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शिमला , 04मई [ विशाल सूद ] ! वर्तमान में किसानों और बागवानी में भी आधुनिकीकरण का प्रभाव देखने को मिल रहा है. यही वजह है की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेती का स्वरूप बदल रहा है और इसका लाभ भी किसानों को मिल रहा है. हिमाचल में भी किसान बागवान इसी मुख्य धारा को अपना कर आगे बढ़ रहे हैं. शिमला के सुन्नी इलाके के प्रगतिशील किसान भोपाल सिंह इसका एक जीता जागता उदाहरण है. भोपाल सिंह किसानी में उनके प्रयोगों के लिए दो राष्ट्रीय और सात राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं. इसी कड़ी में जैन इरिगेशन की ओर से उन्हें शिमला में सम्मानित किया गया । शिमला के सुन्नी क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान भोपाल सिंह बताते हैं कि वह एक छोटे किसान हैं लेकिन खेती में तकनीक के इस्तेमाल के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। भोपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने जैन इरिगेशन सिस्टम को अपने खेतों में इस्तेमाल करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया। इसके चलते आज उनके पास लाखों की लागत के उपकरण है जिससे खेती करना उनके लिए आसान हो गया है। भोपाल सिंह ने बताया कि आज उनके क्षेत्र में कम पढ़े-लिखे लोग भी जैन सिंचाई सिस्टम जैसी आसान तकनीक का इस्तेमाल करके खेती को अधिक सुलभ और मुनाफा कमा रहे हैं उन्होंने कहा कि वर्तमान में उन्हें दो राष्ट्रीय स्तर के और साथ राजस्थान के पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनके इन प्रयोगों की वजह से राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान और केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने का भी उन्हें मौका मिला है ऐसे में आज के किसानों को जैन सिंचाई व्यवस्था जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सके ।
शिमला , 04मई [ विशाल सूद ] ! वर्तमान में किसानों और बागवानी में भी आधुनिकीकरण का प्रभाव देखने को मिल रहा है. यही वजह है की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेती का स्वरूप बदल रहा है और इसका लाभ भी किसानों को मिल रहा है. हिमाचल में भी किसान बागवान इसी मुख्य धारा को अपना कर आगे बढ़ रहे हैं. शिमला के सुन्नी इलाके के प्रगतिशील किसान भोपाल सिंह इसका एक जीता जागता उदाहरण है. भोपाल सिंह किसानी में उनके प्रयोगों के लिए दो राष्ट्रीय और सात राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं. इसी कड़ी में जैन इरिगेशन की ओर से उन्हें शिमला में सम्मानित किया गया ।
शिमला के सुन्नी क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान भोपाल सिंह बताते हैं कि वह एक छोटे किसान हैं लेकिन खेती में तकनीक के इस्तेमाल के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। भोपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने जैन इरिगेशन सिस्टम को अपने खेतों में इस्तेमाल करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया। इसके चलते आज उनके पास लाखों की लागत के उपकरण है जिससे खेती करना उनके लिए आसान हो गया है।
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भोपाल सिंह ने बताया कि आज उनके क्षेत्र में कम पढ़े-लिखे लोग भी जैन सिंचाई सिस्टम जैसी आसान तकनीक का इस्तेमाल करके खेती को अधिक सुलभ और मुनाफा कमा रहे हैं उन्होंने कहा कि वर्तमान में उन्हें दो राष्ट्रीय स्तर के और साथ राजस्थान के पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
उनके इन प्रयोगों की वजह से राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान और केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने का भी उन्हें मौका मिला है ऐसे में आज के किसानों को जैन सिंचाई व्यवस्था जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सके ।
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