निगम आयुक्त कोर्ट के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने दी है चुनौती, अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने दी है चुनौती, 11 नवंबर को होगी अगली सुनवाई, कोर्ट का स्टे से इंकार।
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शिमला , 06 नवंबर [ विशाल सूद ] : राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली के बहुचर्चित मस्जिद विवाद में आज जिला शिमला की लोकल अदालत में सुनवाई हुई। नगर निगम शिमला कोर्ट के अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने चुनौती दी है। ये चुनौती बिलासपुर, पांवटा साहिब व मंडी की कमेटियों ने दी है। मुस्लिम पक्ष से जुड़ी 3 वेलफेयर सोसाइटीज ने निगम कमिश्नर कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिले की एक अदालत में अपील की है। इन सभी का दावा है कि संजौली की मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और इसके अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा गैर कानूनी है। इसी मामले में इससे पहले संजौली लोकल रेजिडेंट की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर को 2010 की शिकायत से जुड़े अवैध निर्माण वाले मामले का 8 सप्ताह के भीतर निपटान करने के आदेश जारी किए हैं। संजौली मस्जिद मामले में ऑल हिमाचल मुस्लिम लीग के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी की याचिका पर जिला सत्र अदालत में सुनवाई हुई। नजाकत अली हाशमी ने संजौली मस्जिद कमेटी को अवैद्य ठहराया है। मस्जिद तोड़ने के आदेशों पर स्टे लगाने की मांग की है। जिला अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 11 नवंबर को अगली तारीख़ तय की है। फ़िलहाल मुस्लिम पक्ष की मस्जिद तोड़ने को लेकर स्टे की मांग को कोर्ट ने स्वीकर नहीं किया है। 11 नवंबर को मामले से जुड़े सभी पक्षों को भी सुना जाएगा। बहु चर्चित मामले में 21 अक्टूबर को ही संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम शुरू हुआ था। संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से छत के एक बड़े हिस्से को हटा दिया गया है। ये बात अलग है कि बाद में फंड की कमी का हवाला देते हुए इस काम को रोक दिया गया। उल्लेखनीय है कि बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत ने दो महीने में अवैध रूप से बने दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के आदेश जारी किए थे। संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से ही 11 सितंबर को नगर निगम आयुक्त को एक पत्र लिख कर आग्रह किया गया था।
शिमला , 06 नवंबर [ विशाल सूद ] : राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली के बहुचर्चित मस्जिद विवाद में आज जिला शिमला की लोकल अदालत में सुनवाई हुई। नगर निगम शिमला कोर्ट के अवैध निर्माण हटाने के फैसले को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने चुनौती दी है। ये चुनौती बिलासपुर, पांवटा साहिब व मंडी की कमेटियों ने दी है।
मुस्लिम पक्ष से जुड़ी 3 वेलफेयर सोसाइटीज ने निगम कमिश्नर कोर्ट के फैसले के खिलाफ जिले की एक अदालत में अपील की है। इन सभी का दावा है कि संजौली की मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और इसके अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा गैर कानूनी है। इसी मामले में इससे पहले संजौली लोकल रेजिडेंट की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर को 2010 की शिकायत से जुड़े अवैध निर्माण वाले मामले का 8 सप्ताह के भीतर निपटान करने के आदेश जारी किए हैं।
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संजौली मस्जिद मामले में ऑल हिमाचल मुस्लिम लीग के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी की याचिका पर जिला सत्र अदालत में सुनवाई हुई। नजाकत अली हाशमी ने संजौली मस्जिद कमेटी को अवैद्य ठहराया है। मस्जिद तोड़ने के आदेशों पर स्टे लगाने की मांग की है। जिला अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 11 नवंबर को अगली तारीख़ तय की है। फ़िलहाल मुस्लिम पक्ष की मस्जिद तोड़ने को लेकर स्टे की मांग को कोर्ट ने स्वीकर नहीं किया है। 11 नवंबर को मामले से जुड़े सभी पक्षों को भी सुना जाएगा।
बहु चर्चित मामले में 21 अक्टूबर को ही संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम शुरू हुआ था। संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से छत के एक बड़े हिस्से को हटा दिया गया है। ये बात अलग है कि बाद में फंड की कमी का हवाला देते हुए इस काम को रोक दिया गया। उल्लेखनीय है कि बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत ने दो महीने में अवैध रूप से बने दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के आदेश जारी किए थे। संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से ही 11 सितंबर को नगर निगम आयुक्त को एक पत्र लिख कर आग्रह किया गया था।
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