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शिमला, 19 फरवरी [ विशाल सूद ] ! जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से बुधवार को कम्युनिकेशन माॅक ड्रिल का आयोजन किया गया। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कंट्रोल रूम में बैठ कर सेटेलाइट फोन के माध्यम से जिला के सभी उपमंडलाधिकारियों (ना०) से संपर्क किया। इसमें कुपवी, कोटखाई और शिमला ग्रामीण के उपमंडलाधिकारी से सेटेलाइट फोन के माध्यम से संपर्क ही नहीं हो पाया। इसके अलावा अन्य सभी से संपर्क हो गया। उपायुक्त ने कहा कि सैटेलाइट फोन के माध्यम को लेकर की गई मॉक ड्रिल संतोषजनक नहीं रही है। बीएसएनएल प्रबंधन को इस बारे में नोटिस भी दिया जाएगा कि सिग्नल को लेकर काफी परेशानी आ रही है। ऐसे में आपदा के समय में सैटेलाइट फोन के माध्यम से संपर्क न हो पाए तो राहत कार्यों को करने में काफी दिक्कतें पेश आती हैं। सभी एसडीएम को दिया जाएगा प्रशिक्षणउपायुक्त ने कहा कि 22 फरवरी को होने वाली जिला स्तरीय राजस्व विभाग की बैठक में सैटेलाइट फोन के संचालन को लेकर सभी उपमंडलाधिकारियों एवं संबंधित स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फील्ड स्टाफ सैटेलाइट फ़ोन के संचालन में निपुण होगा तो संवाद परस्पर स्थापित होगा। आपदा में सबसे जरूरी संवाद ही होता है। संवाद महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सैटालाईट फोन के संचालन को लेकर भविष्य में नियमित माॅक ड्रिल की जाएगी ताकि फील्ड स्टाफ को आपदा के समय किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस मौके पर 2021 बैच के इंटर कैडर ट्रांसफर आईएएस अधिकारी डॉ राजदीव सिंह और रूपिंद्र कौर विशेष तौर पर मौजूद रहे। जाखू रोप-वे में माॅक ड्रिल का आयोजनआपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारियों को लेकर बुधवार को जाखू रोपवे में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान जमीन से 100 मीटर की ऊंचाई पर फंसे लोगों को कुर्सी एवं रस्सी के माध्यम से उतारा गया। लगभग डेढ़ घंटे तक चले रैस्क्यू अभियान के बाद इन लोगों को नीचे उतारा गया। मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। जाखू रोपवे में रोचक मॉक ड्रिल सुबह 11 बजे शुरू हुई। सबसे पहले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ टेबल टॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया गया, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ द्वारा आपदा के दौरान किए जाने वाले रेस्क्यू कार्यों से अवगत करवाया गया। इसके बाद संबंधित विभागों की तैयारी, तत्परता और आपदा की सूचना पर रिस्पाॅन्स को परखा गया। सर्वप्रथम जमीन से करीब 100 मीटर की ऊंचाई पर रोपवे ट्राली में फसे व्यक्ति को कुर्सी के माध्यम से सुरक्षित जमीन पर उतारा गया। इसके पश्चात, एनडीआरएफ के दल ने अपने एक सदस्य को रस्सी के माध्यम से सुरक्षित जमीन पर उतारा। रोपवे में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल तक पहुंचाते हुए भी दिखाया गया। मॉक ड्रिल दोपहर करीब 1.30 बजे पूरी हुई। मॉक ड्रिल किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कारगर - ज्योति राणामॉक ड्रिल की अगुवाई कर रही अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा ने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा हर वर्ष रोपवे में मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता है और इस वर्ष भी इसी के अनुरूप मॉक ड्रिल का आयोजन आज यहां किया गया है, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्वास्थ्य विभाग ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कारगर साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि रोपवे में पर्यटक फंस जाते हैं तो उस स्थिति में किस तरह से उनका रेस्क्यू किया जाना है, इसी संदर्भ में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।
