर्डों द्वारा बनाए गए सब स्टेशनों व अन्य ढांचे का इस्तेमाल करेंगी। इस से बिजली बोर्ड के दफ्तरों व फील्ड में तैनात तकनीकी कर्मचारियों की स्वतः ही नौकरी से छुट्टी हो जाएगी। जब बिजली बोर्ड के अस्तित्व ही नहीं रहेगा तो फिर पेंशनभोगियों को पेंशन कहाँ से मिलेगी। शिमला नागरिक सभा जनता से आग्रह करती है कि केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र के निजीकरण की नीति तथा बिजली(संशोधन) विधयेक, 2022 को लागू करने से रोकने तथा केन्द्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार द्वारा इन निजीकरण की नीतियों को लागू करते हुए प्रदेश के बिजली बोर्ड को निजी कंपनियों के हवाले कर प्रदेश भर में बिजली के प्री पेड स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य पर रोक के लिए लामबंद होकर विरोध करे।
शिमला, 28 अगस्त, [ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! शिमला नागरिक सभा के द्वारा बिजली के निजीकरण व प्रदेश में स्मार्ट प्री पेड मीटर नीति व बिजली(संशोधन) विधेयक, 2022 के विरूद्ध में उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में संजय चौहान, विजेंद्र मेहरा, फालमा चौहान, जगमोहन ठाकुर समेत कई सदस्यों ने भाग लिया। इस अभियान के माध्यम से केंद्र सरकार से मांग की गई कि बिजली क्षेत्र के निजीकरण की नीति तथा बिजली(संशोधन) विधेयक, 2022 को निरस्त किया जाए तथा राज्य सरकार बिजली बोर्ड के निजीकरण तथा प्री पेड स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य पर तुरन्त रोक लगाए।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
बिजली के निजीकरण का कार्य वर्ष 2003 से तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेई की सरकार ने बिजली विधयेक, 2003 में लाकर की गई थी। जिसमें राज्य विद्युत बोर्डों को समाप्त कर बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों के हवाले करने का कार्य किया गया था। वर्तमान केंद्र की मोदी सरकार बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों को बेचने पर आमदा है। केन्द्र सरकार द्वारा भारी विरोध के बावजूद लाया गया बिजली(संशोधन) विधेयक, 2022 इसी का नतीजा है। केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाने का फैसला कर चुकी है तथा कई राज्यों ने इसका कार्य आरम्भ कर दिया है। दिसम्बर, 2023 तक केन्द्र सरकार ने 22 करोड़ 22 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने की मंजूरी दे दी है तथा इसमें से 10 करोड़ के करीब स्मार्ट मीटर लगा दिए गए हैं। हिमाचल में भी इन प्री पेड स्मार्ट मीटरों को लगाने का कार्य शुरू कर दिया हैं।
वर्ष 2021 में पूर्व की भाजपा की जयराम सरकार ने शिमला शहर तथा धर्मशाला में स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य किया था तथा करीब 1,51,740 स्मार्ट मीटर लगा दिए गए थे। अब वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी केन्द्र सरकार के दबाव में 26 लाख स्मार्ट मीटर लगाने के लिए निजी कंपनियों को 3100 करोड़ रूपए के टेंडर दे दिए है। इस तरह बिजली बोर्ड का स्वयं निजीकरण शुरू हो जाएगा।
प्री पेड बिजली स्मार्ट मीटर लगने से मोबाइल फोन की तरह पैसे खत्म होने पर स्मार्ट मीटर काम करना बन्द कर देगा व घर में बिजली आपूर्ति बाधित हो जाएगी। स्मार्ट मीटर का रेट वर्तमान मे इलेक्ट्रॉनिक बिजली मीटर जिसकी कीमत मात्र 400 से 500 रुपए है जबकि प्री पेड स्मार्ट मीटर की कीमत करीब 9000 रुपए आंकी गई है जोकि बहुत ही ज़्यादा है। जिसकी कीमत ग्राहकों से ही वसूली जाएगी। मीटर की लाइफ भी अधिकतम सात से आठ वर्ष होगी तथा यदि इसमें कोई खराबी आती है तो इसके लिए भूगतान भी ग्राहक को ही देना होगा।
स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं का बिजली बिल भारी भरकम आएगा जिस से गरीब जनता व मध्यम वर्ग बिजली से वंचित हो जायेंगे। केन्द्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार भी सार्वजानिक क्षेत्र के निजीकरण की नीति को लागू करने के लिए बाध्य है। क्योंकि आर्थिक सुधारों के नाम पर केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को आम जनता को दी जा रही सहायता को बंद करने के बाद ही आर्थिक मदद देने की बात कर रही है। बिजली निजी कंपनियों के हवाले करने के बाद तथा स्मार्ट मीटर लगने से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों की सब्सिडी बन्द की जा रही है तथा प्रदेश सरकार द्वारा अब इन नीतियों को लागू करते हुए 125 यूनिट मुफ़्त बिजली समाप्त करने का निर्णय ले लिया है। कम्पनियां मुनाफ कमाने के लिए और अधिक दरों पर बिजली बेचेंगी।
प्री पेड स्मार्ट मीटर लगने से दिन व रात के समय के बिजली की दरें अलग - अलग हो जाएंगी। बिजली खराब होने पर उसे ठीक करने के दाम जनता से ही वसूले जाएंगे। इससे आम जनता, किसान लघु उद्योगों, छोटे दुकानदारों, आटा चक्की व आरा मशीन संचालकों, गरीब व मध्यम वर्ग के लिए स्मार्ट मीटर योजना विनाशकारी साबित होगी।
स्मार्ट मीटर योजना के लागू होने से बिजली क्षेत्र का अपने आप ही निजीकरण हो जाएगा क्योंकि बिजली का वितरण निजी कंपनियों के हाथों में चला जाएगा। निजी बिजली बोर्ड को समाप्त कर बिजली कंपनियां अपने मुनाफे के लिए सरकारी बिजली बोर्डों द्वारा बनाए गए सब स्टेशनों व अन्य ढांचे का इस्तेमाल करेंगी। इस से बिजली बोर्ड के दफ्तरों व फील्ड में तैनात तकनीकी कर्मचारियों की स्वतः ही नौकरी से छुट्टी हो जाएगी। जब बिजली बोर्ड के अस्तित्व ही नहीं रहेगा तो फिर पेंशनभोगियों को पेंशन कहाँ से मिलेगी।
शिमला नागरिक सभा जनता से आग्रह करती है कि केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र के निजीकरण की नीति तथा बिजली(संशोधन) विधयेक, 2022 को लागू करने से रोकने तथा केन्द्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार द्वारा इन निजीकरण की नीतियों को लागू करते हुए प्रदेश के बिजली बोर्ड को निजी कंपनियों के हवाले कर प्रदेश भर में बिजली के प्री पेड स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य पर रोक के लिए लामबंद होकर विरोध करे।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -