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शिमला ! सचिव शिक्षा व भाषा संस्कृति राकेश कंवर ने आज शिमला में डॉ. तुलसी रमण की पुस्तक ‘नेगी लामा तनजिन ग्यलधन’ का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नेगी लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के बीसवीं सदी के ऐसे अग्रणी विद्वान हुए जिन्होंने विश्व में ख्याति अर्जित की। उन्होंने कहा कि नेगी लामा का जन्म किन्नौर के गांव सुन्नम में हुआ था और उनका देहावसान लाहौल के शशुर गोम्पा में हुआ। उन्होंने हिमाचल से तिब्बत जाकर गहन अध्ययन और अध्यापन करके ख्याति अर्जित की। पुस्तक के सम्पादक डॉ. तुलसी रमण ने कहा कि नेगी लामा का जीवन ज्ञान अर्जित करने और ज्ञान बांटने के लिए समर्पित रहा। वह अनन्य साधक थे। डॉ. रमन ने इस अवसर पर पुस्तक में प्रकाशित दलाईलामा के संदेश का भी पाठ किया जिसमें दलाईलामा ने नेगी लामा को बीसवीं सदी के उत्कृष्ट विद्वान एवं साधक कहा है। इस अवसर पर पी.एल. नेगी, अजय शर्मा, दिनेश शर्मा सहित अनेक साहित्यकार और विद्वान एवं लेखक उपस्थित थे।
शिमला ! सचिव शिक्षा व भाषा संस्कृति राकेश कंवर ने आज शिमला में डॉ. तुलसी रमण की पुस्तक ‘नेगी लामा तनजिन ग्यलधन’ का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नेगी लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के बीसवीं सदी के ऐसे अग्रणी विद्वान हुए जिन्होंने विश्व में ख्याति अर्जित की। उन्होंने कहा कि नेगी लामा का जन्म किन्नौर के गांव सुन्नम में हुआ था और उनका देहावसान लाहौल के शशुर गोम्पा में हुआ। उन्होंने हिमाचल से तिब्बत जाकर गहन अध्ययन और अध्यापन करके ख्याति अर्जित की।
पुस्तक के सम्पादक डॉ. तुलसी रमण ने कहा कि नेगी लामा का जीवन ज्ञान अर्जित करने और ज्ञान बांटने के लिए समर्पित रहा। वह अनन्य साधक थे। डॉ. रमन ने इस अवसर पर पुस्तक में प्रकाशित दलाईलामा के संदेश का भी पाठ किया जिसमें दलाईलामा ने नेगी लामा को बीसवीं सदी के उत्कृष्ट विद्वान एवं साधक कहा है।
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इस अवसर पर पी.एल. नेगी, अजय शर्मा, दिनेश शर्मा सहित अनेक साहित्यकार और विद्वान एवं लेखक उपस्थित थे।
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