शिमला, 19 फरवरी [ विशाल सूद ] ! जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से बुधवार को कम्युनिकेशन माॅक ड्रिल का आयोजन किया गया। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कंट्रोल रूम में बैठ कर सेटेलाइट फोन के माध्यम से जिला के सभी उपमंडलाधिकारियों (ना०) से संपर्क किया। इसमें कुपवी, कोटखाई और शिमला ग्रामीण के उपमंडलाधिकारी से सेटेलाइट फोन के माध्यम से संपर्क ही नहीं हो पाया। इसके अलावा अन्य सभी से संपर्क हो गया।
उपायुक्त ने कहा कि सैटेलाइट फोन के माध्यम को लेकर की गई मॉक ड्रिल संतोषजनक नहीं रही है। बीएसएनएल प्रबंधन को इस बारे में नोटिस भी दिया जाएगा कि सिग्नल को लेकर काफी परेशानी आ रही है। ऐसे में आपदा के समय में सैटेलाइट फोन के माध्यम से संपर्क न हो पाए तो राहत कार्यों को करने में काफी दिक्कतें पेश आती हैं।
सभी एसडीएम को दिया जाएगा प्रशिक्षण
उपायुक्त ने कहा कि 22 फरवरी को होने वाली जिला स्तरीय राजस्व विभाग की बैठक में सैटेलाइट फोन के संचालन को लेकर सभी उपमंडलाधिकारियों एवं संबंधित स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फील्ड स्टाफ सैटेलाइट फ़ोन के संचालन में निपुण होगा तो संवाद परस्पर स्थापित होगा। आपदा में सबसे जरूरी संवाद ही होता है। संवाद महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सैटालाईट फोन के संचालन को लेकर भविष्य में नियमित माॅक ड्रिल की जाएगी ताकि फील्ड स्टाफ को आपदा के समय किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस मौके पर 2021 बैच के इंटर कैडर ट्रांसफर आईएएस अधिकारी डॉ राजदीव सिंह और रूपिंद्र कौर विशेष तौर पर मौजूद रहे।
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जाखू रोप-वे में माॅक ड्रिल का आयोजन
आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारियों को लेकर बुधवार को जाखू रोपवे में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान जमीन से 100 मीटर की ऊंचाई पर फंसे लोगों को कुर्सी एवं रस्सी के माध्यम से उतारा गया। लगभग डेढ़ घंटे तक चले रैस्क्यू अभियान के बाद इन लोगों को नीचे उतारा गया। मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। जाखू रोपवे में रोचक मॉक ड्रिल सुबह 11 बजे शुरू हुई। सबसे पहले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ टेबल टॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया गया, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ द्वारा आपदा के दौरान किए जाने वाले रेस्क्यू कार्यों से अवगत करवाया गया। इसके बाद संबंधित विभागों की तैयारी, तत्परता और आपदा की सूचना पर रिस्पाॅन्स को परखा गया। सर्वप्रथम जमीन से करीब 100 मीटर की ऊंचाई पर रोपवे ट्राली में फसे व्यक्ति को कुर्सी के माध्यम से सुरक्षित जमीन पर उतारा गया। इसके पश्चात, एनडीआरएफ के दल ने अपने एक सदस्य को रस्सी के माध्यम से सुरक्षित जमीन पर उतारा। रोपवे में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल तक पहुंचाते हुए भी दिखाया गया। मॉक ड्रिल दोपहर करीब 1.30 बजे पूरी हुई।
मॉक ड्रिल किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कारगर - ज्योति राणामॉक ड्रिल की अगुवाई कर रही अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा ने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा हर वर्ष रोपवे में मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता है और इस वर्ष भी इसी के अनुरूप मॉक ड्रिल का आयोजन आज यहां किया गया है, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्वास्थ्य विभाग ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कारगर साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि रोपवे में पर्यटक फंस जाते हैं तो उस स्थिति में किस तरह से उनका रेस्क्यू किया जाना है, इसी संदर्भ में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।
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