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शिमला ! वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश में विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनेक नवोन्मेषी पहल की हैं। शिक्षा क्षेत्र व शिक्षण संस्थानों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अनेकों सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं तथा विभिन्न योजनाएं आरम्भ की गई हैं।प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य में गुणवत्ता लाने और विद्यार्थियों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने स्कूलों के क्लस्टर बनाए हैं। स्कूलों के क्लस्टर बनने के फलस्वरूप विद्यार्थियों और अध्यापकों दोनों की संख्या बढ़ी है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित हुई है। प्रदेश सरकार की इस नवीन पहल से अब प्राइमरी स्कूलों के बच्चे भी उच्च कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्थापित प्रयोगशालाओं सहित अन्य सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों में आत्मविश्वास पैदा करने और शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने के लिए पहली कक्षा से अंग्रेज़ी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों को बेहतरीन शिक्षा और विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक से लैस राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा 6297 प्राइमरी स्कूलों में प्री-स्कूल कक्षाएं आरंभ की गई हैं। सरकार ने विधवा, निराश्रित, परित्यक्त और विकलांग महिलाओं के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ भी शुरू की है। इस योजना के लिए 53.21 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। 15,181 स्कूलों में ‘बाल पौष्टिक आहार योजना’ शुरू की गई है जिससे 5.34 लाख बच्चों को अंडे, फल जैसे अतिरिक्त पोषण का लाभ मिला है। प्रदेश सरकार ने इस पहल के लिए 12.75 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। सरकार ने डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए महज एक प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जा रहा है। विदेश में शैक्षणिक संस्थानों में पेशेवर और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शिक्षा ग्रहण करने के लिए कमज़ोर वर्गांे के पात्र मेधावी छात्रों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस योजना का विस्तार किया गया है। योजना के तहत इन विद्यार्थियों को एक प्रतिशत ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान किया जा रहा है।सभी सरकारी स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाने के लिए ‘मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना’ का शुरू की गई है, जिसका लाभ नर्सरी से आठवीं कक्षा तक 15,181 के बच्चे उठा रहे हैं। श्रीनिवास रामानुजन विद्यार्थी योजना के अंतर्गत 10वीं व 12वीं तथा कॉलेजों के मेधावी विद्यार्थियों को 11,552 टैबलेट प्रदान किए गए हैं। टैबलेट प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के साथ-साथ डिजिटल साक्षरता भी हासिल करें और भविष्य की नवीन तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम बन सकें।सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की पहल के तहत विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्मार्ट और वर्चुअल कक्षाएं शुरू की गई हैं।बहुमूल्य सेवाओं के लिए अध्यापकों को सम्मानित करने के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार योजना-2024 आरम्भ की गई है। राज्य सरकार ने शिक्षकों के लिए विदेशों में एक्सपोजर विजिट की पहल की है जिसके तहत शैक्षणिक गतिविधियों का ज्ञान अर्जन करने के लिए पहले चरण में 200 शिक्षक सिंगापुर भ्रमण पर भेजे गए। इसके अलावा, 200 शिक्षक केरल और अन्य राज्यों में शैक्षणिक अनुभव हासिल कर लौटे हैं। सरकार की इस पहल का उद्देश्य मूल्यवान अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानक कायम करना तथा सुविधाओं से शिक्षकों के ज्ञान को तराशकर भविष्य के लिए असीमित अवसर उपलब्ध करवाने का मंच प्रदान करना है। प्रदेश सरकार ने सिंगापुर की प्रतिष्ठित ¬ि¬प्रंसिपल एकेडमी के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है, जिसके तहत हिमाचल के शिक्षकों को सिंगापुर में आधुनिक शिक्षण विधियों, नेतृत्व कौशल और नवाचार आधारित शिक्षण प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। सरकार द्वारा 50 मेधावी विद्यार्थियों को 11 दिवसीय शैक्षणिक अध्ययन के लिए कंबोडिया और सिंगापुर भेजा भेजा गया है, जो 17 फरवरी को वापिस देश लौटेंगे।शिक्षा एवं प्रशासनिक कार्यों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा प्रदान करने के प्रयासों के अंतर्गत प्राथमिक स्कूल शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए जा रहे हैं। कुल 17,510 शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य शिक्षण कार्यों में आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना, डिजिटल शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करना और डाटा अपडेट करने जैसे प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाना है। इसके माध्यम से अध्यापक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर अपना ज्ञानवर्द्धन कर सकेंगे।शिक्षा में गुणवत्ता के उद्देश्य से प्रदेश के 850 शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में अधिसूचित किया गया है। शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के 15 हजार पदों को भरने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। शिक्षकों के 3,200 पद बैचवाइज भरे गए हैं जबकि 2,800 से अधिक पद राज्य चयन आयोग के माध्यम से भरे जा रहे हैं। पीजीटी शिक्षकों के 700 पद और एनटीटी के 6200 पद भरने की भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। विद्यार्थियों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक सत्र के बीच शिक्षकों के तबादलों पर प्रतिबंध लगाया गया है। सीधी भर्ती के अलावा पदोन्नति के माध्यम से भी हजारों पद भरे गए हैं। इसी प्रकार कॉलेज स्तर की शिक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 120 कॉलेज प्रिंसिपल और 483 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की है।प्रदेश के स्कूलों में कृषि और बागवानी को एक अतिरिक्त विषय के रूप में जोड़ा गया है साथ ही स्कूलों में क्लस्टर सिस्टम शुरू किया गया है। खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि, आहार और यात्रा भत्तों में वृद्धि की गई है। प्रदेश सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आने आरम्भ हो गए हैं। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन (असर) की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में हिमाचल के विद्यार्थियों के लर्निंग लेवल को अव्वल आंका गया है। इसके अतिरिक्त, स्कूलों में पेयजल उपलब्धता के मामले में भी हिमाचल को अव्वल स्थान दिया गया है।
शिमला ! वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश में विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनेक नवोन्मेषी पहल की हैं। शिक्षा क्षेत्र व शिक्षण संस्थानों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अनेकों सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं तथा विभिन्न योजनाएं आरम्भ की गई हैं।प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य में गुणवत्ता लाने और विद्यार्थियों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने स्कूलों के क्लस्टर बनाए हैं। स्कूलों के क्लस्टर बनने के फलस्वरूप विद्यार्थियों और अध्यापकों दोनों की संख्या बढ़ी है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित हुई है। प्रदेश सरकार की इस नवीन पहल से अब प्राइमरी स्कूलों के बच्चे भी उच्च कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्थापित प्रयोगशालाओं सहित अन्य सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं।
सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों में आत्मविश्वास पैदा करने और शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने के लिए पहली कक्षा से अंग्रेज़ी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों को बेहतरीन शिक्षा और विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक से लैस राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा 6297 प्राइमरी स्कूलों में प्री-स्कूल कक्षाएं आरंभ की गई हैं।
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सरकार ने विधवा, निराश्रित, परित्यक्त और विकलांग महिलाओं के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ भी शुरू की है। इस योजना के लिए 53.21 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। 15,181 स्कूलों में ‘बाल पौष्टिक आहार योजना’ शुरू की गई है जिससे 5.34 लाख बच्चों को अंडे, फल जैसे अतिरिक्त पोषण का लाभ मिला है। प्रदेश सरकार ने इस पहल के लिए 12.75 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
सरकार ने डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए महज एक प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जा रहा है। विदेश में शैक्षणिक संस्थानों में पेशेवर और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शिक्षा ग्रहण करने के लिए कमज़ोर वर्गांे के पात्र मेधावी छात्रों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस योजना का विस्तार किया गया है। योजना के तहत इन विद्यार्थियों को एक प्रतिशत ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान किया जा रहा है।
सभी सरकारी स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाने के लिए ‘मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना’ का शुरू की गई है, जिसका लाभ नर्सरी से आठवीं कक्षा तक 15,181 के बच्चे उठा रहे हैं।
श्रीनिवास रामानुजन विद्यार्थी योजना के अंतर्गत 10वीं व 12वीं तथा कॉलेजों के मेधावी विद्यार्थियों को 11,552 टैबलेट प्रदान किए गए हैं। टैबलेट प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के साथ-साथ डिजिटल साक्षरता भी हासिल करें और भविष्य की नवीन तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम बन सकें।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की पहल के तहत विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्मार्ट और वर्चुअल कक्षाएं शुरू की गई हैं।बहुमूल्य सेवाओं के लिए अध्यापकों को सम्मानित करने के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार योजना-2024 आरम्भ की गई है।
राज्य सरकार ने शिक्षकों के लिए विदेशों में एक्सपोजर विजिट की पहल की है जिसके तहत शैक्षणिक गतिविधियों का ज्ञान अर्जन करने के लिए पहले चरण में 200 शिक्षक सिंगापुर भ्रमण पर भेजे गए। इसके अलावा, 200 शिक्षक केरल और अन्य राज्यों में शैक्षणिक अनुभव हासिल कर लौटे हैं। सरकार की इस पहल का उद्देश्य मूल्यवान अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानक कायम करना तथा सुविधाओं से शिक्षकों के ज्ञान को तराशकर भविष्य के लिए असीमित अवसर उपलब्ध करवाने का मंच प्रदान करना है। प्रदेश सरकार ने सिंगापुर की प्रतिष्ठित ¬ि¬प्रंसिपल एकेडमी के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है, जिसके तहत हिमाचल के शिक्षकों को सिंगापुर में आधुनिक शिक्षण विधियों, नेतृत्व कौशल और नवाचार आधारित शिक्षण प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
सरकार द्वारा 50 मेधावी विद्यार्थियों को 11 दिवसीय शैक्षणिक अध्ययन के लिए कंबोडिया और सिंगापुर भेजा भेजा गया है, जो 17 फरवरी को वापिस देश लौटेंगे।
शिक्षा एवं प्रशासनिक कार्यों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा प्रदान करने के प्रयासों के अंतर्गत प्राथमिक स्कूल शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए जा रहे हैं। कुल 17,510 शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य शिक्षण कार्यों में आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना, डिजिटल शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करना और डाटा अपडेट करने जैसे प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाना है। इसके माध्यम से अध्यापक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर अपना ज्ञानवर्द्धन कर सकेंगे।
शिक्षा में गुणवत्ता के उद्देश्य से प्रदेश के 850 शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में अधिसूचित किया गया है। शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के 15 हजार पदों को भरने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। शिक्षकों के 3,200 पद बैचवाइज भरे गए हैं जबकि 2,800 से अधिक पद राज्य चयन आयोग के माध्यम से भरे जा रहे हैं। पीजीटी शिक्षकों के 700 पद और एनटीटी के 6200 पद भरने की भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। विद्यार्थियों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक सत्र के बीच शिक्षकों के तबादलों पर प्रतिबंध लगाया गया है। सीधी भर्ती के अलावा पदोन्नति के माध्यम से भी हजारों पद भरे गए हैं। इसी प्रकार कॉलेज स्तर की शिक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 120 कॉलेज प्रिंसिपल और 483 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की है।प्रदेश के स्कूलों में कृषि और बागवानी को एक अतिरिक्त विषय के रूप में जोड़ा गया है साथ ही स्कूलों में क्लस्टर सिस्टम शुरू किया गया है। खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि, आहार और यात्रा भत्तों में वृद्धि की गई है।
प्रदेश सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आने आरम्भ हो गए हैं। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन (असर) की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में हिमाचल के विद्यार्थियों के लर्निंग लेवल को अव्वल आंका गया है। इसके अतिरिक्त, स्कूलों में पेयजल उपलब्धता के मामले में भी हिमाचल को अव्वल स्थान दिया गया है।
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